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World Birth Defects Day : जन्मजात विकारों के बारे में जागरुकता जरूरी - newborn baby health

दुनिया भर में जन्म दोषों के चलते होने वाली जनहानि, रुग्णता तथा विकलांगता पर नियंत्रण के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा अन्य संस्थाओं द्वारा तीन मार्च को विश्व जन्म दोष दिवस (World Birth Defects Day 2022) मनाया जाता है.

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जन्मजात विकारों के बारे में जागरूकता जरूरी: विश्व जन्म दोष दिवस
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Published : Mar 3, 2022, 5:23 PM IST

किसी विकार या रोग के साथ जन्म लेना कई बार बच्चे के जीवन पर संकट का कारण बन जाता है. आंकड़ों की मानें तो दुनिया भर में हर साल बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे मृत्यु का शिकार बन जाते हैं या फिर उन्हें लंबे समय तक या आजीवन विकलांगता या समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक सूचना के अनुसार भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार और नेपाल में अस्पतालों में 2021 में 40 लाख बच्चों का जन्म दर्ज हुआ, जिनमें से 45 हजार में जन्मजात विकार मिले था. गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा वर्ष 2014 से इन देशों के अस्पतालों में होने वाले प्रसव से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए गए हैं.

जन्मजात दोषों के कारण बच्चों को मृत्यु या जटिल रोगों का सामना ना करना पड़े, इस उद्देश्य को लेकर दुनिया भर में तीन मार्च को विश्व जन्म दोष दिवस (World Birth Defects Day 2022) मनाया जाता है. इस वर्ष भी विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा उसकी सहयोगी संस्थाओं तथा देशों द्वारा विश्व जन्म दोष दिवस के अवसर पर वैश्विक स्तर पर सभी जन्मजात विकारों के बारे में जागरुकता फैलाने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल व उपचार तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया गया है.

विश्व जन्म दोष दिवस के अवसर पर दक्षिण-पूर्व एशिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने इस विकार से जुड़े आंकड़ों के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि जन्मजात विकार दक्षिण-पूर्व एशिया में बच्चों की मौत का तीसरा, जबकि नवजातों की मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है. सूचना के अनुसार, 12 फीसदी नवजातों की मौत के लिए जन्म दोष ही जिम्मेदार होते हैं. सिर्फ मृत्यु ही नहीं जन्म दोष के कारण बच्चों में लंबी बीमारी या विकलांगता की समस्या भी हो सकती है.

क्या हैं जन्म दोष समस्याएं
जन्मदोष समस्याएं वह होती हैं जो बच्चे को जन्म से पूर्व मां के गर्भ में ही अपने प्रभाव में ले लेती हैं. आमतौर पर माना जाता है कि ज्यादातर जन्मजात विकार गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान हो जाते हैं. वैसे तो जन्मजात रोगों या विकारों के लिये मुख्यतः आनुवंशिकता को जिम्मेदार माना जाता है लेकिन कई बार फॉलिक एसिड की कमी, गर्भावस्था के दौरान मां को किसी प्रकार का संक्रमण या रोग होना, गर्भावस्था के दौरान ज्यादा शराब पीने या धूम्रपान करना, इस अवधि में मधुमेह या किसी अन्य कोमोरबीटी के कारण, गर्भावस्था में ली गई किसी दवाई या उपचार के पार्श्व प्रभाव के कारण या कई बार बड़ी उम्र में गर्भधारण करने के कारण भी मां के गर्भ में बच्चे को रोग या समस्याएं प्रभावित कर सकती हैं.

