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Nani Bai Ka Mayra : जया किशोरी ने सुनाए भक्त नरसी से जुड़े प्रसंग, कैसे ठाकुर जी ने बचाई लाज - Rajasthan Hindi news

उदयपुर में नानी बाई का मायरा के दूसरे दिन जया किशोरी ने नरसी मेहता से जुड़े प्रसंग सुनाए. साथ ही (Story of Narsinh Mehta) ठाकुर जी के भजन भी सुनाए.

Nani Bai Ka Mayra
उदयपुर में नानी बाई का मायरा
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Published : Feb 15, 2023, 7:07 PM IST

Updated : Feb 15, 2023, 8:32 PM IST

जया किशोरी ने सुनाए ठाकुर जी के भजन

उदयपुर. जिले के फतहनगर में नानी बाई का मायरा कथा के दूसरे दिन बुधवार को कथावाचक जया किशोरी को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. कथा की शुरुआत ठाकुर जी के भजन से हुई, जिस पर श्रोता झूम उठे. इस दौरान जया किशोरी ने नरसी मेहता से जुड़े प्रसंग सुनाए. उन्होंने बताया कि किस तरह ठाकुर जी ने संकट के समय में अपने भक्त की मदद की.

जया किशोरी ने सुनाया पुराना प्रसंग : जया किशोरी ने व्यासपीठ से श्रोताओं को नरसी मेहता से जुड़ा एक प्रसंग सुनाया. उन्होंने बताया कि शादी के कुछ समय बाद ही नरसी मेहता की पहली पत्नी का निधन हो गया था. नरसी मेहता ने उनके अंतिम संस्कार की सारी रस्में अदा की. निधन के 11वें और 12वें दिन गांव के लोगों को भोजन कराने की प्रथा थी. लेकिन नरसी मेहता के पास पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने सिर्फ ब्राह्मणों को भोजन कराने की बात कही. नरसी मेहता की इस बात को लेकर गांव के पंच उनके घर पहुंचे और उन्होंने गांव के लोगों के लिए भोजन प्रसादी करने की बात कही. नरसी मेहता ने उनसे साफ मना कर दिया.

पढ़ें. Nani Bai ka Mayra : मेवाड़ में शुरू हुई कथा, जया किशोरी बोलीं- बच्चों को बचपन से ही संस्कार दें मां-बाप

गांव के पंच और नरसी मेहता के बीच इस बात को लेकर काफी देर तक चर्चा हुई. इसके बाद गांव के पंचों ने उन्हें चेतावनी दी कि पहले तो एक घर से एक व्यक्ति ही भोजन ग्रहण करने आता था लेकिन आपके मना करने के बाद गांव के हर घर के सभी व्यक्ति भोजन करने कल पहुंचेंगे. यह बात कहकर पंच वहां से रवाना हो गए. पूरे गांव में ये बात फैल गई. इस घटना के बाद नरसी मेहता काफी घबरा गए. उन्होंने रोते हुए ठाकुर जी की आराधना की और भगवान से इस संकट का निवारण करने की प्रार्थना करने लगे.

नरसी मेहता के घर में दो सेठ पहुंचे : जया किशोरी ने आगे कथा सुनाया कि नरसी मेहता को लेकर पूरे गांव वाले चुटकी ले रहे थे. कुछ कह रहे थे कि जब नरसी मेहता भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे तब बहुत मजा आएगा. इसी दौरान गांव से गुजर रहे दो सेठ चाय की ठेले पर पहुंचे. दोनों सेठ ने पूछा कि आपके गांव में कोई बड़ा सेठ है? इसपर गांव के लोगों ने पूछा कि आप लोगों को क्या काम है? सेठ ने जवाब दिया कि वह द्वारिका जा रहे हैं. उनके पास 700 रुपए हैं. ऐसे में आपके गांव में कोई ऐसा सेठ है जो हमें हुंडी (एक वित्तीय साधन जो पहले व्यापार और क्रेडिट लेनदेन में उपयोग होता था) लिख दे? इसी दौरान किसी ने नरसी सेठ का नाम जोर से पुकार दिया.

