नई दिल्ली : भारत रत्न से सम्मानित और भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया. प्रणब मुखर्जी के निधन पर UPA-I के मंत्रिमंडल में उनके पूर्व सहयोगी रहे, पूर्व विदेश मंत्री और लेखक कुंवर नटवर सिंह ने उन्हें याद किया.
ईटीवी भारत को दिए एक साक्षात्कार में नटवर सिंह ने प्रणब दा को याद करते हुए कहा कि प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बनने को अपनी सबसे बड़ी गलती मानते थे.
सवाल- आपने प्रणब मुखर्जी के साथ वर्षों तक काम किया. आप उनकी राजनीतिक यात्रा को कैसे देखते हैं?
जवाब - वह अपनी पीढ़ी के सबसे अनुभवी राजनेताओं में से थे. उन्होंने तीन सबसे महत्वपूर्ण विभागों विदेश मंत्रालय, वित्त और रक्षा मंत्रालय को संभाला. वह एक उत्कृष्ट प्रधानमंत्री होते, लेकिन मैं विवरण में नहीं जाऊंगा कि वह प्रधानमंत्री क्यों नहीं बने. वह डॉ. राजेंद्र और डॉ. राधाकृष्णन सहित हमारे पास मौजूद उत्कृष्ट राष्ट्रपतियों में से एक थे.
उन्हें राजनीति का बहुत बड़ा अनुभव था. वह जानते थे कि कठिन परिस्थिति को कैसे संभालना है. वह एक कुशल, सक्षम, बलशाली मंत्री थे और उनका व्यापक सम्मान किया जाता था.
वह कितना कुशल थे, आप इस तथ्य से अंदाजा लगा सकते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने लेकिन, प्रणब मुखर्जी नहीं. उन्होंने राष्ट्र के बारे में सोचा, कांग्रेस पार्टी के बारे में सोचा और उन्होंने सद्भाव में काम करने के लिए स्थिति को समायोजित किया. प्रणब मुखर्जी ऐसे ही थे.
सवाल - लेकिन, क्या वह खुद प्रधानमंत्री बनना चाहते थे?
जवाब - बिल्कुल! इसमें तो कोई शक ही नहीं है और उन्हें क्यों नहीं होना चाहिए?
सवाल - जैसा आपने कहा वह कांग्रेस पार्टी के 'मैन ऑफ ऑल सीजन' थे, जिनकी सेवाएं संकट प्रबंधन के लिए आवश्यक थीं. फिर, उन्हें कैबिनेट, सीडब्ल्यूसी, कांग्रेस संसदीय बोर्ड से क्यों हटा दिया गया?
जवाब - यह बिल्कुल अनुचित था, लेकिन वह दयालु आदमी थे, वह बदला लेने वाले व्यक्ति नहीं थे.
सवाल - क्या आपके पास उनकी कोई यादें हैं, जिन्हें आप साझा करना चाहते हैं?
जवाब - मैं उनसे करीब 6 महीने पहले मिला था. उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने सबसे बड़ी गलती भारत का राष्ट्रपति बनकर की थी. मैंने उससे पूछा क्यों?
उन्होंने कहा, मैं एक सार्वजनिक व्यक्ति हूं. यहां मैं विशाल घर में हूं. मैं अलग-थलग महसूस करता हूं. यहां, मैं सार्वजनिक या अपने दोस्तों से नहीं मिल सकता, जो वीआईपी नहीं हैं. अगर मुझे यह नौकरी स्वीकार नहीं होती, तो मुझे बहुत खुशी होती.
उन्होंने कहा कि हर बार मैंने अपने पैर जमीन पर रखे, मुझे एक उचित प्रोटोकॉल का पालन करना है. कभी-कभी, मैं खुद बनना चाहता हूं. मैं अपने दोस्तों से बात करना चाहता हूं, जो मुझे कभी भी कॉल कर सकेंगे.
सवाल - प्रणब मुखर्जी के परिवार को कोई संदेश देना चाहते थे?
जवाब - मैं चाहता हूं कि उनका जीवन उनसे प्रेरित हो, वह बहुत भाग्यशाली हैं कि वह भारत के सबसे बेहतरीन राष्ट्रपति में से एक हैं, जिन्होंने लगभग 40 साल राजनीति में बिताए.