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क्या है 'लव जिहाद', क्यों मचा है इतना बवाल ... जानें - गुजरात, उत्तराखंड

लव जिहाद पर भाजपा आक्रामक है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और असम की भाजपा सरकारों ने कानून बनाने के लिए पहल भी शुरू कर दी है. कांग्रेस इस पर सवाल खड़े कर रही है. आइए जानते हैं क्या है लव जिहाद और कैसा होगा इसके खिलाफ कानून.

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लव जिहाद
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Published : Nov 22, 2020, 5:00 AM IST

Updated : Nov 22, 2020, 12:20 PM IST

हैदराबाद : लव जिहाद. यह शब्द पहले यदा-कदा सुनने को मिलता था, मगर आजकल बार-बार सुनाई दे रहा है. भाजपा शासित सभी राज्यों में इसको लेकर कानून बनाने पर बात हो रही है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और असम की भाजपा सरकारों ने तो कानून बनाने के लिए पहल भी शुरू कर दी है. गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी इसको लेकर अंदरखाने चर्चा है. कांग्रेस इस पर सवाल खड़े कर रही है. हालांकि, अन्य सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्हें डर है कि कहीं इसके खिलाफ बोलने पर उनसे हिंदू वोटर नाराज न हो जाए. वहीं भाजपा इसे लेकर इतनी ज्यादा गंभीर है कि गठबंधन की सरकारों पर भी लव जिहाद को लेकर कानून बनाने को लेकर दबाव डाल रही है. आइए जानते हैं क्या है लव जिहाद और क्यों इसे लेकर भाजपा कानून बनाने की बात कर रही है. साथ ही कांग्रेस क्यों इसे लेकर भाजपा पर सवाल उठा रही है.

क्या है लव जिहाद ?

लव जिहाद को तब तक मान्यता नहीं मिली थी, जब तक कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है. लव अंग्रेजी भाषा से लिया गया है और जिहाद अरबी शब्द है. जिहाद का मतलब किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना. जब एक धर्म विशेष को मानने वाले छल, फरेब और झूठ का सहारा लेकर अपने प्यार के जाल में दूसरे धर्म की लड़की को फंसाकर उसका धर्मांतरण और फिर शादी करते हैं, तो इसे ही लव जिहाद कहा गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी इसी वर्ष 23 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है. अदालत ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में एक नवविवाहित जोड़े की याचिका खारिज करते हुए की थी, जिसने पुलिस और महिला के पिता को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे उनके वैवाहिक जीवन में दखल नहीं दें.

कब से लव जिहाद पर हो रही बात?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा सहित इससे जुड़े सभी संगठन पिछले काफी सालों से इसे लेकर सवाल उठाते रहे हैं. शादी के बाद हिंदू लड़कियों की प्रताड़ना और उन्हें छोड़ देने पर हिंदूवादी संगठन 90 के दशक से मुखर हैं मगर 2013 से यह ज्यादा चर्चा में है. हाल ही में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 170 मामलों की एक सूची भी जारी की है जो लव जिहाद के मामले बताए जाते हैं. विहिप के अनुसार प्रत्येक वर्ष 20 हजार से ज्यादा गैर मुस्लिम युवतियां लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं. विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने 2012 में कहा था कि गत तीन वर्षों में 2667 हिंदू लड़कियों ने इस्लाम स्वीकार किया तथा इसी बीच 79 लड़कियां वापस हिंदू बनीं तथा दो ईसाई बनीं. यह जो असंतुलन है, वह चिंताजनक है.

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने 2019 में सौंपी थी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन. मित्तल ने बताया कि राज्य विधि आयोग ने नवंबर 2019 में ही धर्मांतरण के विषय पर अध्ययन करने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी थी. रिपोर्ट में प्रस्तावित अधिनियम का प्रारूप भी संलग्न किया गया. प्रस्तावित अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि अगर किसी व्यक्ति के द्वारा लालच देकर, किसी षड्यंत्र के द्वारा, अच्छी शिक्षा का आश्वासन देकर, भय दिखाकर या अन्य किसी भी कारण से किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराया जाता है तो वह विधि के विरुद्ध होगा. वह धर्मांतरण अवैध माना जाएगा. इसमें षड्यंत्र करने वाले के खिलाफ दंड का प्रावधान भी किया गया है.

