उदयपुर. विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल को मनाया जाता है. पृथ्वी को हरा-भरा रखने के साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर झीलों की नगरी उदयपुर में भी विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस अनूठे अभियान की शुरुआत की है, उदयपुर के रिटायर्ड सरकारी अधिकारी ने. जिन्होंने एक ग्रुप बनाकर पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम शुरू किया हैं. इतना ही नहीं इन रिटायर्ड अधिकारियों ने एक गांव और तालाब को भी गोद लिया है. जिसके बाद तालाब और गांव की तस्वीर बदली हुई नजर आ रही है. आज तालाब और गांव हरियाली की चादर ओढ़े हुए हैं.
ग्रीन सोसाइटी का किया गठनः देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर झीलों की नगरी उदयपुर के पूर्व रिटायर्ड सरकारी अधिकारियों ने बढ़ते जल वायु प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण को लेकर 3 साल पहले एक अभियान की शुरुआत की थी. जिसके तहत ग्रीन पिपुल सोसाइटी का गठन किया गया था. इसमें अलग-अलग विभाग की 22 रिटायर्ड सरकारी अधिकारियों ने पर्यावरण संरक्षण के साथ पेड़ लगाने को लेकर अभियान की शुरुआत की. यह अब धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती हुई नजर आ रही है. अब इस अभियान में न सिर्फ रिटायर्ड अधिकारी बल्कि अब वर्तमान सेवा में कार्यरत अधिकारी भी अपना सहयोग कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः विश्व पृथ्वी दिवस पर 900 वर्ग फुट की पेटिंग बनाकर कोरोना से बचाने का दिया संदेश
अब तक लगा चुके हैं हजारों पेड़ः इस ग्रुप के सदस्य अब तक कई जगह पर हजारों से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं. इस ग्रुप में आईएएस, आरएस, वन विभाग, शिक्षा विभाग, जलदाय विभाग के अधिकारी भी जुड़े हुए हैं. ऐसे में दक्षिणी राजस्थान की अरावली पहाड़ियों को हरा-भरा करने के साथ ही बड़ी संख्या में अलग-अलग कैंप लगाकर लोगों को जागरूक करने का काम किया गया. जिसमें खासकर ग्रामीण इलाकों में स्कूलों और ग्रामीण लोगों को पेड़ लगाने और पर्यावरण संरक्षण को लेकर उन्हें जागरूक करने का काम किया गया. इस ग्रुप के सदस्यों द्वारा अपने स्तर पर रुपए इकट्ठा कर पेड़ लगाने का काम किया जाता है.
ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन में सार्थक हुआ 'वर्ल्ड अर्थ डे', छात्रों ने रंगों से उकेरी ग्रीन एंड क्लीन पृथ्वी
गोगुंदा में तालाब विकसित करने का हो रहा कामः उदयपुर के आदिवासी बहुल इलाके में स्थित गोगुंदा इलाके क्षेत्र के गांव के तालाब को विकसित करने का भी काम इस संगठन के द्वारा किया जा रहा है. जिसके तहत न सिर्फ गांव बल्कि तालाब को विकसित करने के लिए बड़ी संख्या में पूर्व अधिकारी जुटे हुए हैं. इसी की बदौलत है कि इस तालाब में अब देसी और विदेशी पक्षियों की आवक देखी जाती है. अब इन लोगों को देखते हुए शासन प्रशासन ने भी इस तालाब के लिए अतिरिक्त फंड जारी किया है. पूर्व डीएफओ राहुल भटनागर ने बताया कि वन विभाग में काम करने के दौरान पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई काम किया करते थे लेकिन अब रिटायर होने के बाद 3 साल पहले एक संगठन बनाया गया. जिसमें पहले सीमित संख्या में लोग थे. अब धीरे-धीरे और पूर्व अधिकारी भी जुटने लगे. अब कई गांव में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किए जा चुके हैं.