पढ़ें. Nani Bai ka Mayra : जया किशोरी ने कहा- बच्चों को काबिल बना कर माता-पिता नहाते हैं गंगा

नरसी मेहता के घर पहुंचे दो सेठ : दोनों सेठ से गांव वालों ने कहा कि नरसी थोड़ा कंजूस है. जब आप नरसी मेहता के पास पहुंचे और वह हुंडी लिखने से मना कर दें तो आप उनके पैर पकड़ लेना. इनकी बातें सुनकर दोनों ही सेठ नरसी मेहता के घर पहुंचे. उन्होंने नरसी मेहता को पूरी बात बताकर हुंडी लिखने की बात कही. ये सुनकर नरसी मेहता ने पूछा कि मुझे सेठ किसने बताया. दोनों सेठ ने जवाब दिया कि गांव के लोगों ने बताया है. इसपर नरसी मेहता ने कहा कि गांव के लोग आपसे मजाक कर रहे हैं. ये सुनकर दोनों ही सेठ को इस बात पर विश्वास नहीं हुया, क्योंकि उनसे पहले ही कहा गया था कि नरसी इस तरह की बात करेंगे.

ठाकुर जी के नाम लिखी हुंडी : दोनों सेठ ने नरसी मेहता के पैर पकड़कर कहा कि वह द्वारिका जा रहे हैं. भगवान के काम को कैसे मना कर सकते हैं. इस पर नरसी मेहता ने दोनों सेठ से 700 रुपए लेकर एक हुंडी लिखने लगे. उन्होंने सावलिया सेठ द्वारिका नगरी 700 रुपए की हुंडी नरसी मेहता के नाम से लिख दी. इसके बाद दोनों सेठ वहां से चले गए.

अब नरसी जी के पास 700 रुपए थे. इतने पैसे में तो नरसी मेहता पूरे गांव के लोगों को 4 बार भोजन करा सकते थे और उन्होंने पूरे गांव को भोजन करा दिया. इस दौरान गांव के पंच भी भोजन करने पहुंचे. लेकिन अब गांव के लोगों के पास उनका मजाक बनाने के लिए कुछ नहीं था. इसपर पंचों ने कह दिया कि नरसी ने दोनों सेठ को ठग लिया है. यह बात नरसी मेहता तक पहुंची. अब वो सोचने लगे कि उनकी वर्षों पुरानी बेदाग छवि धूमिल हो रही है.

पढ़ें. Nani Bai ka Mayra : जया किशोरी ने सास और बहू के मधुर रिश्ते के लिए बताए ये टिप्स, अपनाएंगे तो जीवन बनेगा खुशहाल

नरसी जी ने पुकारा ठाकुर जी को : दूसरी तरफ दोनों ही सेठ द्वारिका में नरसी मेहती की लिखी गई हुंडी के सेठ को ढूंढते हैं. लेकिन उन्हें ऐसा कोई सेठ नहीं मिला. नरसी मेहता भी अपने ठाकुर जी से लाज बचाने के लिए प्रार्थना कर रहे थे. तब भगवान रूप बदलकर द्वारिका मंदिर के बाहर बैठ जाते हैं. जैसे ही दोनों सेठ दर्शन करके बाहर निकलते हैं तो उन्हें एक अनजान व्यक्ति बैठा हुआ दिखाई देता है. जैसे ही दोनों सेठ उस अनजान व्यक्ति के पास पहुंचे और नरसी का नाम लिया तो उस अनजान व्यक्ति ने उन्हें 700 रुपए दे दिए. उन्होंने दोनों ही सेठ को भोजन भी कराया.