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु-

  • लालच, षडयंत्र, डर दिखाकर या फिर अन्य कारण से धर्मांतरण गलत.
  • शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन अवैध है.
  • भिन्न धर्मों को मानने वालों की शादी के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट है.
  • धर्म की जानकारी छिपाकर शादी करना अपराध है.
  • स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने के लिए कानूनी प्रक्रिया है.
  • अगर कोई व्यक्ति धोखे से शादी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान.
  • आयोग ने इस मामले में स्वत: ही संज्ञान लेकर अध्ययन किया है.
  • भारत के 10 राज्यों में इस तरह का कानून पहले से ही लागू है.
  • राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों में लागू है.
  • मध्य प्रदेश ने भी अपने कानून में संशोधन करने का फैसला किया है.
  • मध्य प्रदेश ने हमारे प्रस्तावित कानून से भी अधिकांश चीजें ली हैं.
  • पहला राज्य मध्य प्रदेश था, जिसने धर्मांतरण को लेकर अपना कानून बनाया.
  • इसके बाद ओडिशा ने इस बारे में कानून बनाया.

    शादी के लिए धर्मांतरण जरूरी नहीं

    जस्टिस मित्तल कहते हैं कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 25 में व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है. इसका आशय यह है कि कोई भी व्यक्ति कोई भी धर्म अपना सकता है. इसमें कहीं कोई बाधा नहीं है. परंतु जो मामले प्रकाश में आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं. इसमें यह देखा जा रहा है कि कई ईसाई मिशनरी व अन्य लोग लालच देकर लोगों को षड्यंत्र करके, धोखे में रखकर धर्मांतरण के लिए उकसा रहे हैं. कुछ मामले ऐसे भी आते हैं, जिनमें दो व्यक्ति, जो शादी करने वाले हैं, वह विभिन्न धर्मों के होते हैं और केवल शादी करने के लिए धर्मांतरण करते हैं. यह कानूनी रूप से उचित नहीं है. इस बारे में उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में एक निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा है कि शादी करने के लिए किया गया धर्मांतरण पूरी तरह से अवैध है.

विवाह करने से पहले सार्वजनिक नोटिस जारी होगा

जस्टिस मित्तल ने कहा, "मैं यह भी बता देना चाहता हूं कि अगर कोई दो अलग-अलग धर्मों के व्यक्ति शादी करना चाहते हैं, वे बालिग हैं तो उसके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1925 बना हुआ है. इसमें एक प्रक्रिया के तहत विवाह अधिकारी के यहां अपना आवेदन प्रस्तुत करेंगे. उस आवेदन पत्र पर संबंधित पक्ष के माता-पिता को नोटिस जाएगा. एक जनरल नोटिस भी जारी किया जाएगा. अगर किसी को कोई आपत्ति हो तो वह अपनी आपत्ति वहां दर्ज करा सकता है. यह आपत्ति विवाह अधिकारी के समक्ष दर्ज कराई जाएगी. विवाह अधिकारी उन आपत्तियों को दृष्टिगत रखते हुए अपना निर्णय ले सकते हैं."

वधू से जानकारी छुपाने पर भी होगी कार्रवाई

जस्टिस मित्तल ने कहा, "इसमें आपत्ति से मेरा आशय यह है कि बहुत बार प्रकाश में आया है कि कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है, तलाकशुदा है और उसकी एक से अधिक पत्नियां हैं तो ऐसी दशा में यदि प्रस्तावित वधू से यह बात छुपाई गई है, तो विवाह अधिकारी के पास शिकायत की जा सकती है. उसके खिलाफ दंड का प्रावधान है.

उत्तर प्रदेश में इसी माह बनेगा कानून

जस्टिस मित्तल ने बताया कि मुझे उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसी माह धर्मांतरण के खिलाफ कानून को मूर्त रूप दे देगी.