कौन से होते हैं जन्मजात दोष
चिकित्सकों तथा जानकारों द्वारा बताए गए आम तथा दुर्लभ जन्मजात दोष इस प्रकार हैं:-

  • दिल में छेद
  • हृदय की बनावट में विकार
  • न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट
  • थैलेसीमिया
  • शारीरिक विकलांगता
  • सिफलिस या उपदंश
  • हर्निया
  • क्लब फुट
  • हिप डिस्पलेसिया
  • कटे हॉट या तालू
  • सेरेब्रल पाल्सी
  • हार्ट मर्मर
  • डॉउन सिंड्रोम
  • फोकोमेलिया सिंड्रोम
  • कौडल रिगरेशन सिंड्रोम
  • माइक्रो सेफली
  • पोलेंड सिंड्रोम
  • कैनियोंफ्रंटोंनेजल डिस्पलेसिया
  • बैलर गेरोल्ड सिंड्रोम
  • एपर्ड सिंड्रोम
  • फाइन्स सिंड्रोम आदि.

योजनाएं
डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी सूचना में जन्म दोषों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की योजनाओं के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सभी देशों में विश्व जन्म दोष दिवस (डब्ल्यूबीडीडी) आंदोलन को तेज करते हुए जन्मजात विकारों के निवारण, निगरानी, ​​​​देखभाल और अनुसंधान को बढ़ावा देने के प्रयासों को गति देना जारी रखेगा. इसी दिशा में सभी सदस्य देशों द्वारा जन्म दोषों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य योजनाएं बनाई गई है. साथ ही अस्पताल-आधारित जन्मजात विकार निगरानी कार्यक्रम भी शुरू किया हैं.

उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा क्षेत्रव्यापी प्रयासों की मदद से वर्ष 2023 तक खसरा और रूबेला को खत्म करने को प्राथमिकता दी गई है. जिसके चलते दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सभी देशों ने लड़कियों के रूबेला टीकाकरण के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इसके अलावा फोलिक एसिड-निवारक न्यूरल ट्यूब दोषों में 35 प्रतिशत और थैलेसीमिया पीड़ित शिशुओं के जन्म में 50 प्रतिशत की कमी लाना तथा जन्मजात सिफिलिस को खत्म करना भी संगठन की प्राथमिकताओं में शामिल है.

पढ़ें- स्वस्थ और सुरक्षित जीवन के लिए जरूरी है प्रीमेच्योर बच्चों की ज्यादा देखभाल

किसी विकार या रोग के साथ जन्म लेना कई बार बच्चे के जीवन पर संकट का कारण बन जाता है. आंकड़ों की मानें तो दुनिया भर में हर साल बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे मृत्यु का शिकार बन जाते हैं या फिर उन्हें लंबे समय तक या आजीवन विकलांगता या समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक सूचना के अनुसार भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार और नेपाल में अस्पतालों में 2021 में 40 लाख बच्चों का जन्म दर्ज हुआ, जिनमें से 45 हजार में जन्मजात विकार मिले था. गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा वर्ष 2014 से इन देशों के अस्पतालों में होने वाले प्रसव से संबंधित आंकड़े एकत्रित किए गए हैं.

जन्मजात दोषों के कारण बच्चों को मृत्यु या जटिल रोगों का सामना ना करना पड़े, इस उद्देश्य को लेकर दुनिया भर में तीन मार्च को विश्व जन्म दोष दिवस (World Birth Defects Day 2022) मनाया जाता है. इस वर्ष भी विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा उसकी सहयोगी संस्थाओं तथा देशों द्वारा विश्व जन्म दोष दिवस के अवसर पर वैश्विक स्तर पर सभी जन्मजात विकारों के बारे में जागरुकता फैलाने और गुणवत्तापूर्ण देखभाल व उपचार तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया गया है.

विश्व जन्म दोष दिवस के अवसर पर दक्षिण-पूर्व एशिया में विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने इस विकार से जुड़े आंकड़ों के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि जन्मजात विकार दक्षिण-पूर्व एशिया में बच्चों की मौत का तीसरा, जबकि नवजातों की मौत का चौथा सबसे बड़ा कारण है. सूचना के अनुसार, 12 फीसदी नवजातों की मौत के लिए जन्म दोष ही जिम्मेदार होते हैं. सिर्फ मृत्यु ही नहीं जन्म दोष के कारण बच्चों में लंबी बीमारी या विकलांगता की समस्या भी हो सकती है.

