ETV Bharat / sukhibhava

विश्व हाइपरटेंशन दिवस 2022: भारत में आठ करोड़ से ज्यादा पीड़ित

एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साइलेंट किलर माने जाने वाले रोग उच्च रक्तचाप से लगभग 33 प्रतिशत शहरी और 25 प्रतिशत ग्रामीण आबादी पीड़ित है. मुख्यतः जीवन शैली जनित समस्याओं में से एक मानी जाने वाली उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की समस्या गंभीर होने पर कई और रोगों का कारण भी बन सकती है. इस बीमारी की गंभीरता, बचाव तथा उपचार को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनियाभर में 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है.

world hypertension day 2022 theme,  world hypertension day 2022,  what is hypertension,  what are the causes of hypertension, high blood pressure causes, how to control high blood pressure
विश्व हाइपरटेंशन दिवस 2022
author img

By

Published : May 17, 2022, 10:40 AM IST

Updated : May 17, 2022, 11:13 AM IST

वैश्विक आंकड़ों की माने तो दुनियाभर में इस समय लगभग 128 करोड़ लोग हाइपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं, जिनमें से अकेले भारत में इस समस्या से पीड़ितों की संख्या आठ करोड़ से ज्यादा हैं. गौरतलब है कि हाइपरटेंशन के कारण लोगों में हृदय रोग व स्ट्रोक जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं यदि इस रोग को लेकर लापरवाही बरती जाए तो पीड़ित की मौत भी हो सकती है.

हाइपरटेंशन को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में हर साल एक विशेष थीम पर विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है . इस वर्ष विश्व हाइपरटेंशन दिवस 2022 के लिए ‘मेज़र योर ब्लड प्रेशर एक्युरेटली, कंट्रोल इट, लिव लॉन्गर’ यानी 'अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें' थीम चुनी गई है. . गौरतलब है कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत द वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग ने वर्ष 2005 से की थी , जिसके बाद वर्ष 2006 से हर साल 17 मई को ये दिन मनाया जाता है.

क्या है हाइपरटेंशन
सामान्य भाषा में उच्च रक्तचाप या है बीपी के नाम से प्रचलित हाइपरटेंशन समस्या में धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है, जिससे धमनियों में रक्तप्रवाह प्रभावित होने लगता है. धमनियों में रक्त का प्रवाह को सही तथा सुचारु बनाए रखने के लिये इस अवस्था में दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है. जो कई बार कुछ समस्याओं का कारण भी बन सकता है.

गौरतलब है कि रक्तचाप दो माप पर आधारित होता है. सिस्टोलिक और डायस्टोलिक. आमतौर पर 140/90 से ऊपर के रक्तचाप को अति तनाव/ हाई बीपी/हाइपरटेंशन कहा जाता है. लेकिन यह दबाव अगर और ज्यादा बढ़ जाए और 180/120 से ऊपर पहुँच जाए तो यह जीवन के लिए संकट भी बन सकता है.

आयुर्वेद की नजर से हाइपरटेंशन
मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मनीषा काले बताती हैं कि आयुर्वेद में हाई ब्लड प्रेशर के लिए पित्त और वात दोष को कारण माना जाता है, तथा इन दोषों के बढ़ने लिए ज्यादा मात्रा में तथा नियमित रूप से गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन के सेवन , व्यायाम ना करने या शारीरिक सक्रियता में कमी, तथा चिंता, तनाव या अवसाद जैसी मानसिक अवस्थाओं को जिम्मेदार माना जाता है.

वह बताती है की इस समस्या से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार बहुत जरूरी है. जैसे सही समय पर हल्का सुपाच्य ताजा आहार ग्रहण करें, समय पर सोये तथा जागे, नियमित व्यायाम करें तथा तथा तनाव से बचने का हर संभव प्रयास करें.

वह बताती हैं कि वैसे तो हाई ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक इलाज में औषधियों की मदद से पित्त और वात दोषों, दोनों को ही संतुलित करने के लिए सर्पगंधा, जटामांसी, शंखपुष्पी आदि आयुर्वेदिक औषधियां के सेवन की सलाह दी जाती है, लेकिन बहुत जरूरी है कि उपचार चाहे आयुर्वेदिक हो, एलोपैथिक हो या होम्योपैथिक बिना चिकित्सक से परामर्श लिए नही लेने चाहिए.

किशोरों में बढ़ रहें हैं मामले
विश्व हाइपरटेंशन दिवस को मनाने की जरूरत आज के दौर में इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि पिछले कुछ समय में कम उम्र के युवाओं में भी इसका प्रभाव काफी ज्यादा नजर आने लगा है.

