तेज गर्मी का यह मौसम, कई तरह के रोगों और संक्रमणों के होने को आशंका को बढ़ा देता है. इस मौसम में हर उम्र के लोगों में अलग-अलग कारणों से पाचन व त्वचा संबंधित रोगों के अलावा कई प्रकार के बैक्टीरियल तथा फंगल संक्रमणों के होने की आशंका भी बढ़ जाती है. गर्मी के मौसम में किस तरह के संक्रमण ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं तथा उनसे कैसे बचाव संभव हैं, इस बारें में ज्यादा जानने के लिए ETV Bharat सुखीभव: ने उत्तराखंड के लाइफ क्लिनिक के फिजीशियन डॉ मनोज कुमार सिंह से बात की.
गर्मी में परेशान करने वाले संक्रमण
डॉ मनोज बताते हैं कि गर्मी के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. जो साफ सफाई के अभाव, खाने पीने में असंतुलन और लापरवाही के कारण शरीर को ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं. वह बताते हैं कि इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशान करने वाले संक्रमण इस प्रकार हैं.
पेट में संक्रमण
डॉ मनोज बताते हैं कि इस मौसम में पेट में संक्रमण होना बहुत ही आम बात है. वह बताते हैं कि एक तो पहले से ही गर्मी के चलते इस मौसम में ज्यादातर लोगों के शरीर में पानी की कमी देखी जाती है, उस पर कई बार लोग गर्मी से बचाव के लिए सड़क किनारे कटे हुए फल या खुले में बिकने वाले जूस आदि का सेवन करने लगते हैं. वहीं कई बार घर में भी लोग लंबी अवधि तक खाने पीने के समान को खुला छोड़ देते हैं, जिन्हे मक्खी या मच्छर दूषित कर सकते हैं. ऐसे आहार का सेवन करने से उन पर मौजूद बैक्टीरिया या वायरस आंतों तक पहुंच जाते है और पेट में संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.
वह बताते हैं कि पेट के संक्रमण से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाए.
- स्ट्रीट फूड तथा खुले में बिकने वाले जूस और कटे हुए फलों के सेवन से परहेज करें.
- साफ या उबला हुआ पानी ही पिएं.
- सिर्फ खाना पकाने से पहले व खाना खाने के लिए ही नहीं बल्कि सामान्य परिस्थितियों में भी साफ सफाई विशेषकर हाथों की सफाई का विशेष ध्यान रखें.
- घर में रखे खाने के सामान को भी हमेशा ढक कर रखें.
- खाने में ऐसे आहार की मात्रा ज्यादा रखें जिसमें पानी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है साथ ही गरिष्ठ ज्यादा तेल नमक मिर्च मसाले वाले आहार का सेवन कम मात्रा में ही करें.
इसके बावजूद यदि किसी को पेट में तीव्र दर्द या संक्रमण जैसी समस्या के लक्षण नजर आए तो उसे तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए.
फंगल इन्फेक्शन
डॉ मनोज बताते हैं कि गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने के लिए हमारे स्वेट ग्लैंड्स ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, जिससे पसीने के आने की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे में वे अंग जो सीधे हवा के संपर्क में नहीं आ पाते हैं वहाँ पसीना आसानी से सूख नहीं पाता है, और वहाँ बैक्टीरिया पनपने की आशंका बढ़ जाती है. हाथों पैरों के जोड़ों का अंदरूनी हिस्सा, बगलें तथा जांघों का अंदरूनी हिस्सा आदि ऐसे स्थानों पर इसी कारण से गर्मी के मौसम में फंगल इन्फेक्शन के मामले ज्यादा सामने आते हैं. वह बताते हैं कि इस समस्या से बचने के लिए ऐसे अंगों की साफसफाई व स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. जिसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखा जा सकता है.
- प्रतिदिन नहायें और नहाते समय इन सभी अंगों को माइल्ड साबुन की मदद से अच्छे से साफ करें.
- यदि कोइ व्यक्ति ऐसा काम करता है जिसमें शारीरिक श्रम ज्यादा हो, जिससे उन्हे पसीना भी ज्यादा आता हो, या फिर जो लोग ज्यादा प्रदूषण वाले स्थानों पर रहते हों, उनके लिए गर्मी के मौसम में दो बार नहाना भी फायदेमंद हो सकता है.
- इन छुपे हुए अंगों को सूखा रखने का प्रयास करें जिसके लिए नहाने के बाद तौलिए या सूती कपड़े का इस्तेमाल करें.
- ऐसे लोग जिन्हे सामान्य या किसी चिकित्सीय कारण से ज्यादा पसीना आता हो वे चिकित्सक की सलाह पर इन स्थानों पर एंटीफंगल पाउडर, अन्य मेडिकेटेड पाउडर या एंटी फंगल क्रीम का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
- इस मौसम में सूती या ऐसे कपड़े पहने जिनमें पसीना सरलता से सूख सकता हो.
यूटीआई
गर्मियों के मौसम में महिलाओं में यूटीआई की समस्या काफी ज्यादा देखने में आती है. इस मौसम में बैक्टीरिया तथा वायरस ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ऐसे में विशेष तौर पर वे महिलाएं जो कामकाजी है या जो दफ्तर में ऐसे शौचालयों, जिनका इस्तेमाल बहुत सारे लोग करते हों या सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करती हों, उनमें यूटीआई तथा वजाइनल इन्फेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है. इसके अलावा शरीर में पानी की कमी इस समस्या को ज्यादा बढ़ा भी सकती है. यही नहीं कई बार वे महिलाएं जो नियमित रूप से स्विमिंग करती हैं उनमें भी स्विमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी से वजाइनल संक्रमण के होने की आशंका बढ़ जाती है.
डॉ मनोज बताते हैं कि ना सिर्फ महिलाओं में इस समस्या से बचने के लिए बल्कि पुरुषों में भी गुप्तांगों के संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि पर्सनल हाइजीन का विशेष ध्यान रखा जाए. इसके लिए गुप्तांगों को नियमित रूप से साफ पानी से धोया जाए और उन्हें सुखा कर रखा जाए. ज्यादा टाइट अन्डरगारमेंट पहनने से बचना चाहिए. ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थों तथा पानी का सेवन किया जाय, जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो. इसके बाद भी यदि यूटीआई या किसी अन्य प्रकार के संक्रमण के लक्षण नजर आएं तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी हो जाता है.
डॉ मनोज बताते हैं कि यदि शरीर को रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत है तो वह शरीर को किसी भी प्रकार से संक्रमण या रोग से बचा सकती है. इसलिए अपने आहार, व्यायाम तथा हर संभव तरीके से अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए.