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आईएमए ने डॉक्टरों को मोमबत्ती जलाने और सरकार से कानून बनाने की मांग की - कोरोना के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले

भारतीय चिकित्सा संघ के अधिकारीयों ने डॉक्टरों पर ड्यूटी के दौरान हो रहे हमले पर जल्द से जल्द कानून बनाने के लिए सरकार से मांग की है.

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प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Apr 22, 2020, 8:55 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह चिकित्सा कर्मियों पर ड्यूटी के दौरान होने वाले हमले को रोकने के लिए तत्काल कानून लाएं.

देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की खबरों के बीच आईएमए ने यह मांग की है.

व्यापक स्तर पर व्हाइट अलर्ट का आह्वान करते हुए आईएमए ने देश के डॉक्टरों और अस्पतालों से कहा कि वह इस तरह के हमलों के खिलाफ विरोध स्वरूप अपने-अपने स्थानों पर मोमबत्ती जलाएं.

आईएमए ने डॉक्टरों और अस्पतालों को संबोधित करते हुए लिखे गए पत्र में कहा,'सफेद कोट के साथ मोमबत्ती जलाएं. व्हाइट अलर्ट सिर्फ आगाह करने के लिए है.'

पढ़ें : कोरोना संकट : कोलकाता में केंद्रीय टीम ने लिया जायजा, केंद्रीय गृह सचिव ने लिखा पत्र

आईएमए ने कहा,'कोविड-19 ने हिंसा और दुर्व्यवहार को लेकर चिकित्साकर्मियों को जागरूक कर दिया. सामाजिक बहिष्कार हर जगह हैं. प्रशासन के द्वारा परेशान किया जाना कुछ नहीं बल्कि सत्ता के द्वारा की गई हिंसा मायने रखती है.'

डॉक्टरों की इस इकाई ने कहा है कि अगर सरकार ने इस तरफ कोई कदम नहीं उठाए तो वे 23 अप्रैल को ‘काला दिवस’ मनाएंगे.

नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह चिकित्सा कर्मियों पर ड्यूटी के दौरान होने वाले हमले को रोकने के लिए तत्काल कानून लाएं.

देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले की खबरों के बीच आईएमए ने यह मांग की है.

व्यापक स्तर पर व्हाइट अलर्ट का आह्वान करते हुए आईएमए ने देश के डॉक्टरों और अस्पतालों से कहा कि वह इस तरह के हमलों के खिलाफ विरोध स्वरूप अपने-अपने स्थानों पर मोमबत्ती जलाएं.

आईएमए ने डॉक्टरों और अस्पतालों को संबोधित करते हुए लिखे गए पत्र में कहा,'सफेद कोट के साथ मोमबत्ती जलाएं. व्हाइट अलर्ट सिर्फ आगाह करने के लिए है.'

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आईएमए ने कहा,'कोविड-19 ने हिंसा और दुर्व्यवहार को लेकर चिकित्साकर्मियों को जागरूक कर दिया. सामाजिक बहिष्कार हर जगह हैं. प्रशासन के द्वारा परेशान किया जाना कुछ नहीं बल्कि सत्ता के द्वारा की गई हिंसा मायने रखती है.'

डॉक्टरों की इस इकाई ने कहा है कि अगर सरकार ने इस तरफ कोई कदम नहीं उठाए तो वे 23 अप्रैल को ‘काला दिवस’ मनाएंगे.

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