हरियाणा सरकार भी सक्रिय

हरियाणा सरकार ने लव जिहाद के मामलों पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश में लव जिहाद के मामलों पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कानून बनाया जाएगा. इसका प्रारूप तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. गृहमंत्री ने मंगलवार को इस संबंध में विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ पहली बैठक की. गृहमंत्री ने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी विचार-विमर्श किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस कानून के बनने से राज्य में किसी भी व्यक्ति द्वारा दबाव, प्रलोभन, किसी प्रकार के षडयंत्र या प्यार से धर्म परिवर्तन करवाने के प्रयास पर रोक लगेगी तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मध्य प्रदेश सरकार ने कर दिया है एलान

मध्य प्रदेश सरकार ने लव जिहाद को लेकर कानून बनाने का ऐलान पहले ही कर दिया है. शिवराज सरकार लव जिहाद को रोकने के लिए मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्र्य विधेयक-2020 ला रही है. आने वाले विधानसभा सत्र में प्रदेश सरकार इसे सदन में पेश कर सकती है. इस कानून के आने के बाद लव जिहाद के दोषियों के खिलाफ गैर जमानतीय धाराओं में कार्रवाई हो सकेगी. इस कानून में धर्मांतरण और जबरन शादी करवाने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान होगा. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि प्रलोभन, धोखाधड़ी, बहलाकर एवं बलपूर्वक शादी करके धर्मान्तरण करवाने पर 5 साल के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान इस विधेयक में रखा गया है. इस कानून के तहत आरोपी को सजा हो जाने पर शादी शून्य हो जाएगी. इसके साथ ही आरोपी के खिलाफ केस दर्ज होने पर पुलिस बिना किसी वारंट को उसकी गिरफ्तारी कर सकेगी. मदद करने वाले को भी 5 साल की सजा का प्रावधान इस कानून में रखा गया है. कानून बनाए जाने के बाद यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्मांतरण कर शादी करना चाहता है तो उसे 1 महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन देना होगा और यह आवेदन देना अनिवार्य होगा अगर बिना आवेदन किए किसी ने धर्मांतरण कर शादी की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कर्नाटक सरकार कानून बनाएगी

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की तर्ज पर कर्नाटक सरकार विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाएगी. उन्होंने कहा था कि जब जिहादी हमारी बहनों की गरिमा छीनेंगे, तो हम चुप नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा था कि धर्मांतरण के किसी भी कृत्य में शामिल व्यक्ति को कड़ी सजा मिलेगी.

उत्तराखंड में अंतर धार्मिक विवाह पर डंडा

उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव ओम प्रकाश को अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में संशोधन करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया कोऑर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत ने बताया कि इस योजना को साल 2014 में संशोधित कर नया शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह पर 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया था, लेकिन अब उत्तराखंड सरकार इसमें बदलाव करने जा रही है. दर्शन सिंह रावत ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के इस योजना से मात्र अंतर धार्मिक विवाह के मसले को हटा दिया जाएगा. बाकी यह योजना पहले जैसी ही रहेगी. बता दें कि 18 नवंबर को टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया था. जिसमें लिखा था कि अंतर धार्मिक विवाह, संघ जिला ब्यूरो की ओर से मान्यता प्राप्त मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या देवस्थान में सामान्य रूप से हुआ होना चाहिए.

बिहार में भी उठी मांग

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को बिहार में लव जिहाद के खिलाफ एक कानून लागू करने की वकालत की. सिंह ने कहा कि यदि बिहार सरकार लव जिहाद के खिलाफ एक कानून लेकर आती है तो यह एक बड़ी पहल होगी. मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ऐसा करने की अपील करता हूं. उन्होंने कहा कि लव जिहाद का सांप्रदायिकता से कोई लेना-देना नहीं है. यदि बिहार में एक कानून लागू किया जाएगा, तो यह सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा. सिंह ने कहा कि लव जिहाद न केवल हिंदू समुदाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हमारे देश में अल्पसंख्यक समुदायों को भी प्रभावित कर रहा है. केरल में ईसाई बड़ी संख्या में हैं और वे भी चिंतित हैं और इस पर चिंता भी जता चुके हैं. सिरो-मालाबार चर्च के एक बयान में इस ओर इशारा किया गया है कि ईसाई लड़कियों को भी निशाना बनाया जाता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.

