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विश्व विकलांग दिवस: इन 3 राज्यों के 4 खिलाड़ियों की कहानी सुन दंग रह जाएंगे आप

उदयपुर में नेशनल व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन (National Wheelchair Cricket Competition in Udaipur) चल रहा है. जिसमें 16 टीमों के करीब 300 खिलाड़ी शामिल हुए हैं. वहीं, व्हीलचेयर पर बैठकर उम्दा खेल का प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों की असल जिंदगी में दर्द की असीम पराकाष्ठा रही है, जिससे आज भी वो जद्दोजहद करते हैं.

National Wheelchair Cricket Championship
National Wheelchair Cricket Championship
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Published : Dec 2, 2022, 7:53 PM IST

Updated : Dec 3, 2022, 9:44 AM IST

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता (wheelchair cricket tournament) अपने पूरे शबाब पर है. देश के अलग-अलग राज्यों से यहां कुल 16 टीमों के करीब 300 खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंचे, जो व्हीलचेयर पर बैठकर चौके-छक्के लगा रहे हैं. मैदान में दिव्यांग खिलाड़ियों को व्हीलचेयर पर बैठकर, बॉलिंग, बैटिंग और फील्डिंग करते देख दर्शक भी खासा उत्साहित और रोमांचित है. लेकिन हकीकत यह है कि मैदान में अपने उम्दा प्रदर्शन (Excellent sports performance of disabled players) से दर्शकों का दिल जीतने वाले इन दिव्यांग खिलाड़ियों के शरीर का आधा हिस्सा काम ही नहीं करता है. बावजूद इसके खिलाड़ियों के हौसलों की उड़ान देखते बन रही है.

कुछ ऐसे ही जांबाज खिलाड़ियों से ईटीवी (National Wheelchair Cricket Competition in Udaipur) भारत ने बातचीत की, जो विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं माने और कड़ी चुनौतियों और लोगों के तंजों को दरकिनार कर लगातार आगे बढ़ते रहे. खैर, आज ये खिलाड़ी लोगों के लिए आइकन बनकर उभरे हैं. कुछ खिलाड़ियों की हंसती खेलती जिंदगी को हादसों ने घुटनों के बल ला खड़ा कर दिया तो कुछ को बचपन से ही भगवान ने दिव्यांग बना दिया. लेकिन इसके बावजूद भी इन खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी.

संघर्ष से सफलता की कहानी

संघर्ष से सफलता की कहानी: देश के अलग-अलग कोने से आए टीमों के खिलाड़ी बढ़-चढ़कर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. व्हीलचेयर पर क्रिकेट खेलना इतना आसान नहीं है या फिर कह सकते हैं कि दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए यह पहाड़ खोदने जैसा ही था. ईटीवी भारत ने 3 राज्यों की 4 खिलाड़ियों से खास बातचीत की. जिन्होंने अपनी संघर्ष की कहानी साझा की. इसमें राजस्थान व्हीलचेयर टीम के कप्तान भरत पवार, टीम के खिलाड़ी राम खिलाड़ी मीणा और उत्तर प्रदेश टीम के खिलाड़ी आदित्य, दिल्ली के सोनू गुप्ता शामिल रहे.

इसे भी पढ़ें - अलवर में तीन दिवसीय दिव्यांग व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन

एक हादसे ने बदली जिंदगी... राजस्थान के अलवर के रहने वाले राम खिलाड़ी मीणा ने बताया कि 2015 के पहले उनकी जिंदगी आम लोगों की तरह ही थी. लेकिन 2015 में उनकी बहन की लड़की की शादी में जाते समय एक भीषण सड़क हादसा घटित हुआ. इस सड़क हादसे में पिकअप पलट जाने के कारण वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. जिसकी वजह से उनका दाहिना पैर पूरी तरह से खराब हो गया. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लंबे समय तक इलाज चला, लेकिन पैर सही नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि बचपन से क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था. इसके बाद 2019 में व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिताओं के बारे में उन्हें जानकारी मिली, तब से वह लगातार व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता खेल रहे है. उन्होंने कहा कि एक पैर नहीं होने के बावजूद भी भारत के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं.

हादसे ने बनाया व्हीलचेयर टीम का कैप्टन...राजस्थान व्हीलचेयर के कैप्टन भरत पवार के संघर्ष की कहानी भी किसी हीरो से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि 2019 में उन्होंने व्हीलचेयर क्रिकेट खेलना शुरू किया था. कैप्टन ने बताया कि 3 साल की उम्र में एक हादसे से पैरों में पोलियो हो गया था, लेकिन इसके बावजूद भी उनका परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा. उन्होंने कहा कि उन्हें पढ़ाई के लिए परिवार का पूरा सहयोग मिला. परिवार के सहयोग की बदौलत ही वो चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल ईयर तक पहुंच सके हैं. वर्तमान में वो बिजली विभाग में जूनियर अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है.

