सासाराम : कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की यह स्थिति अभी कब तक रहेगी, इस बारे में कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता. लेकिन परेशान करने वाली तमाम खबरों के बीच कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आई हैं जिन्हें सकारात्मक बदलाव के तौर पर देखा जा सकता है.
रिक्शा लेकर सड़कों पर उतरी किशोरी
बिहार के सासाराम जिले की 14 साल की नंदिनी ने साबित कर दिया कि जब दर्द और दुखों का पहाड़ जिंदगी के आड़े आने लगे तब जज्बे की ताकत से दर्द को दवा बनाकर मंजिल का रास्ता तलाशने के मायने ही और होते हैं. लॉकडाउन में जब लोगों ने नंदिनी के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए तो वह सासाराम की सड़कों पर रिक्शा लेकर उतर गई.
रोजी-रोटी पर संकट
दरअसल, सासाराम की बौलिया की रहने वाली नंदिनी के पिता रिक्शा चलाते हैं. रिक्शा चला कर जो पैसे मिलते थे उसी से घर चलता था. लेकिन लॉकडाउन में रिक्शा चलाने पर पाबंदी के कारण रोजी-रोटी पर संकट आ गया. अब सवाल था कि घर कैसे चलेगा.
पुलिसवाले भी देते हैं साथ
लेकिन गरीबी की मार ऐसी कि नंदिनी रिक्शा लेकर खुद सड़कों पर निकल गई. इस बच्ची के पैर सही से रिक्शे के पैडल तक नहीं पहुंचते. फिर भी वह दो वक्त की रोटी के लिए रिक्शा खींच रही है. बच्ची जान कर पुलिसवाले भी उसे कुछ नहीं कहते हैं.
पिता की मजबूरी देख उठाया यह कदम
नंदिनी की उम्र महज 14 साल है. वह बताती है कि लॉकडाउन के कारण घर में न पैसा था और न खाने के लिए कुछ था. पिता रिक्शा चला नहीं सकते थे, क्योंकि सड़कों पर देख पुलिस वाले लाठी मारते थे. ऐसे में वह खुद रिक्शा लेकर सड़क पर निकल गई.