कांग्रेस नेताओं ने उठाए सवाल

  • पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लव जिहाद को लेकर सवाल उठाते आए हैं. उन्होंने ट्वीट कर लव जिहाद को परिभाषित करने के लिए कहा था. दिग्विजय ने लिखा कि राष्ट्रीय महिला आयोग लव जिहाद को परिभाषित करेगा? यदि आप नहीं कर सकते हैं तो क्या आप अपने कानूनी सलाहकार को परिभाषित करने के लिए कहेंगे? या फिर आप मोदी सरकार में मुख्तार अब्बास नकवी जी को लव जिहाद को परिभाषित करने के लिए भी कह सकते हैं.
  • पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस कानून पर सवाल उठाएं हैं. उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा सत्र बुलाएं और स्पीकर का चुनाव कराएं. फिर विधेयक लाएं और उस पर बहस हो. वैसे भी प्रेम ईश्वर की देन है, ये कानून से परे है और बाकी सभी बातें बाबा साहब ने संविधान में लिख दीं हैं. कांग्रेस का आरोप है कि ये सब चुनावी राजनीति का एजेंडा है.
  • छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लव जिहाद पर कानून बनाने के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास कोई काम नहीं है. उन्होंने पूछा कि क्या लव जिहाद का कानून भाजपा नेताओं के बच्चों पर भी लागू होगा, जिन्होंने दूसरे धर्म में शादी की है? इस दौरान उन्होंने मुरली मनोहर जोशी, सुब्रमण्यम स्वामी और लालकृष्ण आडवानी का नाम लिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है, जबकि उन्हें जोड़ने का काम करना चाहिए. एकता की बात करनी चाहिए.
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए भाजपा पर तीखा हमला बोला. गहलोत ने कहा कि लव जिहाद भाजपा द्वारा विभाजित करने एवं सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए निर्मित एक शब्द है. विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है. इस पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून लाना पूरी तरह असंवैधानिक है और यह कानून की किसी भी अदालत में खड़ा नहीं होगा. लव जिहाद का हमारे देश में कोई स्थान नहीं है.

हैदराबाद : लव जिहाद. यह शब्द पहले यदा-कदा सुनने को मिलता था, मगर आजकल बार-बार सुनाई दे रहा है. भाजपा शासित सभी राज्यों में इसको लेकर कानून बनाने पर बात हो रही है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और असम की भाजपा सरकारों ने तो कानून बनाने के लिए पहल भी शुरू कर दी है. गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भी इसको लेकर अंदरखाने चर्चा है. कांग्रेस इस पर सवाल खड़े कर रही है. हालांकि, अन्य सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं. उन्हें डर है कि कहीं इसके खिलाफ बोलने पर उनसे हिंदू वोटर नाराज न हो जाए. वहीं भाजपा इसे लेकर इतनी ज्यादा गंभीर है कि गठबंधन की सरकारों पर भी लव जिहाद को लेकर कानून बनाने को लेकर दबाव डाल रही है. आइए जानते हैं क्या है लव जिहाद और क्यों इसे लेकर भाजपा कानून बनाने की बात कर रही है. साथ ही कांग्रेस क्यों इसे लेकर भाजपा पर सवाल उठा रही है.

क्या है लव जिहाद ?

लव जिहाद को तब तक मान्यता नहीं मिली थी, जब तक कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया. लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है. लव अंग्रेजी भाषा से लिया गया है और जिहाद अरबी शब्द है. जिहाद का मतलब किसी भी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देना. जब एक धर्म विशेष को मानने वाले छल, फरेब और झूठ का सहारा लेकर अपने प्यार के जाल में दूसरे धर्म की लड़की को फंसाकर उसका धर्मांतरण और फिर शादी करते हैं, तो इसे ही लव जिहाद कहा गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी इसी वर्ष 23 सितंबर के अपने आदेश में कहा था कि केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है. अदालत ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश में एक नवविवाहित जोड़े की याचिका खारिज करते हुए की थी, जिसने पुलिस और महिला के पिता को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे उनके वैवाहिक जीवन में दखल नहीं दें.

