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मियां अब्दुल कय्यूम की हिरासत विचाराधीन, जल्द होगा निर्णय : सुप्रीम कोर्ट से जम्मू-कश्मीर प्रशासन

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उच्च न्यायालय की बार के नेता मियां अब्दुल कय्यूम की नजरबंदी का मामला इस समय विचाराधीन है और जल्द ही इसमें निर्णय लिया जाएगा.

वकील मियां अब्दुल कय्यूम की हिरासत
वकील मियां अब्दुल कय्यूम की हिरासत
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Published : Jul 23, 2020, 10:52 PM IST

नई दिल्ली : सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वकील मियां अब्दुल कय्यूम की नजरबंदी के मामले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रखा. मेहता ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ से कहा कि न्यायालय को इसके गुण-दोष पर जाने की आवश्यकता नहीं है.

मेहता ने कहा कि इस मामले में सक्षम प्राधिकारी जल्द ही निर्णय लेंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिये कुछ समय देने का अनुरोध किया. कय्यूम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि अगर जरूरत हो तो मेहता 24 घंटे में निर्देश प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को शुक्रवार के लिये सूचीबद्ध किया जाये.

दवे ने कहा कि वह इस मामले के गुण-दोष पर बहस के लिये तैयार हैं क्योंकि बंदी प्रत्यक्षीकरण के मामले को इस तरह लंबा नहीं खींचा जा सकता.

पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इसे 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया.

न्यायालय ने 15 जुलाई को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा था कि उसने उच्च न्यायालय की बार के नेता मियां अब्दुल कय्यूम को किस आधार पर हिरासत में रखा है. कय्यूम पिछले वर्ष सात अगस्त से जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं जिसे उन्होंने चुनौती दी है.

शीर्ष अदालत ने प्रशासन से कहा था कि वह कय्यूम की आयु, हिरासत अवधि खत्म होने और कोविड-19 महामारी समेत कई पहलुओं पर ध्यान दे.

अपनी हिरासत को चुनौती देने वाली कय्यूम की याचिका पर शीर्ष अदालत ने 26 जून को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था.

याचिका में कय्यूम ने चिकित्सकीय आधार पर तिहाड़ जेल से श्रीनगर की सेंट्रल जेल में भेजने का अनुरोध किया था.

इस याचिका में कय्यूम ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के 28 मई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के बाहर की जेलों में पीएसए के तहत उन्हें लंबे समय तक 'गैरकानूनी हिरासत' में रखने के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

कय्यूम ने कहा है कि उन्हें चार और पांच अगस्त, 2019 की दरमियानी रात को जम्मू-कश्मीर अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत हिरासत में लिया गया था. पीएसए के तहत हिरासत आदेश सात अगस्त 2019 को जारी किया गया. उन्होंने कहा कि आठ अगस्त को उन्हें आगरा के केंद्रीय कारागार ले जाया गया और इसके बारे में पहले से कोई सूचना भी नहीं दी गई.

नई दिल्ली : सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वकील मियां अब्दुल कय्यूम की नजरबंदी के मामले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रखा. मेहता ने न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ से कहा कि न्यायालय को इसके गुण-दोष पर जाने की आवश्यकता नहीं है.

मेहता ने कहा कि इस मामले में सक्षम प्राधिकारी जल्द ही निर्णय लेंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर निर्देश प्राप्त करने के लिये कुछ समय देने का अनुरोध किया. कय्यूम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि अगर जरूरत हो तो मेहता 24 घंटे में निर्देश प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले को शुक्रवार के लिये सूचीबद्ध किया जाये.

दवे ने कहा कि वह इस मामले के गुण-दोष पर बहस के लिये तैयार हैं क्योंकि बंदी प्रत्यक्षीकरण के मामले को इस तरह लंबा नहीं खींचा जा सकता.

पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद इसे 27 जुलाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया.

न्यायालय ने 15 जुलाई को जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा था कि उसने उच्च न्यायालय की बार के नेता मियां अब्दुल कय्यूम को किस आधार पर हिरासत में रखा है. कय्यूम पिछले वर्ष सात अगस्त से जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में हैं जिसे उन्होंने चुनौती दी है.

शीर्ष अदालत ने प्रशासन से कहा था कि वह कय्यूम की आयु, हिरासत अवधि खत्म होने और कोविड-19 महामारी समेत कई पहलुओं पर ध्यान दे.

अपनी हिरासत को चुनौती देने वाली कय्यूम की याचिका पर शीर्ष अदालत ने 26 जून को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था.

याचिका में कय्यूम ने चिकित्सकीय आधार पर तिहाड़ जेल से श्रीनगर की सेंट्रल जेल में भेजने का अनुरोध किया था.

इस याचिका में कय्यूम ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के 28 मई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें केंद्र शासित प्रदेश के बाहर की जेलों में पीएसए के तहत उन्हें लंबे समय तक 'गैरकानूनी हिरासत' में रखने के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

कय्यूम ने कहा है कि उन्हें चार और पांच अगस्त, 2019 की दरमियानी रात को जम्मू-कश्मीर अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत हिरासत में लिया गया था. पीएसए के तहत हिरासत आदेश सात अगस्त 2019 को जारी किया गया. उन्होंने कहा कि आठ अगस्त को उन्हें आगरा के केंद्रीय कारागार ले जाया गया और इसके बारे में पहले से कोई सूचना भी नहीं दी गई.

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