3 बार की खुदकुशी की कोशिश, लेकिन आज... उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले आदित्य की कहानी में भी दर्द की पराकाष्ठा है. आदित्य ने बताया कि एक समय समाज और उनका शरीर साथ देना बंद कर चुका था, लेकिन वो किसी भी कीमत पर हार मानने को राजी नहीं थे. हालांकि, इस दौरान कई बार जिंदगी में उतार-चढ़ाव भी आए. आदित्य ने बताया कि 8 साल पहले एक एक्सीडेंट में उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की बीमारी हो गई. जिसके बारे में लोगों को अभी भी बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है. इस बीमारी के कारण 2 साल तक एक ही कमरे में वो बंद पड़े रहे. इस दौरान वो जिंदगी से खासा निराश हो चुके थे. जिसके कारण तीन बार उन्होंने सुसाइड की भी कोशिश की थी. आदित्य ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद जब भी कोई उनके पिता से मिलने आता था तो वो उनकी स्थिति को देख तंज कसता था. हर कोई नकारात्मक बात करता था, लेकिन आज उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है और वो बहुत खुश भी हैं.

दिल्ली के सोनू गुप्ता की कहानी भी लोगों को प्रेरणा देने वाली है. सोनू 2016 से व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता खेलना शुरू किए थे. इससे पहले वो टेबल टेनिस खेला करते थे. जिसमें दो बार नेशनल चैंपियन और 9 बार दिल्ली स्टेट चैंपियन का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि व्हीलचेयर क्रिकेट खेल से उन्हें बेहद लगाव है. सोनू ने कहा कि खेल से लगाव होने पर मानसिक और शारीरिक स्वस्थता बनी रहती है.

2016 में शुरू हुई व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता... व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत साल 2016 में हुई थी, तब इसमें गिने-चुने ही दिव्यांग खिलाड़ी भाग लिया करते थे. लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रचलन बढ़ने लगा, वैसे-वैसे देश में टीमें बढ़ने लगी. उदयपुर में भी नारायण सेवा संस्थान, डिफरेन्टली एबल्ड क्रिकेट कौंसिल ऑफ इण्डिया और व्हीलचेयर क्रिकेट इण्डिया एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान और राजस्थान रॉयल्स के सहयोग से तीसरी राष्ट्रीय व्हीलचेयर प्रतियोगिता चल रही है. जिसमें देशभर के कोने-कोने से आई 16 टीमों के 300 से ज्यादा खिलाड़ी अपनी प्रतिभा और हुनर दिखा रहे हैं.

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता (wheelchair cricket tournament) अपने पूरे शबाब पर है. देश के अलग-अलग राज्यों से यहां कुल 16 टीमों के करीब 300 खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंचे, जो व्हीलचेयर पर बैठकर चौके-छक्के लगा रहे हैं. मैदान में दिव्यांग खिलाड़ियों को व्हीलचेयर पर बैठकर, बॉलिंग, बैटिंग और फील्डिंग करते देख दर्शक भी खासा उत्साहित और रोमांचित है. लेकिन हकीकत यह है कि मैदान में अपने उम्दा प्रदर्शन (Excellent sports performance of disabled players) से दर्शकों का दिल जीतने वाले इन दिव्यांग खिलाड़ियों के शरीर का आधा हिस्सा काम ही नहीं करता है. बावजूद इसके खिलाड़ियों के हौसलों की उड़ान देखते बन रही है.

कुछ ऐसे ही जांबाज खिलाड़ियों से ईटीवी (National Wheelchair Cricket Competition in Udaipur) भारत ने बातचीत की, जो विषम परिस्थितियों में भी हार नहीं माने और कड़ी चुनौतियों और लोगों के तंजों को दरकिनार कर लगातार आगे बढ़ते रहे. खैर, आज ये खिलाड़ी लोगों के लिए आइकन बनकर उभरे हैं. कुछ खिलाड़ियों की हंसती खेलती जिंदगी को हादसों ने घुटनों के बल ला खड़ा कर दिया तो कुछ को बचपन से ही भगवान ने दिव्यांग बना दिया. लेकिन इसके बावजूद भी इन खिलाड़ियों ने हार नहीं मानी.

संघर्ष से सफलता की कहानी

संघर्ष से सफलता की कहानी: देश के अलग-अलग कोने से आए टीमों के खिलाड़ी बढ़-चढ़कर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. व्हीलचेयर पर क्रिकेट खेलना इतना आसान नहीं है या फिर कह सकते हैं कि दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए यह पहाड़ खोदने जैसा ही था. ईटीवी भारत ने 3 राज्यों की 4 खिलाड़ियों से खास बातचीत की. जिन्होंने अपनी संघर्ष की कहानी साझा की. इसमें राजस्थान व्हीलचेयर टीम के कप्तान भरत पवार, टीम के खिलाड़ी राम खिलाड़ी मीणा और उत्तर प्रदेश टीम के खिलाड़ी आदित्य, दिल्ली के सोनू गुप्ता शामिल रहे.

