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अगर अब जल संरक्षण पर नहीं दिया ध्यान तो फिर बूंद-बूंद को तरसेगा इंसान: डॉ. राजेंद्र सिंह - ETV bharat Rajasthan

मैग्सेसे पुरस्कार विजेता (Ramon Magsaysay Award Winniner) डॉ. राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने पानी को लेकर पेश आ रही मौजूदा समस्याओं पर अपनी चिंताए जाहिर की.

water man of india,  World water conference in Udaipur
डॉ. राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
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Published : Dec 10, 2022, 5:56 PM IST

डॉ. राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

उदयपुर. लेकसिटी में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जल सम्मेलन में सम्मिलित हुए (World water conference in Udaipur) मैग्सेसे पुरस्कार विजेता (Ramon Magsaysay Award Winniner) व सूखा और बाढ़ के विश्व जन आयोग स्वीडन के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने पानी को लेकर पेश आ रही मौजूदा समस्याओं पर अपनी बातें रखी. वाटर मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर डॉ. राजेंद्र ने (water man of india) कहा कि घटते जल संसाधनों से विश्व शांति पर खतरा मंडराने लगा है. ऐसे मे विकेंद्रीकृत जल संरक्षण व्यवस्था को अपनाने का आह्वान किया जाना जरूरी है. सिंह ने बताया कि देश में आजादी के दौरान करीब 232 गांव ऐसे थे, जहां पानी की किल्लत थी, लेकिन आज हजारों गांवों में जल संकट उत्पन्न हो गया है.

खैर, यह हालत केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में देखने को मिल रहे हैं. मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित राजेंद्र सिंह अब तक 127 देशों की यात्रा कर चुके हैं. जहां उन्हें कई देशों में पानी की बड़ी समस्याएं देखने को मिली है. उन्होंने बताया कि कई इलाकों में तो पानी के अभाव में दुनिया उजड़ने की स्थिति में है.

इसे भी पढ़ें - तीन दिवसीय जल सम्मेलन का आगाजः 6 महाद्वीपों के जल जीवन विशेषज्ञ करेंगे समस्या समाधान पर चर्चा

लोग पलायन को मजबूर... उन्होंने कहा कि पानी न होने के कारण भी लोग पलायन करते हैं और बाढ़ आने के कारण भी. इन हालातों को देखते हुए वर्तमान में तीसरे विश्व जल युद्ध की आशंकाए बढ़ने लगी है. राजस्थान में बारिश नहीं होने के कारण पहले से ही लोग पलायन करते रहे हैं. लेकिन अब राजस्थान में माइग्रेशन की परंपरा विस्थापन में बदल गई है, क्योंकि पहले लोग बरसात नहीं होने के कारण कुछ समय बाहर जाते थे और बारिश के दिनों में फिर अपने गांव लौट आते थे. खैर, अब ऐसा नहीं दिखता है.

सरकार और समाज को देना होगा ध्यान... राजेंद्र सिंह ने सरकारों के जल बचाने को लेकर उठाए जा रहे कदम पर कहा कि यह कदम स्थायी कदम नहीं है. सरकार पानी पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए अलग-अलग कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर कोई भी वर्षा जल के संरक्षण को लेकर सजग नहीं है.

फिर खड़ी हो जाएगी पानी की विकराल समस्या... उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में भी हमारे पास पीने योग्य पानी नहीं है. लेकिन अभी भी सरकार और समाज के लोग सजग नहीं हुए तो भविष्य में विकराल समस्या खड़ी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर इस समस्या पर गौर नहीं किया गया तो अगले 5-6 सालों में ही इसका असर भी दिखने लगेगा.

डॉ. राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

उदयपुर. लेकसिटी में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जल सम्मेलन में सम्मिलित हुए (World water conference in Udaipur) मैग्सेसे पुरस्कार विजेता (Ramon Magsaysay Award Winniner) व सूखा और बाढ़ के विश्व जन आयोग स्वीडन के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने पानी को लेकर पेश आ रही मौजूदा समस्याओं पर अपनी बातें रखी. वाटर मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर डॉ. राजेंद्र ने (water man of india) कहा कि घटते जल संसाधनों से विश्व शांति पर खतरा मंडराने लगा है. ऐसे मे विकेंद्रीकृत जल संरक्षण व्यवस्था को अपनाने का आह्वान किया जाना जरूरी है. सिंह ने बताया कि देश में आजादी के दौरान करीब 232 गांव ऐसे थे, जहां पानी की किल्लत थी, लेकिन आज हजारों गांवों में जल संकट उत्पन्न हो गया है.

खैर, यह हालत केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में देखने को मिल रहे हैं. मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित राजेंद्र सिंह अब तक 127 देशों की यात्रा कर चुके हैं. जहां उन्हें कई देशों में पानी की बड़ी समस्याएं देखने को मिली है. उन्होंने बताया कि कई इलाकों में तो पानी के अभाव में दुनिया उजड़ने की स्थिति में है.

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लोग पलायन को मजबूर... उन्होंने कहा कि पानी न होने के कारण भी लोग पलायन करते हैं और बाढ़ आने के कारण भी. इन हालातों को देखते हुए वर्तमान में तीसरे विश्व जल युद्ध की आशंकाए बढ़ने लगी है. राजस्थान में बारिश नहीं होने के कारण पहले से ही लोग पलायन करते रहे हैं. लेकिन अब राजस्थान में माइग्रेशन की परंपरा विस्थापन में बदल गई है, क्योंकि पहले लोग बरसात नहीं होने के कारण कुछ समय बाहर जाते थे और बारिश के दिनों में फिर अपने गांव लौट आते थे. खैर, अब ऐसा नहीं दिखता है.

सरकार और समाज को देना होगा ध्यान... राजेंद्र सिंह ने सरकारों के जल बचाने को लेकर उठाए जा रहे कदम पर कहा कि यह कदम स्थायी कदम नहीं है. सरकार पानी पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए अलग-अलग कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर कोई भी वर्षा जल के संरक्षण को लेकर सजग नहीं है.

फिर खड़ी हो जाएगी पानी की विकराल समस्या... उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में भी हमारे पास पीने योग्य पानी नहीं है. लेकिन अभी भी सरकार और समाज के लोग सजग नहीं हुए तो भविष्य में विकराल समस्या खड़ी हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर इस समस्या पर गौर नहीं किया गया तो अगले 5-6 सालों में ही इसका असर भी दिखने लगेगा.

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