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व्यापक स्तर पर कार्रवाई से कोरोना के मामले, मौत प्रति 10 लाख पर कम रहे : स्वास्थ्य मंत्री

कोरोना पर भारत की समय से पहले और श्रेणीबद्ध बहुस्तरीय संस्थागत प्रतिक्रिया से देश में प्रति दस लाख की आबादी पर मामलों और मौतों को काफी कम रखने में मदद मिली. यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने कही.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन
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Published : Aug 6, 2020, 11:01 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना पर भारत की समय से पहले और श्रेणीबद्ध बहुस्तरीय संस्थागत प्रतिक्रिया से देश में प्रति दस लाख की आबादी पर मामलों और मौतों को काफी कम रखने में मदद मिली. यह बात गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने कही.

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक की सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ डिजिटल बैठक में उन्होंने कहा कि ज्यादा जनसंख्या घनत्व, जीडीपी का कम हिस्सा खर्च करने और विकसित देशों की तुलना में चिकित्सकों और बिस्तरों की कम संख्या के बावजूद इसे हासिल किया गया और बरकरार रखा गया.

कोविड-19 के प्रसार को कम करने में लॉकडाउन के प्रभाव पर उन्होंने कहा कि यह मामलों की संख्या दर को धीमी करने में प्रभावी था और सरकार को स्वास्थ्य एवं जांच सुविधाओं में बढ़ोतरी का समय मिल गया.

बयान में हर्षवर्द्धन के हवाले से बताया गया, 'जनवरी में एक प्रयोगशाला (कोविड-19 जांच के लिए) से भारत में वर्तमान में 1370 प्रयोगशालाएं हो गई हैं. भारतीय कहीं भी तीन घंटे की यात्रा दूरी पर प्रयोगशाला की सुविधा हासिल कर सकते हैं. साथ ही 36 राज्यों में से 33 में प्रति दिन प्रति दस लाख की आबादी पर 140 लोगों की जांच की डब्ल्यूएचओ की अनुशंसा से भी अधिक जांच हो रही है.'

उन्होंने कहा कि निरूद्ध क्षेत्र की रणनीति भी सफल रही क्योंकि 50 फीसदी मामले तीन राज्यों से हैं और शेष में 32 फीसदी मामले सात राज्यों से हैं.

हर्षवर्द्धन ने कहा कि इस प्रकार वायरस के प्रसार पर लगाम कसी गयी.

यह भी पढ़ें-यहां पढ़ें, देशभर की कोविड-19 से जुड़ी बड़ी खबरें

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'चीन ने सात जनवरी को जैसे ही डब्ल्यूएचओ को सूचित किया, भारत ने महामारी से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी.'

बयान में उनके हवाले से बताया गया, 'कोविड-19 के प्रति भारत की अग्र सक्रिय और बहुस्तरीय संस्थागत प्रतिक्रिया से प्रति दस लाख की आबादी पर काफी कम मामले और मृत्यु हुई, जबकि यहां आबादी का घनत्व ज्यादा है, इस पर जीडीपी का कम अंश खर्च किया गया और चिकित्सकों एवं अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता विकसित देशों की तुलना में कम है.'

हर्षवर्द्धन ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अस्थायी अस्पताल बनाए जो एक हजार रोगियों की सेवा के लिए सक्षम थे और सौ आईसीयू बिस्तर महज 10 दिनों में बनाए गए.

डिजिटल बैठक में कोविड-19 महामारी को देखते हुए आवश्यक सेवाएं और जनस्वास्थ्य कार्यक्रम बरकरार रखने पर जोर दिया गया.

नई दिल्ली : कोरोना पर भारत की समय से पहले और श्रेणीबद्ध बहुस्तरीय संस्थागत प्रतिक्रिया से देश में प्रति दस लाख की आबादी पर मामलों और मौतों को काफी कम रखने में मदद मिली. यह बात गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने कही.

डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक की सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ डिजिटल बैठक में उन्होंने कहा कि ज्यादा जनसंख्या घनत्व, जीडीपी का कम हिस्सा खर्च करने और विकसित देशों की तुलना में चिकित्सकों और बिस्तरों की कम संख्या के बावजूद इसे हासिल किया गया और बरकरार रखा गया.

कोविड-19 के प्रसार को कम करने में लॉकडाउन के प्रभाव पर उन्होंने कहा कि यह मामलों की संख्या दर को धीमी करने में प्रभावी था और सरकार को स्वास्थ्य एवं जांच सुविधाओं में बढ़ोतरी का समय मिल गया.

बयान में हर्षवर्द्धन के हवाले से बताया गया, 'जनवरी में एक प्रयोगशाला (कोविड-19 जांच के लिए) से भारत में वर्तमान में 1370 प्रयोगशालाएं हो गई हैं. भारतीय कहीं भी तीन घंटे की यात्रा दूरी पर प्रयोगशाला की सुविधा हासिल कर सकते हैं. साथ ही 36 राज्यों में से 33 में प्रति दिन प्रति दस लाख की आबादी पर 140 लोगों की जांच की डब्ल्यूएचओ की अनुशंसा से भी अधिक जांच हो रही है.'

उन्होंने कहा कि निरूद्ध क्षेत्र की रणनीति भी सफल रही क्योंकि 50 फीसदी मामले तीन राज्यों से हैं और शेष में 32 फीसदी मामले सात राज्यों से हैं.

हर्षवर्द्धन ने कहा कि इस प्रकार वायरस के प्रसार पर लगाम कसी गयी.

यह भी पढ़ें-यहां पढ़ें, देशभर की कोविड-19 से जुड़ी बड़ी खबरें

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'चीन ने सात जनवरी को जैसे ही डब्ल्यूएचओ को सूचित किया, भारत ने महामारी से लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी.'

बयान में उनके हवाले से बताया गया, 'कोविड-19 के प्रति भारत की अग्र सक्रिय और बहुस्तरीय संस्थागत प्रतिक्रिया से प्रति दस लाख की आबादी पर काफी कम मामले और मृत्यु हुई, जबकि यहां आबादी का घनत्व ज्यादा है, इस पर जीडीपी का कम अंश खर्च किया गया और चिकित्सकों एवं अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता विकसित देशों की तुलना में कम है.'

हर्षवर्द्धन ने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अस्थायी अस्पताल बनाए जो एक हजार रोगियों की सेवा के लिए सक्षम थे और सौ आईसीयू बिस्तर महज 10 दिनों में बनाए गए.

डिजिटल बैठक में कोविड-19 महामारी को देखते हुए आवश्यक सेवाएं और जनस्वास्थ्य कार्यक्रम बरकरार रखने पर जोर दिया गया.

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