इसके बाद दोनों सेठ में महल में गए तो वहां हजारों मुंशी काम कर रहे थे. दोनों ही सेठ ने उनसे पूछा कि इतने लोग किसके लिए काम कर रहे हैं. अंजान व्यक्ति ने बड़ी ही सरलता से कहा यह नरसी मेहता के लिए काम करते हैं. इसके बाद दोनों ही सेठ द्वारका से वापस जूनागढ़ पहुंचे. नरसी मेहता उनसे सामा मांगने ही वाले थे कि दोनों सेठ उनके पैरों में गिर गए. उन्होंने कहा कि आप इतने बड़े आदमी हैं, लेकिन इतनी सरलता से रहते हैं. उन्होंने पूरी कहानी नरसी मेहता को सुनाई. इसपर नरसी मेहता ने दोनों सेठ के पैर पकड़ लिए. जब दोनों ने इसका कारण पूछा तो नरसी जी ने कहा कि भगवान ने मेरी लाज बचाई है लेकिन आपको तो प्रभु ने दर्शन दिए हैं.

जया किशोरी ने सुनाए ठाकुर जी के भजन

उदयपुर. जिले के फतहनगर में नानी बाई का मायरा कथा के दूसरे दिन बुधवार को कथावाचक जया किशोरी को सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. कथा की शुरुआत ठाकुर जी के भजन से हुई, जिस पर श्रोता झूम उठे. इस दौरान जया किशोरी ने नरसी मेहता से जुड़े प्रसंग सुनाए. उन्होंने बताया कि किस तरह ठाकुर जी ने संकट के समय में अपने भक्त की मदद की.

जया किशोरी ने सुनाया पुराना प्रसंग : जया किशोरी ने व्यासपीठ से श्रोताओं को नरसी मेहता से जुड़ा एक प्रसंग सुनाया. उन्होंने बताया कि शादी के कुछ समय बाद ही नरसी मेहता की पहली पत्नी का निधन हो गया था. नरसी मेहता ने उनके अंतिम संस्कार की सारी रस्में अदा की. निधन के 11वें और 12वें दिन गांव के लोगों को भोजन कराने की प्रथा थी. लेकिन नरसी मेहता के पास पैसे नहीं होने के कारण उन्होंने सिर्फ ब्राह्मणों को भोजन कराने की बात कही. नरसी मेहता की इस बात को लेकर गांव के पंच उनके घर पहुंचे और उन्होंने गांव के लोगों के लिए भोजन प्रसादी करने की बात कही. नरसी मेहता ने उनसे साफ मना कर दिया.

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गांव के पंच और नरसी मेहता के बीच इस बात को लेकर काफी देर तक चर्चा हुई. इसके बाद गांव के पंचों ने उन्हें चेतावनी दी कि पहले तो एक घर से एक व्यक्ति ही भोजन ग्रहण करने आता था लेकिन आपके मना करने के बाद गांव के हर घर के सभी व्यक्ति भोजन करने कल पहुंचेंगे. यह बात कहकर पंच वहां से रवाना हो गए. पूरे गांव में ये बात फैल गई. इस घटना के बाद नरसी मेहता काफी घबरा गए. उन्होंने रोते हुए ठाकुर जी की आराधना की और भगवान से इस संकट का निवारण करने की प्रार्थना करने लगे.

नरसी मेहता के घर में दो सेठ पहुंचे : जया किशोरी ने आगे कथा सुनाया कि नरसी मेहता को लेकर पूरे गांव वाले चुटकी ले रहे थे. कुछ कह रहे थे कि जब नरसी मेहता भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे तब बहुत मजा आएगा. इसी दौरान गांव से गुजर रहे दो सेठ चाय की ठेले पर पहुंचे. दोनों सेठ ने पूछा कि आपके गांव में कोई बड़ा सेठ है? इसपर गांव के लोगों ने पूछा कि आप लोगों को क्या काम है? सेठ ने जवाब दिया कि वह द्वारिका जा रहे हैं. उनके पास 700 रुपए हैं. ऐसे में आपके गांव में कोई ऐसा सेठ है जो हमें हुंडी (एक वित्तीय साधन जो पहले व्यापार और क्रेडिट लेनदेन में उपयोग होता था) लिख दे? इसी दौरान किसी ने नरसी सेठ का नाम जोर से पुकार दिया.