इसे भी पढ़ें - अलवर में तीन दिवसीय दिव्यांग व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन

एक हादसे ने बदली जिंदगी... राजस्थान के अलवर के रहने वाले राम खिलाड़ी मीणा ने बताया कि 2015 के पहले उनकी जिंदगी आम लोगों की तरह ही थी. लेकिन 2015 में उनकी बहन की लड़की की शादी में जाते समय एक भीषण सड़क हादसा घटित हुआ. इस सड़क हादसे में पिकअप पलट जाने के कारण वो गंभीर रूप से जख्मी हो गए. जिसकी वजह से उनका दाहिना पैर पूरी तरह से खराब हो गया. जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लंबे समय तक इलाज चला, लेकिन पैर सही नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि बचपन से क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था. इसके बाद 2019 में व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिताओं के बारे में उन्हें जानकारी मिली, तब से वह लगातार व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता खेल रहे है. उन्होंने कहा कि एक पैर नहीं होने के बावजूद भी भारत के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं.

हादसे ने बनाया व्हीलचेयर टीम का कैप्टन...राजस्थान व्हीलचेयर के कैप्टन भरत पवार के संघर्ष की कहानी भी किसी हीरो से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि 2019 में उन्होंने व्हीलचेयर क्रिकेट खेलना शुरू किया था. कैप्टन ने बताया कि 3 साल की उम्र में एक हादसे से पैरों में पोलियो हो गया था, लेकिन इसके बावजूद भी उनका परिवार हमेशा उनके साथ खड़ा रहा. उन्होंने कहा कि उन्हें पढ़ाई के लिए परिवार का पूरा सहयोग मिला. परिवार के सहयोग की बदौलत ही वो चार्टर्ड अकाउंटेंट फाइनल ईयर तक पहुंच सके हैं. वर्तमान में वो बिजली विभाग में जूनियर अकाउंटेंट के पद पर कार्यरत है.

3 बार की खुदकुशी की कोशिश, लेकिन आज... उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले आदित्य की कहानी में भी दर्द की पराकाष्ठा है. आदित्य ने बताया कि एक समय समाज और उनका शरीर साथ देना बंद कर चुका था, लेकिन वो किसी भी कीमत पर हार मानने को राजी नहीं थे. हालांकि, इस दौरान कई बार जिंदगी में उतार-चढ़ाव भी आए. आदित्य ने बताया कि 8 साल पहले एक एक्सीडेंट में उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की बीमारी हो गई. जिसके बारे में लोगों को अभी भी बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है. इस बीमारी के कारण 2 साल तक एक ही कमरे में वो बंद पड़े रहे. इस दौरान वो जिंदगी से खासा निराश हो चुके थे. जिसके कारण तीन बार उन्होंने सुसाइड की भी कोशिश की थी. आदित्य ने बताया कि एक्सीडेंट के बाद जब भी कोई उनके पिता से मिलने आता था तो वो उनकी स्थिति को देख तंज कसता था. हर कोई नकारात्मक बात करता था, लेकिन आज उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी है और वो बहुत खुश भी हैं.

दिल्ली के सोनू गुप्ता की कहानी भी लोगों को प्रेरणा देने वाली है. सोनू 2016 से व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता खेलना शुरू किए थे. इससे पहले वो टेबल टेनिस खेला करते थे. जिसमें दो बार नेशनल चैंपियन और 9 बार दिल्ली स्टेट चैंपियन का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि व्हीलचेयर क्रिकेट खेल से उन्हें बेहद लगाव है. सोनू ने कहा कि खेल से लगाव होने पर मानसिक और शारीरिक स्वस्थता बनी रहती है.

2016 में शुरू हुई व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता... व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत साल 2016 में हुई थी, तब इसमें गिने-चुने ही दिव्यांग खिलाड़ी भाग लिया करते थे. लेकिन जैसे-जैसे इसका प्रचलन बढ़ने लगा, वैसे-वैसे देश में टीमें बढ़ने लगी. उदयपुर में भी नारायण सेवा संस्थान, डिफरेन्टली एबल्ड क्रिकेट कौंसिल ऑफ इण्डिया और व्हीलचेयर क्रिकेट इण्डिया एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान और राजस्थान रॉयल्स के सहयोग से तीसरी राष्ट्रीय व्हीलचेयर प्रतियोगिता चल रही है. जिसमें देशभर के कोने-कोने से आई 16 टीमों के 300 से ज्यादा खिलाड़ी अपनी प्रतिभा और हुनर दिखा रहे हैं.

Last Updated : Dec 3, 2022, 9:44 AM IST
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