कब से लव जिहाद पर हो रही बात?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा सहित इससे जुड़े सभी संगठन पिछले काफी सालों से इसे लेकर सवाल उठाते रहे हैं. शादी के बाद हिंदू लड़कियों की प्रताड़ना और उन्हें छोड़ देने पर हिंदूवादी संगठन 90 के दशक से मुखर हैं मगर 2013 से यह ज्यादा चर्चा में है. हाल ही में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 170 मामलों की एक सूची भी जारी की है जो लव जिहाद के मामले बताए जाते हैं. विहिप के अनुसार प्रत्येक वर्ष 20 हजार से ज्यादा गैर मुस्लिम युवतियां लव जिहाद का शिकार हो जाती हैं. विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने 2012 में कहा था कि गत तीन वर्षों में 2667 हिंदू लड़कियों ने इस्लाम स्वीकार किया तथा इसी बीच 79 लड़कियां वापस हिंदू बनीं तथा दो ईसाई बनीं. यह जो असंतुलन है, वह चिंताजनक है.

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने 2019 में सौंपी थी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.एन. मित्तल ने बताया कि राज्य विधि आयोग ने नवंबर 2019 में ही धर्मांतरण के विषय पर अध्ययन करने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी थी. रिपोर्ट में प्रस्तावित अधिनियम का प्रारूप भी संलग्न किया गया. प्रस्तावित अधिनियम में यह व्यवस्था की गई है कि अगर किसी व्यक्ति के द्वारा लालच देकर, किसी षड्यंत्र के द्वारा, अच्छी शिक्षा का आश्वासन देकर, भय दिखाकर या अन्य किसी भी कारण से किसी व्यक्ति का धर्मांतरण कराया जाता है तो वह विधि के विरुद्ध होगा. वह धर्मांतरण अवैध माना जाएगा. इसमें षड्यंत्र करने वाले के खिलाफ दंड का प्रावधान भी किया गया है.

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु-

  • लालच, षडयंत्र, डर दिखाकर या फिर अन्य कारण से धर्मांतरण गलत.
  • शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन अवैध है.
  • भिन्न धर्मों को मानने वालों की शादी के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट है.
  • धर्म की जानकारी छिपाकर शादी करना अपराध है.
  • स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने के लिए कानूनी प्रक्रिया है.
  • अगर कोई व्यक्ति धोखे से शादी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान.
  • आयोग ने इस मामले में स्वत: ही संज्ञान लेकर अध्ययन किया है.
  • भारत के 10 राज्यों में इस तरह का कानून पहले से ही लागू है.
  • राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों में लागू है.
  • मध्य प्रदेश ने भी अपने कानून में संशोधन करने का फैसला किया है.
  • मध्य प्रदेश ने हमारे प्रस्तावित कानून से भी अधिकांश चीजें ली हैं.
  • पहला राज्य मध्य प्रदेश था, जिसने धर्मांतरण को लेकर अपना कानून बनाया.
  • इसके बाद ओडिशा ने इस बारे में कानून बनाया.

    शादी के लिए धर्मांतरण जरूरी नहीं

    जस्टिस मित्तल कहते हैं कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 25 में व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है. इसका आशय यह है कि कोई भी व्यक्ति कोई भी धर्म अपना सकता है. इसमें कहीं कोई बाधा नहीं है. परंतु जो मामले प्रकाश में आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं. इसमें यह देखा जा रहा है कि कई ईसाई मिशनरी व अन्य लोग लालच देकर लोगों को षड्यंत्र करके, धोखे में रखकर धर्मांतरण के लिए उकसा रहे हैं. कुछ मामले ऐसे भी आते हैं, जिनमें दो व्यक्ति, जो शादी करने वाले हैं, वह विभिन्न धर्मों के होते हैं और केवल शादी करने के लिए धर्मांतरण करते हैं. यह कानूनी रूप से उचित नहीं है. इस बारे में उच्च न्यायालय ने भी हाल ही में एक निर्णय में स्पष्ट रूप से कहा है कि शादी करने के लिए किया गया धर्मांतरण पूरी तरह से अवैध है.