पहले के समय में इसे बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता था . आंकड़ों की माने तो अभी भी सामान्य तौर पर 60 साल के बाद करीब 50 प्रतिशत लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं. लेकिन अब कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार होन लगे हैं. आंकड़ों की माने तो इस समय भारत में लगभग 7.6% किशोर हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं. डॉ मनीषा बताती हैं कि किशोरों में इस समस्या को होने से रोका जा सके इसके लिए बहुत जरूरी है की उन्हे जीवनशैली संबंधित अच्छी आदतों जैसे दिनचर्या में अनुशासन, स्वास्थ्य खान पान तथा व्यायाम को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाय. इसके अलावा उनकी नियमित स्वास्थ्य जांच भी करानी चाहिए. यदि किशोरावस्था में ही इसकी पुष्टि हो जाती है तो कुछ जरूरी आदतों को दिनचर्या में शामिल करके तथा उपचार की मदद से इस रोग के प्रभावों से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है.

हाइपरटेंशन से बचाव व उसके होने की अवस्था में क्या करें
हमारे विशेषज्ञ के अनुसार हाइपरटेंशन होने से बचने तथा उसके शरीर पर प्रभाव को कम करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना तथा कुछ सावधानियों को अपना फायदेमंद हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.

  • दिनचर्या नियमित करें, जिसमें खाने का समय, सोने का समय तथा व्यायाम का समय निश्चित हो.
  • आहार संबंधी अनुशासन का पालन करें , यानी समय पर खाएं, सही खाएं तथा नियंत्रित मात्रा में खाएं.साथ ही जहां तक संभव हो तेज नमक वाले आहार, ज्यादा मिर्चमसालों वाले तथा पैक्ड व प्रॉसेस्ड़ आहार से परहेज करें. साथ ही इस अवस्था में सामान्य नमक के स्थान पर सेंधा नमक का सेवन ज्यादा बेहतर होता है.
  • दूध में हल्दी और दालचीनी का प्रयोग करें, तथा भोजन में लहसुन की मात्रा बढ़ाएं.
  • खाने में हरी सब्ज़ियों और फलों की मात्रा बढ़ाएं.
  • दिन भर में जरूरी मात्रा में पानी पीते रहें . इसके अलावा छाछ, दूध तथा नारियल पानी का सेवन भी लाभकारी हो सकता है.
  • हाइपरटेंशन में योग आसनों तथा मेडिटेशन विशेषकर प्राणायाम का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है. इस समस्या की पीड़ितों को चिंता और गुस्से से दूरी बना कर रखनी चाहिए जिसमें मेडिटेशन का अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकता है.

पढ़ें: गर्भावस्था में हाइपरटेंशन, सावधानी जरूरी

वैश्विक आंकड़ों की माने तो दुनियाभर में इस समय लगभग 128 करोड़ लोग हाइपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप की समस्या से जूझ रहे हैं, जिनमें से अकेले भारत में इस समस्या से पीड़ितों की संख्या आठ करोड़ से ज्यादा हैं. गौरतलब है कि हाइपरटेंशन के कारण लोगों में हृदय रोग व स्ट्रोक जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं यदि इस रोग को लेकर लापरवाही बरती जाए तो पीड़ित की मौत भी हो सकती है.

हाइपरटेंशन को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में हर साल एक विशेष थीम पर विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है . इस वर्ष विश्व हाइपरटेंशन दिवस 2022 के लिए ‘मेज़र योर ब्लड प्रेशर एक्युरेटली, कंट्रोल इट, लिव लॉन्गर’ यानी 'अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें' थीम चुनी गई है. . गौरतलब है कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत द वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग ने वर्ष 2005 से की थी , जिसके बाद वर्ष 2006 से हर साल 17 मई को ये दिन मनाया जाता है.

क्या है हाइपरटेंशन
सामान्य भाषा में उच्च रक्तचाप या है बीपी के नाम से प्रचलित हाइपरटेंशन समस्या में धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है, जिससे धमनियों में रक्तप्रवाह प्रभावित होने लगता है. धमनियों में रक्त का प्रवाह को सही तथा सुचारु बनाए रखने के लिये इस अवस्था में दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है. जो कई बार कुछ समस्याओं का कारण भी बन सकता है.

गौरतलब है कि रक्तचाप दो माप पर आधारित होता है. सिस्टोलिक और डायस्टोलिक. आमतौर पर 140/90 से ऊपर के रक्तचाप को अति तनाव/ हाई बीपी/हाइपरटेंशन कहा जाता है. लेकिन यह दबाव अगर और ज्यादा बढ़ जाए और 180/120 से ऊपर पहुँच जाए तो यह जीवन के लिए संकट भी बन सकता है.

