उदयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मानगढ़ धाम दौरे से आदिवासियों को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है. उम्मीद की जा रही थी कि पीएम मोदी मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करेंगे. लेकिन पीएम क्षेत्र के विकास के लिए चार राज्यों के संयुक्त काम करने की बात कह कर रह गए. इस बीच उदयपुर के प्रभारी मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि इससे आदिवासियों को निराशा हुई है.
सीएम अशोक गहलोत के साथ उदयपुर के प्रभारी मंत्री रामलाल जाट भी मानगढ़ गए थे. उदयपुर सर्किट हाउस पहुंचने पर रामलाल जाट ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि आदिवासियों को निराशा हाथ लगी है. क्योंकि कई वर्षों से मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत प्रयास कर रहे (demand of declaring Mangarh as National Monument) थे. जाट ने कहा कि हमारे आदिवासी भाई गुरु गोविंद सिंह के नेतृत्व में लोकतंत्र को बचाने के लिए यहां संघर्ष किया गया. इतिहासकारों ने बताया कि यह स्थान कितना महत्वपूर्ण है.
जाट ने कहा कि मानगढ़ में आज से 18 साल पहले स्मारक बनाया था. आदिवासियों की आस्था का केंद्र मानगढ़ दुनिया की नजरों में आए इसलिए विकास का काम किया गया था. इस बीच राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की थी. जाट ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर देते, तो दुनिया भर में इस स्थान का नाम रोशन होता और लोगों को पता चलता कि आदिवासी भील समाज के लोगों ने इतनी बड़ी शहादत दी थी. मंत्री ने कहा कि यह बड़ा आयोजन प्रधानमंत्री का सिर्फ राजनीतिक दौरा साबित हुआ.
आदिवासी समाज के लोगों का आजादी में बहुत बड़ा योगदान: इस दौरान रामलाल जाट ने कहा कि देश की आजादी में आदिवासी समाज के लोगों का बहुत बड़ा योगदान है. हजारों लोगों ने मानगढ़ में अपनी शहादत दे दी. ऐसे में यह पवित्र स्थान अगर राष्ट्रीय स्मारक घोषित होता, तो उस दौरान शहीद हुए लोगों की आत्मा को भी शांति मिलती. इसके साथ ही युवा पीढ़ी को वहां की जानकारी मिलती. लेकिन भाजपा की सरकार ने सिर्फ राजनीति करने का काम किया है.