विवाह करने से पहले सार्वजनिक नोटिस जारी होगा

जस्टिस मित्तल ने कहा, "मैं यह भी बता देना चाहता हूं कि अगर कोई दो अलग-अलग धर्मों के व्यक्ति शादी करना चाहते हैं, वे बालिग हैं तो उसके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट 1925 बना हुआ है. इसमें एक प्रक्रिया के तहत विवाह अधिकारी के यहां अपना आवेदन प्रस्तुत करेंगे. उस आवेदन पत्र पर संबंधित पक्ष के माता-पिता को नोटिस जाएगा. एक जनरल नोटिस भी जारी किया जाएगा. अगर किसी को कोई आपत्ति हो तो वह अपनी आपत्ति वहां दर्ज करा सकता है. यह आपत्ति विवाह अधिकारी के समक्ष दर्ज कराई जाएगी. विवाह अधिकारी उन आपत्तियों को दृष्टिगत रखते हुए अपना निर्णय ले सकते हैं."

वधू से जानकारी छुपाने पर भी होगी कार्रवाई

जस्टिस मित्तल ने कहा, "इसमें आपत्ति से मेरा आशय यह है कि बहुत बार प्रकाश में आया है कि कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा है, तलाकशुदा है और उसकी एक से अधिक पत्नियां हैं तो ऐसी दशा में यदि प्रस्तावित वधू से यह बात छुपाई गई है, तो विवाह अधिकारी के पास शिकायत की जा सकती है. उसके खिलाफ दंड का प्रावधान है.

उत्तर प्रदेश में इसी माह बनेगा कानून

जस्टिस मित्तल ने बताया कि मुझे उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इसी माह धर्मांतरण के खिलाफ कानून को मूर्त रूप दे देगी.

हरियाणा सरकार भी सक्रिय

हरियाणा सरकार ने लव जिहाद के मामलों पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश में लव जिहाद के मामलों पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कानून बनाया जाएगा. इसका प्रारूप तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. गृहमंत्री ने मंगलवार को इस संबंध में विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ पहली बैठक की. गृहमंत्री ने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल से भी विचार-विमर्श किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस कानून के बनने से राज्य में किसी भी व्यक्ति द्वारा दबाव, प्रलोभन, किसी प्रकार के षडयंत्र या प्यार से धर्म परिवर्तन करवाने के प्रयास पर रोक लगेगी तथा दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

मध्य प्रदेश सरकार ने कर दिया है एलान

मध्य प्रदेश सरकार ने लव जिहाद को लेकर कानून बनाने का ऐलान पहले ही कर दिया है. शिवराज सरकार लव जिहाद को रोकने के लिए मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्र्य विधेयक-2020 ला रही है. आने वाले विधानसभा सत्र में प्रदेश सरकार इसे सदन में पेश कर सकती है. इस कानून के आने के बाद लव जिहाद के दोषियों के खिलाफ गैर जमानतीय धाराओं में कार्रवाई हो सकेगी. इस कानून में धर्मांतरण और जबरन शादी करवाने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान होगा. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि प्रलोभन, धोखाधड़ी, बहलाकर एवं बलपूर्वक शादी करके धर्मान्तरण करवाने पर 5 साल के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान इस विधेयक में रखा गया है. इस कानून के तहत आरोपी को सजा हो जाने पर शादी शून्य हो जाएगी. इसके साथ ही आरोपी के खिलाफ केस दर्ज होने पर पुलिस बिना किसी वारंट को उसकी गिरफ्तारी कर सकेगी. मदद करने वाले को भी 5 साल की सजा का प्रावधान इस कानून में रखा गया है. कानून बनाए जाने के बाद यह भी प्रावधान होगा कि अगर कोई स्वेच्छा से धर्मांतरण कर शादी करना चाहता है तो उसे 1 महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन देना होगा और यह आवेदन देना अनिवार्य होगा अगर बिना आवेदन किए किसी ने धर्मांतरण कर शादी की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

कर्नाटक सरकार कानून बनाएगी

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की तर्ज पर कर्नाटक सरकार विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून बनाएगी. उन्होंने कहा था कि जब जिहादी हमारी बहनों की गरिमा छीनेंगे, तो हम चुप नहीं रहेंगे. उन्होंने कहा था कि धर्मांतरण के किसी भी कृत्य में शामिल व्यक्ति को कड़ी सजा मिलेगी.

