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कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम आयु सीमा बढ़ाना शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन नहीं : KVS

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Published : Mar 26, 2022, 7:07 PM IST

केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल करने का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में है. हाई कोर्ट ने केंद्रीय विद्यालय संगठन से जवाब मांगा था. केवीएस ने हलफनामे में कहा है कि न्यूनतम आयु सीमा बढ़ाना शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन नहीं है. पढ़ें पूरी खबर.

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दिल्ली हाई कोर्ट

नई दिल्ली: केंद्रीय विद्यालय ने कहा है कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक होनी चाहिए. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल करने से शिक्षा के अधिकार कानून का कोई उल्लंघन नहीं होता है. 16 मार्च को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने हाईकोर्ट से कहा था कि कक्षा एक में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई है. रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 21 मार्च से बढ़ाकर 11 अप्रैल कर दी गई है.

दरअसल हाईकोर्ट केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा सात साल से बढ़ाकर आठ साल करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा सात साल से बढ़ाकर आठ साल करने के आदेश का बचाव करते कहा था कि ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया गया है. केंद्र सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर केंद्रीय विद्यालय को लागू करना अनिवार्य है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पैराग्राफ 4.1 के मुताबिक 5+3+3+4 का प्रावधान किया गया है.

इसके तहत तीन से आठ साल तक फाउंडेशन चरण होगा. पहला तीन साल आंगनबाड़ी या प्री-स्कूल का, दो साल प्राइमरी स्कूल का जैसे कक्षा एक से दो तक. केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करें. 21 राज्य ऐसे हैं जहां पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र छह साल रखी गई है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि केंद्रीय विद्यालय के मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है. दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली में पहली कक्षा में दाखिले के लिए उम्र पांच वर्ष से छह वर्ष तक की है. आठ मार्च को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया था. याचिका आरिन नामक छात्रा की ओर से दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है.

पढ़ें- केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक के दाखिले की उम्रसीमा बढ़ाने पर HC ने मांगा जवाब

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के आदेश से छात्रों के अभिभावक परेशान हैं. पिछले 4 मार्च को केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से कहा गया था कि याचिकाकर्ता को नई शिक्षा नीति को चुनौती देनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि वो नई शिक्षा नीति को चुनौती नहीं दे रहे हैं क्योंकि पहले तो वो कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं है और दूसरा यह कि नई शिक्षा नीति में पहली कक्षा के लिए न्यूनतम उम्र सीमा छह साल से ज्यादा करने का जिक्र कहीं नहीं है. अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन नई शिक्षा नीति की गलत व्याख्या कर रही है. बता दें कि केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए पहले उम्र सीमा पांच से सात साल थी जो अब छह से आठ साल कर दी गई है.

नई दिल्ली: केंद्रीय विद्यालय ने कहा है कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक होनी चाहिए. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल करने से शिक्षा के अधिकार कानून का कोई उल्लंघन नहीं होता है. 16 मार्च को केंद्रीय विद्यालय संगठन ने हाईकोर्ट से कहा था कि कक्षा एक में दाखिले के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि बढ़ा दी गई है. रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 21 मार्च से बढ़ाकर 11 अप्रैल कर दी गई है.

दरअसल हाईकोर्ट केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा सात साल से बढ़ाकर आठ साल करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. पहले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में दाखिले की न्यूनतम उम्र सीमा पांच साल से बढ़ाकर छह साल और अधिकतम आयु सीमा सात साल से बढ़ाकर आठ साल करने के आदेश का बचाव करते कहा था कि ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया गया है. केंद्र सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर केंद्रीय विद्यालय को लागू करना अनिवार्य है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पैराग्राफ 4.1 के मुताबिक 5+3+3+4 का प्रावधान किया गया है.

इसके तहत तीन से आठ साल तक फाउंडेशन चरण होगा. पहला तीन साल आंगनबाड़ी या प्री-स्कूल का, दो साल प्राइमरी स्कूल का जैसे कक्षा एक से दो तक. केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करें. 21 राज्य ऐसे हैं जहां पहली कक्षा में दाखिले के लिए न्यूनतम उम्र छह साल रखी गई है. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि केंद्रीय विद्यालय के मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है. दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली में पहली कक्षा में दाखिले के लिए उम्र पांच वर्ष से छह वर्ष तक की है. आठ मार्च को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया था. याचिका आरिन नामक छात्रा की ओर से दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन का आदेश मनमाना और गैरकानूनी है.

पढ़ें- केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक के दाखिले की उम्रसीमा बढ़ाने पर HC ने मांगा जवाब

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के आदेश से छात्रों के अभिभावक परेशान हैं. पिछले 4 मार्च को केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से कहा गया था कि याचिकाकर्ता को नई शिक्षा नीति को चुनौती देनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि वो नई शिक्षा नीति को चुनौती नहीं दे रहे हैं क्योंकि पहले तो वो कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं है और दूसरा यह कि नई शिक्षा नीति में पहली कक्षा के लिए न्यूनतम उम्र सीमा छह साल से ज्यादा करने का जिक्र कहीं नहीं है. अशोक अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन नई शिक्षा नीति की गलत व्याख्या कर रही है. बता दें कि केंद्रीय विद्यालय में दाखिले के लिए पहले उम्र सीमा पांच से सात साल थी जो अब छह से आठ साल कर दी गई है.

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