ETV Bharat / state

दुनिया का एक ऐसा अनोखा मंदिर, जहां माता रानी करती हैं अग्नि स्नान

author img

By

Published : Sep 29, 2019, 8:57 AM IST

उदयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. दरअसल, कहा जाता है कि यहां के ईडाणामाता मंदिर में माता रानी अग्नि स्नान करती है. यह मंदिर जयपुर से महज 60 किलोमीटर दूर कुराबड रोड पर स्थित है.

Mata Rani take Agni bathes, Udaipur news, उदयपुर खबर

उदयपुर. जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां माता रानी अग्नि स्नान करती है. यह मंदिर जयपुर से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर कुराबड रोड पर ईडाणामाता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. बता दें कि ये मंदिर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. मेवाड़ के शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ ईडाणामाता का मंदिर भी है.

बता दें कि ये देश का एकमात्र मन्दिर है, जहां माता रानी अग्नि स्नान करती हैं. सबकी मनोकामना पूरी करने वाली ईडाणा माता को मेवल महाराणी भी कहते हैं. बताया जाता है कि ईडाणा माता एक बरगद के पेड़ के नीचे प्रकट हुई थी. कालांतर में इस क्षेत्र से गुजर रहे एक संत को स्वंय माता रानी ने एक कन्या के रूप में दर्शन देते हुए यही रहने का निवेदन किया. संत ने भक्ति-आराधना आरंभ की तो कुछ ही दिनों में यहां चमत्कार होने लग गए.

ईडाणामाता मंदिर में माता रानी करती हैं अग्नि स्नान

पढ़ें- शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू...शिला माता मंदिर में सुबह 6:25 बजे होगी घटस्थापना

कहा जाता है कि माता के चमत्कार के कारण अन्धों को दिखाई देने लगा, लकवा वाले ठीक होने लगे, नि:सन्तानों को औलादों का सुख प्राप्त होने लगा. सबकी मनोकामनाएं पूरी होने लगी. ऐसे में धीरे-धीरे प्रचार-प्रसार होने से आज राजस्थान के साथ ही यहां गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं आने लगे. बता दें कि अग्नि स्नान करने वाली मेवल महारानी का अग्नि स्नान भी बड़ा रोचक होता है. यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि माताजी के ऊपर भार होते ही माताजी अग्नि स्नान कर लेती है.

पढ़ें- यूडीएच मंत्री की खरी-खरी, एनयूएलएम के कर्मचारियों को हटा नहीं रहे..उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है

जानकारी के अनुसार माताजी को चुनरी और अन्य कपड़े आदि का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. माता रानी के ऊपर इनका भार जैसे ही होता है, वैसे ही वो अग्नि का स्नान कर लेती है. चढ़ावे के पहने कपडे़ को जला देती है. इस दौरान नजदीक के बरगद के पेड़ को भी चपेट में ले लेती है. लेकिन माता रानी की मूर्ति पर कोई भी असर नहीं होता. अग्नि स्नान के वक्त माताजी की मूर्ति सही सलामत रहती है. दूसरी तरफ माताजी के समीप अखण्ड ज्योत भी जलती रहती है. उसे भी कोई असर नहीं होता है. पहले चिती दर्शन हर रविवार को होते थे. लेकिन, इनदिनों किसी-किसी को ही दर्शन नसीब हो पाते हैं. चिती की झलक मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

पढ़ें- RCA चुनाव : जोशी-डूडी दोनों बड़े नेताओं के आमने-सामने होने की संभावना कम, हो सकता है निर्विरोध निर्वाचन

ऐसी मान्यता है कि माताजी कि प्रतिमा खुले में विराजित है. उनके उपर कोई भी छाया का नामोंनिशान तक नहीं है. जबकी वहां पर धर्मशालाएं, आवासीय परिसर और ट्रस्ट भी हैं. माताजी के दर्शन हेतु दूर- दराज से श्रद्धालु आते हैं. हर रविवार को मेला लगता है. भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने पर प्रसाद का आयोजन होता है. साथ ही चैत्र और शारदीय नवरात्र में नौ दिनों तक हवन यज्ञ का कार्यक्रम होता है. अष्टमी और नवमी को देवी मां के दरबार में काफी भीड़ लगती रहती है.

उदयपुर. जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां माता रानी अग्नि स्नान करती है. यह मंदिर जयपुर से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर कुराबड रोड पर ईडाणामाता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. बता दें कि ये मंदिर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. मेवाड़ के शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ ईडाणामाता का मंदिर भी है.

बता दें कि ये देश का एकमात्र मन्दिर है, जहां माता रानी अग्नि स्नान करती हैं. सबकी मनोकामना पूरी करने वाली ईडाणा माता को मेवल महाराणी भी कहते हैं. बताया जाता है कि ईडाणा माता एक बरगद के पेड़ के नीचे प्रकट हुई थी. कालांतर में इस क्षेत्र से गुजर रहे एक संत को स्वंय माता रानी ने एक कन्या के रूप में दर्शन देते हुए यही रहने का निवेदन किया. संत ने भक्ति-आराधना आरंभ की तो कुछ ही दिनों में यहां चमत्कार होने लग गए.