क्या हैं जन्म दोष समस्याएं
जन्मदोष समस्याएं वह होती हैं जो बच्चे को जन्म से पूर्व मां के गर्भ में ही अपने प्रभाव में ले लेती हैं. आमतौर पर माना जाता है कि ज्यादातर जन्मजात विकार गर्भावस्था के पहले तीन महीने के दौरान हो जाते हैं. वैसे तो जन्मजात रोगों या विकारों के लिये मुख्यतः आनुवंशिकता को जिम्मेदार माना जाता है लेकिन कई बार फॉलिक एसिड की कमी, गर्भावस्था के दौरान मां को किसी प्रकार का संक्रमण या रोग होना, गर्भावस्था के दौरान ज्यादा शराब पीने या धूम्रपान करना, इस अवधि में मधुमेह या किसी अन्य कोमोरबीटी के कारण, गर्भावस्था में ली गई किसी दवाई या उपचार के पार्श्व प्रभाव के कारण या कई बार बड़ी उम्र में गर्भधारण करने के कारण भी मां के गर्भ में बच्चे को रोग या समस्याएं प्रभावित कर सकती हैं.

कौन से होते हैं जन्मजात दोष
चिकित्सकों तथा जानकारों द्वारा बताए गए आम तथा दुर्लभ जन्मजात दोष इस प्रकार हैं:-

  • दिल में छेद
  • हृदय की बनावट में विकार
  • न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट
  • थैलेसीमिया
  • शारीरिक विकलांगता
  • सिफलिस या उपदंश
  • हर्निया
  • क्लब फुट
  • हिप डिस्पलेसिया
  • कटे हॉट या तालू
  • सेरेब्रल पाल्सी
  • हार्ट मर्मर
  • डॉउन सिंड्रोम
  • फोकोमेलिया सिंड्रोम
  • कौडल रिगरेशन सिंड्रोम
  • माइक्रो सेफली
  • पोलेंड सिंड्रोम
  • कैनियोंफ्रंटोंनेजल डिस्पलेसिया
  • बैलर गेरोल्ड सिंड्रोम
  • एपर्ड सिंड्रोम
  • फाइन्स सिंड्रोम आदि.

योजनाएं
डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी सूचना में जन्म दोषों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की योजनाओं के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया कि डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सभी देशों में विश्व जन्म दोष दिवस (डब्ल्यूबीडीडी) आंदोलन को तेज करते हुए जन्मजात विकारों के निवारण, निगरानी, ​​​​देखभाल और अनुसंधान को बढ़ावा देने के प्रयासों को गति देना जारी रखेगा. इसी दिशा में सभी सदस्य देशों द्वारा जन्म दोषों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य योजनाएं बनाई गई है. साथ ही अस्पताल-आधारित जन्मजात विकार निगरानी कार्यक्रम भी शुरू किया हैं.

उन्होंने बताया कि संगठन द्वारा क्षेत्रव्यापी प्रयासों की मदद से वर्ष 2023 तक खसरा और रूबेला को खत्म करने को प्राथमिकता दी गई है. जिसके चलते दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के सभी देशों ने लड़कियों के रूबेला टीकाकरण के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इसके अलावा फोलिक एसिड-निवारक न्यूरल ट्यूब दोषों में 35 प्रतिशत और थैलेसीमिया पीड़ित शिशुओं के जन्म में 50 प्रतिशत की कमी लाना तथा जन्मजात सिफिलिस को खत्म करना भी संगठन की प्राथमिकताओं में शामिल है.

पढ़ें- स्वस्थ और सुरक्षित जीवन के लिए जरूरी है प्रीमेच्योर बच्चों की ज्यादा देखभाल

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