आयुर्वेद की नजर से हाइपरटेंशन
मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मनीषा काले बताती हैं कि आयुर्वेद में हाई ब्लड प्रेशर के लिए पित्त और वात दोष को कारण माना जाता है, तथा इन दोषों के बढ़ने लिए ज्यादा मात्रा में तथा नियमित रूप से गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन के सेवन , व्यायाम ना करने या शारीरिक सक्रियता में कमी, तथा चिंता, तनाव या अवसाद जैसी मानसिक अवस्थाओं को जिम्मेदार माना जाता है.

वह बताती है की इस समस्या से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार बहुत जरूरी है. जैसे सही समय पर हल्का सुपाच्य ताजा आहार ग्रहण करें, समय पर सोये तथा जागे, नियमित व्यायाम करें तथा तथा तनाव से बचने का हर संभव प्रयास करें.

वह बताती हैं कि वैसे तो हाई ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक इलाज में औषधियों की मदद से पित्त और वात दोषों, दोनों को ही संतुलित करने के लिए सर्पगंधा, जटामांसी, शंखपुष्पी आदि आयुर्वेदिक औषधियां के सेवन की सलाह दी जाती है, लेकिन बहुत जरूरी है कि उपचार चाहे आयुर्वेदिक हो, एलोपैथिक हो या होम्योपैथिक बिना चिकित्सक से परामर्श लिए नही लेने चाहिए.

किशोरों में बढ़ रहें हैं मामले
विश्व हाइपरटेंशन दिवस को मनाने की जरूरत आज के दौर में इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि पिछले कुछ समय में कम उम्र के युवाओं में भी इसका प्रभाव काफी ज्यादा नजर आने लगा है.

पहले के समय में इसे बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता था . आंकड़ों की माने तो अभी भी सामान्य तौर पर 60 साल के बाद करीब 50 प्रतिशत लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं. लेकिन अब कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार होन लगे हैं. आंकड़ों की माने तो इस समय भारत में लगभग 7.6% किशोर हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं. डॉ मनीषा बताती हैं कि किशोरों में इस समस्या को होने से रोका जा सके इसके लिए बहुत जरूरी है की उन्हे जीवनशैली संबंधित अच्छी आदतों जैसे दिनचर्या में अनुशासन, स्वास्थ्य खान पान तथा व्यायाम को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाय. इसके अलावा उनकी नियमित स्वास्थ्य जांच भी करानी चाहिए. यदि किशोरावस्था में ही इसकी पुष्टि हो जाती है तो कुछ जरूरी आदतों को दिनचर्या में शामिल करके तथा उपचार की मदद से इस रोग के प्रभावों से काफी हद तक राहत पाई जा सकती है.

हाइपरटेंशन से बचाव व उसके होने की अवस्था में क्या करें
हमारे विशेषज्ञ के अनुसार हाइपरटेंशन होने से बचने तथा उसके शरीर पर प्रभाव को कम करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना तथा कुछ सावधानियों को अपना फायदेमंद हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.

  • दिनचर्या नियमित करें, जिसमें खाने का समय, सोने का समय तथा व्यायाम का समय निश्चित हो.
  • आहार संबंधी अनुशासन का पालन करें , यानी समय पर खाएं, सही खाएं तथा नियंत्रित मात्रा में खाएं.साथ ही जहां तक संभव हो तेज नमक वाले आहार, ज्यादा मिर्चमसालों वाले तथा पैक्ड व प्रॉसेस्ड़ आहार से परहेज करें. साथ ही इस अवस्था में सामान्य नमक के स्थान पर सेंधा नमक का सेवन ज्यादा बेहतर होता है.
  • दूध में हल्दी और दालचीनी का प्रयोग करें, तथा भोजन में लहसुन की मात्रा बढ़ाएं.
  • खाने में हरी सब्ज़ियों और फलों की मात्रा बढ़ाएं.
  • दिन भर में जरूरी मात्रा में पानी पीते रहें . इसके अलावा छाछ, दूध तथा नारियल पानी का सेवन भी लाभकारी हो सकता है.
  • हाइपरटेंशन में योग आसनों तथा मेडिटेशन विशेषकर प्राणायाम का अभ्यास फायदेमंद हो सकता है. इस समस्या की पीड़ितों को चिंता और गुस्से से दूरी बना कर रखनी चाहिए जिसमें मेडिटेशन का अभ्यास काफी फायदेमंद हो सकता है.

पढ़ें: गर्भावस्था में हाइपरटेंशन, सावधानी जरूरी

Last Updated : May 17, 2022, 11:13 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.