उदयपुर. कहते हैं, कुछ कर गुजरने के इरादे अगर बुलंद हो तो तस्वीर बदली जा सकती है. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कुछ ऐसी ही तस्वीर बदलने वाले राजस्थान के उदयपुर के पूर्व सरपंच की कहानी आपको बता रहे हैं. जिन्होंने अपने बुलंद इरादों और इच्छा शक्ति के बल पर बंजर और गोचर भूमि की काया पलट कर दी. एक समय था जब गांव में बंजर भूमि के कारण हरियाली न के बराबर थी, लेकिन सरपंच ने गांव के लोगों के ही सहयोग से गांव को हरियाली की चादर ओढ़ा रखी है. पूर्व सरपंच ने बंजर और गोचर भूमि पर काफी मेहनत करने के बाद अलग-अलग तरह फलदार व छायादार पेड़ और औषधीय पौधे लगाए. दरअसल हम बात कर रहे हैं. दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य इलाके उदयपुर से 35 किलोमीटर दूर गोगुंदा पंचायत समिति के ग्राम पंचायत मजावडी की. जहां बंजर भूमि और पथरीली जमीन नजर आती थी जिसे लोगों ने अतिक्रमण भी कर रखा था, लेकिन यहां के सरपंच की इच्छा शक्ति ने बंजर भूमि की तस्वीर ही बदल दी. विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ने ट्वीट कर पूर्व सरपंच कपिल पालीवाल की प्रशंसा की है.
2016 में बने गांव के इस सरपंच ने बदली तस्वीर : साल 2016 में इस गांव के लोगों ने समर्थन देकर कपिल पालीवाल को सरपंच बनाया. जिन्होंने गांव में कुछ अनूठा कर गुजरने की ठानी. कपिल ने पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण और गांव के आसपास के इलाकों में पेड़ पौधे लगाने का एक अभियान शुरू किया. जो देखते ही देखते एक वट वृक्ष के रूप में तब्दील हो गया. 2016 में पंचायत के सरपंच रहे कपिल पालीवाल ने अतिक्रमण मुक्त कर मजावड़ी बालिका औषधीय वन विकसित करने की शुरुआत की.
इतना ही नहीं इन्होंने बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे अभियान को पर्यावरण से जोड़ते हुए एक नई नजीर पेश की, पूर्व सरपंच कपिल ने अपने पर्यावरण संरक्षण अभियान में एक नई पहल की. जिसके तहत पंचायत क्षेत्र में किसी भी बालिका के जन्म होने पर बालिका से 121 पौधे लगाने की एक नई परंपरा शुरू की. इसके अलावे बेटियों के जन्मदिन व रक्षाबंधन के अवसर पर बेटियों से पौधे लगाए जाने का अभियान भी शुरू किया. इस काम में कपिल के साथ गांव के लोगों ने भी काफी बढ़-चढ़कर सहयोग किया और हर महीने बड़ी संख्या में पेड़ लगाए जाने लगे. यहां बेटियों के जन्मदिन पर व रक्षाबंधन के अवसर पर बेटियां पौधे लगाती. उसके बाद उनमें रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा करने का संकल्प लेती हैं.
फल, औषधीय और छायादार पेड़ से इलाका हुआ गुलजार : बालिका औषधीय वन करीब 1200 बीघा में फैला हुआ है. जिसमें करीब 250 बीघा में अभी करीब 4 लाख पौधे लगाकर वन को संवारा गया है. कपिल पालीवाल बताते हैं कि ग्रामीणों के सहयोग से पथरीले पहाड़ पर हजारों फलदार व औषधीय पेड़ पौधे लगाए गए हैं. जो अब बड़े बड़े पेड़ों में तब्दील हो गए हैं. गांव के सभी लोग मिलकर उनको विकसित करने में अपना सहयोग दे रहे हैं. बालिका वन में करीब डेढ़ लाख औषधीय पौधे व फलदार पौधे समेत करीब दो लाख पौधे लगाए गए हैं. कपिल पालीवाल बताते हैं, कि वन को विकसित करते समय गांव के कई बीघा क्षेत्र में अतिक्रमण करने वाले लोगों से उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली थी. लेकिन कपिल अपने इस बुलंद इरादों से पीछे नहीं हटे. उन्होंने अतिक्रमण हटवाया और वहां पर्यावरण को बचाने के लिए अभियान शुरू किया. पालीवाल ने वन में लगाए गए पौधों के बारे में जानकारियां देते हुए कहा कि वन में ऐलोवेरा, तुलसी, अश्वगंधा, मधुनासिनी व पत्थरचट्टा जैसे सैकड़ों औषधीय पौधे विद्यमान है. वहीं हजारों फलदार, छायादार पेड़ पौधे लगाए गए है.
ये पौधे लगाए : जामुन, सीताफल, रामफल, अंजीर, आम के पेड़, हाइब्रिड केसर के साथ ही आम की अलग-अलग वैरायटी के पौधे, शहतूत, केले के पौधे और छायादार पेड़ भी बड़ी संख्या में लगाए हैं. अब पर्यावरण संरक्षण के साथ ही आसपास के इलाकों में भूगर्भ जल का स्तर भी बढ़ा है. पालीवाल ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के साथ अन्य अभियान भी चलाए जाते हैं. उनके इस काम में गांव वालों का भी बढ़-चढ़कर सहयोग मिला है. इसके साथ ही अतिक्रमण वाली भूमि को भी अतिक्रमण मुक्त कराकर वहां पेड़ पौधे लगाकर हरियाली क्षेत्र में तब्दील किया.
इस बालिका वन को देखने के लिए जिले के आला अधिकारियों सहित राजस्थान सरकार के अधिकारी व केंद्र सरकार के अधिकारी भी यहां आ चुके हैं. इसी तर्ज पर अन्य ग्राम पंचायतों में पड़ी चारागाह भूमि पर जल संरक्षण व वन विकसित करने की बात कहे हैं. इस कार्य के लिए पूर्व सरपंच कपिल पालीवाल को कई संस्थानों व सामाजिक संगठनों ने सम्मानित भी किया है.