नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के एक बयान पर सियासी संग्राम शुरू हो गया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उनकी तीखी आलोचना की है. दरअसल, सेना प्रमुख ने विश्विवद्यालय कैंपस में हुए हिंसक प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने कहा कि था यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है.
इस पर दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि नेतृत्वकर्ता वह नहीं होता है, जो लोगों को हथियार उठाने के लिए प्रेरित करे. आर्मी चीफ नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन पर मैं आपसे सहमत हूं जनरल साहब, लेकिन नेता वह भी नहीं हो सकता, जो अपने अनुयायियों को सांप्रदायिक आधार पर नरसंहार के लिए भड़काए. क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहब?
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्वीट में कहा, 'अपने ऑफिस के प्रभाव क्षेत्र को समझना भी लीडरशिप है. यह (लीडरशिप) नागरिक की सर्वोच्चता को समझना और जिस संस्था के प्रमुख आप हैं उसकी गरिमा को ठीक से जानना भी है.'
स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि सेना प्रमुख ने राजनीतिक टिप्पणी करने का फैसला किया है जो कि पिछले 70 वर्षों में कभी नहीं हुआ है. भारत में सेना प्रमुख राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी नहीं करते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि सेना प्रमुख की टिप्पणी पीएम मोदी के लिए थी.
दरअसल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए गुरुवार को कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है.
सेना प्रमुख ने यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन में आयोजित सभा में कहा कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को 'अनुचित दिशा' में ले जाएं. उन्होंने कहा कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं.
इस महीने की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों द्वारा संशोधित नागरिकता विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद से इस कानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं, और कहीं कहीं तो इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी ले लिया.
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बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घायल हुए और कई लोगों की मौत भी हुई. खासतौर से उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में ऐसा देखने को मिला.
रावत ने अपने भाषण में कहा, 'नेतृत्व यदि सिर्फ लोगों की अगुवाई करने के बारे में है, तो फिर इसमें जटिलता क्या है. क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं, तो सभी आपका अनुसरण करते हैं. यह इतना सरल नहीं है. यह सरल भले ही लगता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है.
उन्होंने कहा, 'आप भीड़ के बीच किसी नेता को उभरता हुआ पा सकते हैं. लेकिन नेतृत्व वह होता है, जो लोगों को सही दिशा में ले जाए. नेता वे नहीं हैं जो अनुचित दिशाओं में लोगों का नेतृत्व करते हैं.'
इस समय चल रहे विश्वविद्यालयों और कॉलेज छात्रों के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि जिस तरह शहरों और कस्बों में भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है, वह नेतृत्व नहीं है.