ETV Bharat / state

2018 में टूट गया सालों पुराना मिथक! जब ज्यादा सीटों के बाद भी भाजपा नहीं बना पाई थी सरकार

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान होने हैं. इसमें मतदाता तय करेंगे कि प्रदेश में किसको मिलेगी 'कुर्सी'. इस सियासी रण में उदयपुर संभाग हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है. 2018 में मेवाड़ फतह करने वाले दल का सरकार बनाने का सिलसिला टूट गया था. इस बार जानिए क्या बन रहे समीकरण...

importance of udaipur division in election
राजस्थान चुनाव में उदयपुर संभाग महत्वपूर्ण
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 24, 2023, 10:10 AM IST

Updated : Nov 24, 2023, 12:31 PM IST

उदयपुर. प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हर बार मेवाड़ में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलता है. इस बार भी भाजपा-कांग्रेस के बीच कई सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. हालांकि, राजस्थान में सत्ता का द्वार कहे जाने वाले मेवाड़ की 6 जिलों की 28 विधानसभा सीटें राजस्थान के सियासी रण में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां जिस दल की सीटें ज्यादा आती हैं, वो पार्टी ही प्रदेश में सरकार बनाती है, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में मेवाड़ ने इस मिथक को तोड़ते हुए नए सियासी समीकरण पैदा किए हैं. मेवाड़ की 28 सीटों में से 17 सीटें रिजर्व हैं, जिसमें 16 सीटें अकेले अनुसूचित जनजाति के लिए हैं.

भाजपा की मजबूत जड़ों को नहीं हिला पाई कांग्रेस : वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज कर भाजपा को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया था, लेकिन उदयपुर संभाग सहित जिले में कांग्रेस भाजपा की मजबूत जड़ों को नहीं हिला पाई. गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में हुए इस चुनाव में भाजपा ने संभाग की 28 में से 15 सीटों पर कब्जा किया तो वहीं उदयपुर जिले की 8 में से 6 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.

पढ़ें : जयपुर के 19 विधानसभा क्षेत्रों में 3 जगहों से रवाना होंगे 4691 मतदान दल, यह है तैयारी

सालों से चला आ रहा मिथक टूटा : बीते पांच सालों में उदयपुर जिले के साथ संभाग में राजनीतिक स्थितियों में बदलाव आया है. 28 में से बीजेपी के खाते में 15 सीटें गईं थीं, जबकि कांग्रेस ने 2013 में मिली 2 सीटों की तुलना में सुधार करते हुए 10 सीटों पर कब्जा जमाया था, लेकिन सरकार कांग्रेस ने बनाई और मेवाड़ फतह करने वाले दल का सरकार बनाने का सिलसिला टूट गया.

बता दें कि मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में कुल 28 सीटें हैं. उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर के जिले इनमें शामिल हैं. इनमें उदयपुर की सबसे अधिक 8 सीटें आती हैं, जबकि चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा में 5-5, डूंगरपुर और राजसमंद जिले में 4-4 सीटें आती हैं, जबकि प्रतापगढ़ जिले की 2 सीटें भी इसी क्षेत्र में आती हैं. इन 28 सीटों में से उदयपुर और बांसवाड़ा की 5-5 सीटें, डूंगरपुर की 4 सीटें तो प्रतापगढ़ की 2 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए रिजर्व हैं तो चित्तौड़गढ़ जिले की एक सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व की गई हैं.

उदयपुर. प्रदेश के विधानसभा चुनाव में हर बार मेवाड़ में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलता है. इस बार भी भाजपा-कांग्रेस के बीच कई सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. हालांकि, राजस्थान में सत्ता का द्वार कहे जाने वाले मेवाड़ की 6 जिलों की 28 विधानसभा सीटें राजस्थान के सियासी रण में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां जिस दल की सीटें ज्यादा आती हैं, वो पार्टी ही प्रदेश में सरकार बनाती है, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में मेवाड़ ने इस मिथक को तोड़ते हुए नए सियासी समीकरण पैदा किए हैं. मेवाड़ की 28 सीटों में से 17 सीटें रिजर्व हैं, जिसमें 16 सीटें अकेले अनुसूचित जनजाति के लिए हैं.

भाजपा की मजबूत जड़ों को नहीं हिला पाई कांग्रेस : वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज कर भाजपा को सूबे की सत्ता से बेदखल कर दिया था, लेकिन उदयपुर संभाग सहित जिले में कांग्रेस भाजपा की मजबूत जड़ों को नहीं हिला पाई. गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में हुए इस चुनाव में भाजपा ने संभाग की 28 में से 15 सीटों पर कब्जा किया तो वहीं उदयपुर जिले की 8 में से 6 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.

पढ़ें : जयपुर के 19 विधानसभा क्षेत्रों में 3 जगहों से रवाना होंगे 4691 मतदान दल, यह है तैयारी

सालों से चला आ रहा मिथक टूटा : बीते पांच सालों में उदयपुर जिले के साथ संभाग में राजनीतिक स्थितियों में बदलाव आया है. 28 में से बीजेपी के खाते में 15 सीटें गईं थीं, जबकि कांग्रेस ने 2013 में मिली 2 सीटों की तुलना में सुधार करते हुए 10 सीटों पर कब्जा जमाया था, लेकिन सरकार कांग्रेस ने बनाई और मेवाड़ फतह करने वाले दल का सरकार बनाने का सिलसिला टूट गया.

बता दें कि मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में कुल 28 सीटें हैं. उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर के जिले इनमें शामिल हैं. इनमें उदयपुर की सबसे अधिक 8 सीटें आती हैं, जबकि चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा में 5-5, डूंगरपुर और राजसमंद जिले में 4-4 सीटें आती हैं, जबकि प्रतापगढ़ जिले की 2 सीटें भी इसी क्षेत्र में आती हैं. इन 28 सीटों में से उदयपुर और बांसवाड़ा की 5-5 सीटें, डूंगरपुर की 4 सीटें तो प्रतापगढ़ की 2 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए रिजर्व हैं तो चित्तौड़गढ़ जिले की एक सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए रिजर्व की गई हैं.

Last Updated : Nov 24, 2023, 12:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.