नई दिल्ली : भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है, जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर, 1949 को पारित किया गया था तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ. यही वजह है कि 26 नवम्बर को भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
मूल रूप से भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद (Article) हैं. बीते कुछ वर्षों में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जब संविधान का मखौल उड़ाए जाने जैसे गंभीर आरोप लगाये गये. भारत में संविधान सर्वोपरि है और राजनेता कानून का राज कायम रखने की शपथ इसी संविधान के तहत लेते हैं.
आज भारत संविधान अंगीकृत करने के 70 साल पूरे कर रहा है. इस अवसर पर ईटीवी भारत ने पूर्व कानून मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार से उन तमाम मुद्दों पर बात की, जो संविधान से जुड़े हुए हैं.
पढ़ें पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार से बातचीत के मुख्य अंश :-
आज भी समाज में अधिकतर लोग संविधान को पवित्र मानते हैं. हालांकि, कुछ राजनीतिक घटनाओं को देखने पर ऐसा लगता है कि संवैधानिक मूल्यों को ताक पर रखा जा रहा है. संविधान में आजादी, उदारवाद, समाजवाद, समावेश और धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांत प्रतिष्ठापित हैं, इन सिद्धातों पर लोगों का यकीन बना रहेगा.
संविधान की पवित्रता कम होने के सवाल पर अश्विनी कुमार ने कहा, 'मेरा अब भी मानना है कि देश के लोगों को जब तक संविधान के मूल्यों पर आस्था है, संविधान की पवित्रता बनी रहेगी.'
अश्विनी कुमार ने कहा, 'दुनिया में कहीं भी कोई भी संविधान सही ठीक तरीके से लागू नहीं हुआ है. हालांकि मैं आपसे कह सकता हूं कि राजनीतिक और न्यायिक प्रक्रिया में कोई भी संविधान के सिद्धांतों को मानने से इनकार नहीं कर सकता.'
उन्होंने कहा, 'हो सकता है कि संविधान को लागू करने और उसमें किये गये वादे को पूरा न किया जा सके. जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि जब तक हर गरीब मजबूत नहीं हो जाता, तब तक हम लोकतांत्रिक देश नहीं बन सकते.'
अश्विनी कुमार ने कहा, 'जैसा कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि संविधान की बुनियादी संरचना में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जा सकता और न ही कोई छेड़छाड़ की जा सकती है. मुझे लगता है कि संविधान में हमारी राजनीति पर भी फोकस किया गया, लेकिन हमारी राजनीति संविधान के मूल्यों के अनुसार नहीं है.'
भारत की विविधता को लेकर उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के सही मायने ही यह हैं कि देश की विविधता को संरक्षित किया जाए. यह हमारे संविधान की खूबसूरती है कि वह भारत की विविधता को संरक्षण प्रदान करता है.
अश्विनी कुमार ने कहा, '70 साल के लंबे अंतराल बाद भी हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और उदारवादी हैं. इसका मतलब है कि संविधान का जो उद्देश्य है, वह पूरा हो रहा है. कोई भी व्यक्ति आने वाली परेशानियों को नहीं देख सकता, इसलिए हमारे संविधान में प्रक्रिया दी गयी ताकि भविष्य में अपनी जरूरत के अनुसार उसमें संशोधन किया जा सके.'
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जड़ें भारत में काफी मजबूत हैं. इस पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता. लोकतंत्र संविधान का अभिन्न अंग है.
अश्विनी कुमार ने कहा, 'भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा चार्टर है. इसमें दुनिया के सभी संविधानों की अच्छी चीजें शामिल की गयी हैं, चाहे वह आयरिश संविधान से लिए मौलिक अधिकार हों या फिर कनाडा, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों के संविधान से लिए अंश हों. हमने संविधान में सर्वश्रेष्ठ अंश शामिल किए हैं. हमारा संविधान दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है, लेकिन परेशानी केवल इसे लागू करने की है.'
उन्होंने कहा कि संविधान का बड़ा होना चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन आप देखेंगे कि संविधान का हर पृष्ठ अहम है. भारत की विविधता को देखते हुए संविधान निर्माताओं को जो जरूरी लगा, उन्होंने संविधान में शामिल किया.