वॉशिंगटन/नई दिल्ली. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फैसला लिया है कि भारत के साथ साथ अन्य देशों को ईरान से कच्चे तेल के आयात में छूट नहीं मिलेगी.
इन देशों में भारत समेत चीन, जापान, दक्षिण कोरिया व तुर्की हैं. इन सभी देशों पर ईरान से तेल के आयात पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है. यह जानकारी सोमवार को व्हाइट हाउस से दी गई.
गौरतलब है कि ईरान से मिलने वाले कच्चे तेल के आयात की समय सीमा दो मई को समाप्त हो रही है.
आपको बता दें अमेरिका के इस फैसले का मकसद ईरान के राजस्व के स्त्रोत पर रोक लगाना है.
पढ़ेंः अमेरिका ने शरणार्थियों को हिरासत में लेने वाले मिलिशिया सदस्य को किया गिरफ्तार
हालांकि वाशिंगटन ने ईरान से कच्चे तेल का आयात करने वाले देशों के प्रतिबंध की समय सीमा को बढ़ाकर छः महीने तक तेल आयात करने को कहा. यह प्रमुख आठ देश हैं, चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया, ताइवान, तुर्की, इटली और यूनान.
अमेरिका के इस फैसले से ईरान की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ा है. ईरान की मुद्रा का स्तर भी नीचे गिर गया है.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने सोमवार को कहा कि अमेरिका ईरानी सरकार पर दबाव बनाने के अभियान को प्रभावशाली ढंग से तेज करेगा और यह तब तक जारी रहेगा जब तक ईरान के नेता ‘विनाशकारी व्यवहार’बदल नहीं लेते है, अपने लोगों के अधिकारों का सम्मान नहीं करने लग जाते और बातचीत की मेज़ पर नहीं बैठ जाते.
पोम्पिओ की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस घोषणा के बाद आई है कि उनका प्रशासन ईरान से तेल आयात करने वाले देशों को अतिरिक्त ‘महत्वपूर्ण कटौती अपवाद ’ जारी नहीं करेगा.
पोम्पिओ ने प्रेस वार्ता में कहा कि ट्रंप प्रशासन ईरान के तेल निर्यात को ऐतिहासिक निचले स्तर पर ले गया है और हम हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए योजनबद्ध तरीके से और प्रभावशाली ढ़ंग से दबाव अभियान को तेज कर रहे हैं. साथ में दुनिया के तेल बाजार में तेल की आपूर्ति को अच्छी तरह से बरकरार रख रहे हैं।
विदेश मंत्री ने ईरान से तेल आयात करने वाले देशों को चेतावनी दी.