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रक्षा मंत्रालय ने चीन के अतिक्रमण को कबूलने वाली सूचना वेबसाइट से हटाई

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Published : Aug 6, 2020, 1:21 PM IST

Updated : Aug 6, 2020, 5:26 PM IST

रक्षा मंत्रालय ने जून महीने की अपनी प्रमुख गतिविधियों का एक दस्तावेज जारी किया था. इसमें मंत्रालय ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना द्वारा किए गए एलएसी के उल्लंघन को स्वीकार किया था. हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद उस सूचना को वेबसाइट से हटा दिया गया है.

Chinese aggression
सीमा विवाद

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने जून महीने की अपनी प्रमुख गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए दस्तावेज वेबसाइट पर डाले थे, जिसमें बताया गया था कि चीन ने कुगरांग नाला, गोगरा और पंगोंग त्सो में 17-18 मई 2020 को वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया था. हालांकि विवाद बढ़ने के बाद इस दस्तावेज को रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट से हटा दिया है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि चीन के सामने खड़े होने की बात तो दूर भारत के पीएम उनका नाम लेने से भी घबराते हैं.

rahul
रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज से जुड़ी राहुल गांधी की टिप्पणी

दस्तावेज में रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि पूर्वी लद्दाख के गलवान और कुछ अन्य इलाकों में चीन और भारत की सेनाओं के बीच पांच मई से ही गतिरोध बना हुआ था, जिसके बाद पैंगोंग त्सो के किनारे दोनों पक्ष के सैनिकों में झड़प हुई थी.

रक्षा मंत्रालय ने इससे संबंधित दस्तावेज को हाल ही में मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया. यह पहली बार है कि राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले रक्षा मंत्रालय ने चीनी सैनिकों द्वारा किए गए नियंत्रण रेखा के उल्लंघन को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था.

भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर जून को कोर-कमांडर लेवल की वार्ता हुई थी, बावजूद इसके गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच 15 जून को हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. वहीं चीन के भी करीब 20 सैनिकों की मौत हुई थी.

दोनों तरफ से हो रही बातचीत को देखते हुए दस्तावेज भारत-चीन के बीच और भी लंबी वर्ता की ओर इशारा कर रहे हैं. दस्तावेज में लिखा है कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत पारस्परिक रूप से जारी है लेकिन वर्तमान गतिरोध लंबे समय तक रहने की संभावना है. चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में किए गए हमले से विकसित स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और इसे निगरानी और जल्द कार्रवाई की आवश्यकता है.

पढ़ें :- लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) हुड्डा से जानें- क्यों घबराया चीन और क्या है गलवान विवाद

गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच कोर-कमांडर लेवल की पांच वार्ता हो चुकी है, जिसमें दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति से पीछे हटने को लेकर आम सहमति बनी थी.

भारतीय और चीनी सेना के शीर्ष कमांडरों के बीच पांचवें चरण की बातचीत लगभग 11 घंटे तक चली थी.

वार्ता की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि बातचीत के दौरान भारत ने पैंगोंग सो और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास टकराव वाले सभी स्थानों से चीनी सैनिकों के जल्द से जल्द पूरी तरह पीछे हटने को लेकर जोर डाला.

नई दिल्ली : रक्षा मंत्रालय ने जून महीने की अपनी प्रमुख गतिविधियों का ब्यौरा देते हुए दस्तावेज वेबसाइट पर डाले थे, जिसमें बताया गया था कि चीन ने कुगरांग नाला, गोगरा और पंगोंग त्सो में 17-18 मई 2020 को वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया था. हालांकि विवाद बढ़ने के बाद इस दस्तावेज को रक्षा मंत्रालय ने वेबसाइट से हटा दिया है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि चीन के सामने खड़े होने की बात तो दूर भारत के पीएम उनका नाम लेने से भी घबराते हैं.

rahul
रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज से जुड़ी राहुल गांधी की टिप्पणी

दस्तावेज में रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि पूर्वी लद्दाख के गलवान और कुछ अन्य इलाकों में चीन और भारत की सेनाओं के बीच पांच मई से ही गतिरोध बना हुआ था, जिसके बाद पैंगोंग त्सो के किनारे दोनों पक्ष के सैनिकों में झड़प हुई थी.

रक्षा मंत्रालय ने इससे संबंधित दस्तावेज को हाल ही में मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया. यह पहली बार है कि राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले रक्षा मंत्रालय ने चीनी सैनिकों द्वारा किए गए नियंत्रण रेखा के उल्लंघन को आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया था.

भारत-चीन के बीच तनाव को लेकर जून को कोर-कमांडर लेवल की वार्ता हुई थी, बावजूद इसके गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच 15 जून को हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे. वहीं चीन के भी करीब 20 सैनिकों की मौत हुई थी.

दोनों तरफ से हो रही बातचीत को देखते हुए दस्तावेज भारत-चीन के बीच और भी लंबी वर्ता की ओर इशारा कर रहे हैं. दस्तावेज में लिखा है कि सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत पारस्परिक रूप से जारी है लेकिन वर्तमान गतिरोध लंबे समय तक रहने की संभावना है. चीन द्वारा पूर्वी लद्दाख में किए गए हमले से विकसित स्थिति संवेदनशील बनी हुई है और इसे निगरानी और जल्द कार्रवाई की आवश्यकता है.

पढ़ें :- लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) हुड्डा से जानें- क्यों घबराया चीन और क्या है गलवान विवाद

गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच कोर-कमांडर लेवल की पांच वार्ता हो चुकी है, जिसमें दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति से पीछे हटने को लेकर आम सहमति बनी थी.

भारतीय और चीनी सेना के शीर्ष कमांडरों के बीच पांचवें चरण की बातचीत लगभग 11 घंटे तक चली थी.

वार्ता की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि बातचीत के दौरान भारत ने पैंगोंग सो और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास टकराव वाले सभी स्थानों से चीनी सैनिकों के जल्द से जल्द पूरी तरह पीछे हटने को लेकर जोर डाला.

Last Updated : Aug 6, 2020, 5:26 PM IST
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