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क्या हैं कैप्टन का गेम प्लान, जिसे पंजाब विधानसभा चुनाव में आजमाने वाले हैं ?

कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से इस्तीफे के बाद से ही नई पॉलिटिकल पार्टी बनाने का इरादा जाहिर करते रहे हैं. बुधवार को उन्होंने कन्फर्म कर दिया कि पंजाब विधानसभा चुनाव में उनकी नई पार्टी उतरेगी. जानिए कैप्टन का गेम प्लान क्या है, जिसके सहारे वह कांग्रेस का सिरदर्द बनेंगे.

amarinder singh will launch new party
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Published : Oct 27, 2021, 4:31 PM IST

हैदराबाद : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को उम्मीद के मुताबिक नई पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया. उन्होंने पार्टी के नाम की घोषणा तो नहीं की, मगर यह सामने आया है कि नए दल में कांग्रेस जुड़ा होगा. कुल मिलाकर बंगाल और महाराष्ट्र की तरह पंजाब को भी कांग्रेस नाम वाला दल मिलने वाला है.

  • #WATCH | Capt Amarinder Singh speaks on Sidhu's tweet on him, "He knows nothing, talks too much, doesn't have brains. I never spoke to Amit Shah or Dhindsa over this, but I'll. I want to be strong to fight Cong,SAD,AAP. I'll talk to them,we'll put up united front to defeat these" pic.twitter.com/gCZbggRivK

    — ANI (@ANI) October 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावा किया कि अगले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. मगर यह बताना नहीं भूले कि वह कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी से मुकाबले के लिए संयुक्त मोर्चा बनाएंगे. इस मोर्चे में सुखदेव सिंह ढींढसा वाला शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) और भारतीय जनता पार्टी भी होगी.

कैप्टन अमरिंदर का नया दल कितना ताकतवर होगा

कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी का चुनावी परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा है. आजादी के बाद से शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ही सरकार बनाती रही है. अन्य दल या नए दल इस राज्य में सपोर्टिंग रोल या विपक्ष में ही रहे हैं. 1996 में बसपा ने शिरोमणी अकाली दल से गठबंधन किया था, मगर तब बीएसपी सपोर्टिंग पार्टी ही रही. देश की राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी भी अकाली दल के साथ करीब 25 साल तक जूनियर पार्टनर ही रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 20 सीटें मिलीं. हालांकि उससे पहले 2014 में वह लोकसभा चुनाव में 4 लोकसभा सीट जीत चुकी थी. 2019 में आप को सिर्फ एक लोकसभा सीट मिली थी.

अमरिंदर सिंह 1992 में अकाली दल से अलग होने के बाद शिरोमणि अकाली दल पंथिक बनाई बनाई थी. तब हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें खुद 856 वोट मिले थे. इस पर आज भी सिद्धू ने चुटकी ले ली.

  • You wanted to close doors on me, as i was raising voice of the People, speaking truth to power !
    Last time you formed your own party, you lost your ballot, garnering only 856 votes … People of Punjab are again waiting to punish you for compromising on the interests of Punjab !!

    — Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) October 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

यह बात अलग है कि तब कैप्टन का कद प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री का था. 1997 के बाद उन्होंने सांसद और 9.5 साल तक सीएम रहने का अनुभव हासिल कर लिया है. इसके अलावा अब 30 साल में पंजाब की राजनीति भी बदल गई है. आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद शिरोमणि अकाली दल का कद कम हुआ है. बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद हिंदू वोटों का हिसाब-किताब भी बदल गया है. कांग्रेस भी अंतर्कलह से जूझ रही है.

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अमित शाह के साथ कैप्टन अमरिंदर. फाइल फोटो

लोगों की पसंद में आज भी सिद्धू से ऊपर हैं कैप्टन

अक्टूबर में एबीपी न्यूज सी-वोटर के सर्वे से यह सामने आया था कि सीएम पद को लेकर अरविंद केजरीवाल पहली पसंद हैं. जबकि उनकी पार्टी के भगवंत मान को 16 पर्सेंट लोग सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं. सर्वे में शामिल 18 प्रतिशत लोगों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को दोबारा सीएम बनाने का समर्थन किया. नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री बनने का समर्थन 15 फीसदी लोगों ने ही किया.

अभी क्या है कैप्टन का सियासी प्लान

पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि कैप्टन ने गठबंधन का रास्ता तो खोल रखा है, मगर इसकी शक्ल थोड़ी अलग होगी. वह उन सीटों पर कैंडिडेट नहीं उतारेंगे, जहां बीजेपी की स्थिति मजबूत होगी. हालांकि वह शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ खुले तौर पर गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं. अभी तक के चुनावी सर्वेक्षण में आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब जाती दिख रही है. कांग्रेस 40 के अंदर सिमट सकती है. कैप्टन का इरादा इतनी सीट हासिल करने का है, जो सरकार बनाने में निर्णायक साबित हो.

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किसान नेताओं के साथ कैप्टन. फाइल फोटो

एमएसपी बन सकता है ट्रंप कार्ड

सियासी हलकों में यह उम्मीद जताई जा रही है कि कैप्टन अमरिंदर भारतीय जनता पार्टी से चुनावी साझेदारी से पहले किसान बिल में संशोधन के लिए केंद्र को राजी करने का प्रयास करेंगे. इसमें किसानों की पुरानी मांग एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी शामिल है. अगर अमरिंदर सिंह अपने प्रयास में सफल होते हैं तो यह ट्रंप कार्ड भी साबित हो सकता है.

