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बिना निगरानी बच्चों के YouTube उपयोग को हाईकोर्ट ने माना गंभीर, कस्टडी दादा-दादी से लेकर मां को सौंपी - RAJASTHAN HIGH COURT

राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 साल और 7 साल के बच्चों की कस्टडी को दादा-दादी से लेकर उनकी मां को सौंपी है.

राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 3, 2025, 11:43 AM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर गंभीरता दिखाई है. इसके साथ ही अदालत ने 11 साल की बच्ची और उसके सात साल के भाई की कस्टडी दादा-दादी से लेकर उनकी मां को सौंप दी है. हालांकि, अदालत ने बच्चों को हर रविवार दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक दादा-दादी को बच्चों से मिलने की छूट दी है. बच्चे पिता की मौत के बाद अपने दादा-दादी के पास रह रहे थे.

जस्टिस पंकज भंडारी की अदालत ने कहा कि बच्ची वीडियो बनाने के बाद उसे एडिट कर यूट्यूब पर अपलोड कर रही है. उसके दादा-दादी ने इसे लेकर उस पर निगरानी नहीं रखी. ऐसे में यह गंभीर लापरवाही है. बच्चों की मां ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर उनकी कस्टडी सौंपने की गुहार की थी. सुनवाई के दौरान मां की ओर से बच्ची का यूट्यूब चैनल अदालत में दिखाकर कहा गया कि दादा-दादी उनकी देखरेख सही ढंग से नहीं कर रहे हैं. दादा-दादी के सामने ही बच्ची यूट्यूब पर रील्स और वीडियो अपलोड करती है, लेकिन दादा-दादी उसे नहीं रोकते.

इसे भी पढे़ं. वित्तीय हालात बेहतर होना बच्चे की अभिरक्षा का आधार नहीं- हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

इस पर अदालत ने कहा कि बिना देखरेख छोटे उम्र के बच्चों की ओर से सोशल मीडिया का उपयोग गंभीर है और यह उन्हें साइबर अटैक की चपेट में ला सकता है. इसके बावजूद भी दादा-दादी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. बच्ची इसके लिए पिता का मोबाइल उपयोग कर रही थी, जिससे उसकी कमाई भी किसी और के पास जा रही थी. अदालत ने कहा कि मां ही बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक होती है. ऐसे में बच्चों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए उनकी कस्टडी मां को सौंपी जाती है. अदालत ने कहा कि मां शिक्षित और आत्मनिर्भर है, इसलिए वह बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकती है.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्चों के सोशल मीडिया के उपयोग को लेकर गंभीरता दिखाई है. इसके साथ ही अदालत ने 11 साल की बच्ची और उसके सात साल के भाई की कस्टडी दादा-दादी से लेकर उनकी मां को सौंप दी है. हालांकि, अदालत ने बच्चों को हर रविवार दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक दादा-दादी को बच्चों से मिलने की छूट दी है. बच्चे पिता की मौत के बाद अपने दादा-दादी के पास रह रहे थे.

जस्टिस पंकज भंडारी की अदालत ने कहा कि बच्ची वीडियो बनाने के बाद उसे एडिट कर यूट्यूब पर अपलोड कर रही है. उसके दादा-दादी ने इसे लेकर उस पर निगरानी नहीं रखी. ऐसे में यह गंभीर लापरवाही है. बच्चों की मां ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर उनकी कस्टडी सौंपने की गुहार की थी. सुनवाई के दौरान मां की ओर से बच्ची का यूट्यूब चैनल अदालत में दिखाकर कहा गया कि दादा-दादी उनकी देखरेख सही ढंग से नहीं कर रहे हैं. दादा-दादी के सामने ही बच्ची यूट्यूब पर रील्स और वीडियो अपलोड करती है, लेकिन दादा-दादी उसे नहीं रोकते.

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इस पर अदालत ने कहा कि बिना देखरेख छोटे उम्र के बच्चों की ओर से सोशल मीडिया का उपयोग गंभीर है और यह उन्हें साइबर अटैक की चपेट में ला सकता है. इसके बावजूद भी दादा-दादी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया. बच्ची इसके लिए पिता का मोबाइल उपयोग कर रही थी, जिससे उसकी कमाई भी किसी और के पास जा रही थी. अदालत ने कहा कि मां ही बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक होती है. ऐसे में बच्चों के सर्वोत्तम हित को देखते हुए उनकी कस्टडी मां को सौंपी जाती है. अदालत ने कहा कि मां शिक्षित और आत्मनिर्भर है, इसलिए वह बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकती है.

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