नई दिल्ली : लोकसभा में वाईएसआरसीपी के सदस्य तालारी रंगैय्या, राकांपा के श्रीनिवास दादासाहब पाटिल और भाजपा की संघमित्रा मौर्य के पूरक प्रश्नों के उत्तर में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि किसान रेल की सेवा किसानों एवं कृषक समुदाय से प्राप्त मांग पर आधारित होती हैं.
वैष्णव ने कहा कि किसान रेल छोटे किसानों के लिये काफी अच्छी और लाभकारी है और इससे खाद्यान्न एवं अन्य चीजों की बर्बादी काफी कम हुई. इस पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि किसान रेल के माध्यम से ढुलाई की कुल लागत ट्रक की तुलना में काफी प्रतस्पर्धी है.
रेल मंत्री ने इन आरोपों को खारिज किया कि किसान रेल से किसान नहीं जुड़े हैं.
उन्होंने कहा कि सब्जी, फलों और अन्य खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन के लिये संभावित सर्किट मुख्य रूप से किसानों एवं कृषक समुदाय से प्राप्त मांग पर आधारित होते हैं.
वैष्णव ने कहा कि सब्जियों, मछलियों आदि की ढुलाई के लिये रेफ्रिजरेटर युक्त कंटेनर का उपयोग किया जाता है जबकि दूध की ढुलाई के लिये ऐसे ही टैंक का उपयोग किया जाता है.
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उन्होंने लिखित उत्तर में बताया कि सात अगस्त 2020 को पहली किसान रेल गाड़ी शुरू होने के बाद से 28 नवंबर 2021 तक भारतीय रेल ने 1,642 किसान रेलगाड़ियां चलाई हैं. इससे लगभग 220 करोड़ रुपये का कुल राजस्व अर्जित किया गया है.
प्रश्नकाल में वाईएसआरसीपी के सदस्य तालारी रंगैय्या ने पूछा था कि किसान रेल का ब्यौरा क्या है? क्या यह सफलतापूर्वक चल रही है और अब तक कुल कितना राजस्व अर्जित किया गया है.
भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने पूछा था कि उत्तर प्रदेश का देश में खाद्यान्न, पशुधन, सब्जी, मक्का, धान उत्पादन में अग्रणी स्थान है, ऐसे में राज्य में किसान रेल कहां-कहां से गुजरती है?
(एजेंसी इनपुट)