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नरसी मेहता के घर पहुंचे दो सेठ : दोनों सेठ से गांव वालों ने कहा कि नरसी थोड़ा कंजूस है. जब आप नरसी मेहता के पास पहुंचे और वह हुंडी लिखने से मना कर दें तो आप उनके पैर पकड़ लेना. इनकी बातें सुनकर दोनों ही सेठ नरसी मेहता के घर पहुंचे. उन्होंने नरसी मेहता को पूरी बात बताकर हुंडी लिखने की बात कही. ये सुनकर नरसी मेहता ने पूछा कि मुझे सेठ किसने बताया. दोनों सेठ ने जवाब दिया कि गांव के लोगों ने बताया है. इसपर नरसी मेहता ने कहा कि गांव के लोग आपसे मजाक कर रहे हैं. ये सुनकर दोनों ही सेठ को इस बात पर विश्वास नहीं हुया, क्योंकि उनसे पहले ही कहा गया था कि नरसी इस तरह की बात करेंगे.

ठाकुर जी के नाम लिखी हुंडी : दोनों सेठ ने नरसी मेहता के पैर पकड़कर कहा कि वह द्वारिका जा रहे हैं. भगवान के काम को कैसे मना कर सकते हैं. इस पर नरसी मेहता ने दोनों सेठ से 700 रुपए लेकर एक हुंडी लिखने लगे. उन्होंने सावलिया सेठ द्वारिका नगरी 700 रुपए की हुंडी नरसी मेहता के नाम से लिख दी. इसके बाद दोनों सेठ वहां से चले गए.

अब नरसी जी के पास 700 रुपए थे. इतने पैसे में तो नरसी मेहता पूरे गांव के लोगों को 4 बार भोजन करा सकते थे और उन्होंने पूरे गांव को भोजन करा दिया. इस दौरान गांव के पंच भी भोजन करने पहुंचे. लेकिन अब गांव के लोगों के पास उनका मजाक बनाने के लिए कुछ नहीं था. इसपर पंचों ने कह दिया कि नरसी ने दोनों सेठ को ठग लिया है. यह बात नरसी मेहता तक पहुंची. अब वो सोचने लगे कि उनकी वर्षों पुरानी बेदाग छवि धूमिल हो रही है.

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नरसी जी ने पुकारा ठाकुर जी को : दूसरी तरफ दोनों ही सेठ द्वारिका में नरसी मेहती की लिखी गई हुंडी के सेठ को ढूंढते हैं. लेकिन उन्हें ऐसा कोई सेठ नहीं मिला. नरसी मेहता भी अपने ठाकुर जी से लाज बचाने के लिए प्रार्थना कर रहे थे. तब भगवान रूप बदलकर द्वारिका मंदिर के बाहर बैठ जाते हैं. जैसे ही दोनों सेठ दर्शन करके बाहर निकलते हैं तो उन्हें एक अनजान व्यक्ति बैठा हुआ दिखाई देता है. जैसे ही दोनों सेठ उस अनजान व्यक्ति के पास पहुंचे और नरसी का नाम लिया तो उस अनजान व्यक्ति ने उन्हें 700 रुपए दे दिए. उन्होंने दोनों ही सेठ को भोजन भी कराया.

इसके बाद दोनों सेठ में महल में गए तो वहां हजारों मुंशी काम कर रहे थे. दोनों ही सेठ ने उनसे पूछा कि इतने लोग किसके लिए काम कर रहे हैं. अंजान व्यक्ति ने बड़ी ही सरलता से कहा यह नरसी मेहता के लिए काम करते हैं. इसके बाद दोनों ही सेठ द्वारका से वापस जूनागढ़ पहुंचे. नरसी मेहता उनसे सामा मांगने ही वाले थे कि दोनों सेठ उनके पैरों में गिर गए. उन्होंने कहा कि आप इतने बड़े आदमी हैं, लेकिन इतनी सरलता से रहते हैं. उन्होंने पूरी कहानी नरसी मेहता को सुनाई. इसपर नरसी मेहता ने दोनों सेठ के पैर पकड़ लिए. जब दोनों ने इसका कारण पूछा तो नरसी जी ने कहा कि भगवान ने मेरी लाज बचाई है लेकिन आपको तो प्रभु ने दर्शन दिए हैं.

Last Updated : Feb 15, 2023, 8:32 PM IST
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