उत्तराखंड में अंतर धार्मिक विवाह पर डंडा

उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव ओम प्रकाश को अंतर धार्मिक विवाह प्रोत्साहन योजना में संशोधन करने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मीडिया कोऑर्डिनेटर दर्शन सिंह रावत ने बताया कि इस योजना को साल 2014 में संशोधित कर नया शासनादेश जारी किया गया था, जिसमें अंतरजातीय और अंतर धार्मिक विवाह पर 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया था, लेकिन अब उत्तराखंड सरकार इसमें बदलाव करने जा रही है. दर्शन सिंह रावत ने बताया कि समाज कल्याण विभाग के इस योजना से मात्र अंतर धार्मिक विवाह के मसले को हटा दिया जाएगा. बाकी यह योजना पहले जैसी ही रहेगी. बता दें कि 18 नवंबर को टिहरी गढ़वाल के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया था. जिसमें लिखा था कि अंतर धार्मिक विवाह, संघ जिला ब्यूरो की ओर से मान्यता प्राप्त मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या देवस्थान में सामान्य रूप से हुआ होना चाहिए.

बिहार में भी उठी मांग

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को बिहार में लव जिहाद के खिलाफ एक कानून लागू करने की वकालत की. सिंह ने कहा कि यदि बिहार सरकार लव जिहाद के खिलाफ एक कानून लेकर आती है तो यह एक बड़ी पहल होगी. मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ऐसा करने की अपील करता हूं. उन्होंने कहा कि लव जिहाद का सांप्रदायिकता से कोई लेना-देना नहीं है. यदि बिहार में एक कानून लागू किया जाएगा, तो यह सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा. सिंह ने कहा कि लव जिहाद न केवल हिंदू समुदाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि हमारे देश में अल्पसंख्यक समुदायों को भी प्रभावित कर रहा है. केरल में ईसाई बड़ी संख्या में हैं और वे भी चिंतित हैं और इस पर चिंता भी जता चुके हैं. सिरो-मालाबार चर्च के एक बयान में इस ओर इशारा किया गया है कि ईसाई लड़कियों को भी निशाना बनाया जाता है और उन्हें प्रताड़ित किया जाता है.

कांग्रेस नेताओं ने उठाए सवाल

  • पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी लव जिहाद को लेकर सवाल उठाते आए हैं. उन्होंने ट्वीट कर लव जिहाद को परिभाषित करने के लिए कहा था. दिग्विजय ने लिखा कि राष्ट्रीय महिला आयोग लव जिहाद को परिभाषित करेगा? यदि आप नहीं कर सकते हैं तो क्या आप अपने कानूनी सलाहकार को परिभाषित करने के लिए कहेंगे? या फिर आप मोदी सरकार में मुख्तार अब्बास नकवी जी को लव जिहाद को परिभाषित करने के लिए भी कह सकते हैं.
  • पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने इस कानून पर सवाल उठाएं हैं. उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा सत्र बुलाएं और स्पीकर का चुनाव कराएं. फिर विधेयक लाएं और उस पर बहस हो. वैसे भी प्रेम ईश्वर की देन है, ये कानून से परे है और बाकी सभी बातें बाबा साहब ने संविधान में लिख दीं हैं. कांग्रेस का आरोप है कि ये सब चुनावी राजनीति का एजेंडा है.
  • छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लव जिहाद पर कानून बनाने के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास कोई काम नहीं है. उन्होंने पूछा कि क्या लव जिहाद का कानून भाजपा नेताओं के बच्चों पर भी लागू होगा, जिन्होंने दूसरे धर्म में शादी की है? इस दौरान उन्होंने मुरली मनोहर जोशी, सुब्रमण्यम स्वामी और लालकृष्ण आडवानी का नाम लिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है, जबकि उन्हें जोड़ने का काम करना चाहिए. एकता की बात करनी चाहिए.
  • राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए भाजपा पर तीखा हमला बोला. गहलोत ने कहा कि लव जिहाद भाजपा द्वारा विभाजित करने एवं सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए निर्मित एक शब्द है. विवाह व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है. इस पर अंकुश लगाने के लिए एक कानून लाना पूरी तरह असंवैधानिक है और यह कानून की किसी भी अदालत में खड़ा नहीं होगा. लव जिहाद का हमारे देश में कोई स्थान नहीं है.
Last Updated : Nov 22, 2020, 12:20 PM IST
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