हैदराबाद : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को उम्मीद के मुताबिक नई पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया. उन्होंने पार्टी के नाम की घोषणा तो नहीं की, मगर यह सामने आया है कि नए दल में कांग्रेस जुड़ा होगा. कुल मिलाकर बंगाल और महाराष्ट्र की तरह पंजाब को भी कांग्रेस नाम वाला दल मिलने वाला है.

  • #WATCH | Capt Amarinder Singh speaks on Sidhu's tweet on him, "He knows nothing, talks too much, doesn't have brains. I never spoke to Amit Shah or Dhindsa over this, but I'll. I want to be strong to fight Cong,SAD,AAP. I'll talk to them,we'll put up united front to defeat these" pic.twitter.com/gCZbggRivK

    — ANI (@ANI) October 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दावा किया कि अगले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. मगर यह बताना नहीं भूले कि वह कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी से मुकाबले के लिए संयुक्त मोर्चा बनाएंगे. इस मोर्चे में सुखदेव सिंह ढींढसा वाला शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) और भारतीय जनता पार्टी भी होगी.

कैप्टन अमरिंदर का नया दल कितना ताकतवर होगा

कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी का चुनावी परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा है. आजादी के बाद से शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ही सरकार बनाती रही है. अन्य दल या नए दल इस राज्य में सपोर्टिंग रोल या विपक्ष में ही रहे हैं. 1996 में बसपा ने शिरोमणी अकाली दल से गठबंधन किया था, मगर तब बीएसपी सपोर्टिंग पार्टी ही रही. देश की राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी भी अकाली दल के साथ करीब 25 साल तक जूनियर पार्टनर ही रही. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 20 सीटें मिलीं. हालांकि उससे पहले 2014 में वह लोकसभा चुनाव में 4 लोकसभा सीट जीत चुकी थी. 2019 में आप को सिर्फ एक लोकसभा सीट मिली थी.

अमरिंदर सिंह 1992 में अकाली दल से अलग होने के बाद शिरोमणि अकाली दल पंथिक बनाई बनाई थी. तब हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें खुद 856 वोट मिले थे. इस पर आज भी सिद्धू ने चुटकी ले ली.

  • You wanted to close doors on me, as i was raising voice of the People, speaking truth to power !
    Last time you formed your own party, you lost your ballot, garnering only 856 votes … People of Punjab are again waiting to punish you for compromising on the interests of Punjab !!

    — Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) October 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

यह बात अलग है कि तब कैप्टन का कद प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री का था. 1997 के बाद उन्होंने सांसद और 9.5 साल तक सीएम रहने का अनुभव हासिल कर लिया है. इसके अलावा अब 30 साल में पंजाब की राजनीति भी बदल गई है. आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद शिरोमणि अकाली दल का कद कम हुआ है. बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद हिंदू वोटों का हिसाब-किताब भी बदल गया है. कांग्रेस भी अंतर्कलह से जूझ रही है.

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अमित शाह के साथ कैप्टन अमरिंदर. फाइल फोटो

लोगों की पसंद में आज भी सिद्धू से ऊपर हैं कैप्टन

अक्टूबर में एबीपी न्यूज सी-वोटर के सर्वे से यह सामने आया था कि सीएम पद को लेकर अरविंद केजरीवाल पहली पसंद हैं. जबकि उनकी पार्टी के भगवंत मान को 16 पर्सेंट लोग सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं. सर्वे में शामिल 18 प्रतिशत लोगों ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को दोबारा सीएम बनाने का समर्थन किया. नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री बनने का समर्थन 15 फीसदी लोगों ने ही किया.

अभी क्या है कैप्टन का सियासी प्लान

पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि कैप्टन ने गठबंधन का रास्ता तो खोल रखा है, मगर इसकी शक्ल थोड़ी अलग होगी. वह उन सीटों पर कैंडिडेट नहीं उतारेंगे, जहां बीजेपी की स्थिति मजबूत होगी. हालांकि वह शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ खुले तौर पर गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं. अभी तक के चुनावी सर्वेक्षण में आम आदमी पार्टी सत्ता के करीब जाती दिख रही है. कांग्रेस 40 के अंदर सिमट सकती है. कैप्टन का इरादा इतनी सीट हासिल करने का है, जो सरकार बनाने में निर्णायक साबित हो.

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किसान नेताओं के साथ कैप्टन. फाइल फोटो

एमएसपी बन सकता है ट्रंप कार्ड

सियासी हलकों में यह उम्मीद जताई जा रही है कि कैप्टन अमरिंदर भारतीय जनता पार्टी से चुनावी साझेदारी से पहले किसान बिल में संशोधन के लिए केंद्र को राजी करने का प्रयास करेंगे. इसमें किसानों की पुरानी मांग एमएसपी पर लिखित आश्वासन भी शामिल है. अगर अमरिंदर सिंह अपने प्रयास में सफल होते हैं तो यह ट्रंप कार्ड भी साबित हो सकता है.

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