ईडाणामाता मंदिर में माता रानी करती हैं अग्नि स्नान

पढ़ें- शारदीय नवरात्र रविवार से शुरू...शिला माता मंदिर में सुबह 6:25 बजे होगी घटस्थापना

कहा जाता है कि माता के चमत्कार के कारण अन्धों को दिखाई देने लगा, लकवा वाले ठीक होने लगे, नि:सन्तानों को औलादों का सुख प्राप्त होने लगा. सबकी मनोकामनाएं पूरी होने लगी. ऐसे में धीरे-धीरे प्रचार-प्रसार होने से आज राजस्थान के साथ ही यहां गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश समेत देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं आने लगे. बता दें कि अग्नि स्नान करने वाली मेवल महारानी का अग्नि स्नान भी बड़ा रोचक होता है. यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि माताजी के ऊपर भार होते ही माताजी अग्नि स्नान कर लेती है.

पढ़ें- यूडीएच मंत्री की खरी-खरी, एनयूएलएम के कर्मचारियों को हटा नहीं रहे..उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है

जानकारी के अनुसार माताजी को चुनरी और अन्य कपड़े आदि का चढ़ावा चढ़ाया जाता है. माता रानी के ऊपर इनका भार जैसे ही होता है, वैसे ही वो अग्नि का स्नान कर लेती है. चढ़ावे के पहने कपडे़ को जला देती है. इस दौरान नजदीक के बरगद के पेड़ को भी चपेट में ले लेती है. लेकिन माता रानी की मूर्ति पर कोई भी असर नहीं होता. अग्नि स्नान के वक्त माताजी की मूर्ति सही सलामत रहती है. दूसरी तरफ माताजी के समीप अखण्ड ज्योत भी जलती रहती है. उसे भी कोई असर नहीं होता है. पहले चिती दर्शन हर रविवार को होते थे. लेकिन, इनदिनों किसी-किसी को ही दर्शन नसीब हो पाते हैं. चिती की झलक मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

पढ़ें- RCA चुनाव : जोशी-डूडी दोनों बड़े नेताओं के आमने-सामने होने की संभावना कम, हो सकता है निर्विरोध निर्वाचन

ऐसी मान्यता है कि माताजी कि प्रतिमा खुले में विराजित है. उनके उपर कोई भी छाया का नामोंनिशान तक नहीं है. जबकी वहां पर धर्मशालाएं, आवासीय परिसर और ट्रस्ट भी हैं. माताजी के दर्शन हेतु दूर- दराज से श्रद्धालु आते हैं. हर रविवार को मेला लगता है. भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने पर प्रसाद का आयोजन होता है. साथ ही चैत्र और शारदीय नवरात्र में नौ दिनों तक हवन यज्ञ का कार्यक्रम होता है. अष्टमी और नवमी को देवी मां के दरबार में काफी भीड़ लगती रहती है.

Intro:नवरात्रि का पावन पर्व देश-दुनिया में धूमधाम से मनाया जा रहा है आइए आपको दिखाते हैं नवरात्रि पर उदयपुर का एक ऐसा अनोखा मंदिर जहां माता रानी अग्नि स्नान करती है जी हां जयपुर से 60 किलोमीटर दूर कुराबड रोड पर ईडाणामाता मंदिर देश दुनिया में माता रानी के अग्नि स्नान के लिए प्रसिद्ध है Body:मेवाड के शक्तिपिठों में से एक शक्तिपिठ ईडाणामाता के नाम से भी जाना जाता है राजस्थान ही नहीं बल्कि देश का एकमात्र मन्दिर है जहां माताजी अग्नि स्नान करती है सर्व मनोकामना पूरी करने वाली ईडाणा माता को मेवल महाराणी भी कहते है मिथकों के अनुसार ईडाणा माताजी एक बरगद के पेड के निचे प्रकट हुए कालांतर में एक संत उस क्षेत्र से निकल रहे थे स्वंय माताजी एक कन्या के रूप में दर्शन दिए और उसको यही रहने का निवेदन किया संत ने भक्ती की ओर आराधना आरम्भ की तो कुछ ही दिनों में यहाँ चमत्कार पर चमत्कार होने लग गए यहां पर अन्धो को आंखों से दिखाई देने लगा, लकवा वाले ठिक हुए ,निसन्तानो को औलाद दी,एवम सभी श्रधालुऔ कि मनोकामनाए पुरी होने लगी ऐसे में धीरे धीरे प्रचार प्रसार होने के बाद आज राजस्थान ही नही अपितु गुजरात , महाराष्ट्र , मध्यप्रदेश समेत देश के कोने कोने से श्रद्धालुओं का यहां जमावडा लगने लगा अग्नि स्नान करने वाली मेवल महारानी का अग्नि स्नान भी बड़ा रोचक होता है पुराने पुराने लोग बताते हैं कि माताजी के ऊपर भार होते ही माताजी अग्नि स्नान कर लेती है जानकारी के अनुसार माताजी को चूंदड़ कपड़े आदी चढ़ावा चढाया जाता है जैसे ही माताजी के ऊपर इनका भार हो जाता है स्वतः माताजी अग्नि का स्नान कर देती है चढ़ावे के पहने कपडे को जला देती है इस पर समीप ही बरगद के पेड को चपेट मे ले लेती है परन्तु माताजी कि मुरत पर कोई भी असर नहि होता तथा अग्नी स्नान के वक्त माताजी की मूर्ति सही सलामत रहती है दूसरी तरफ माताजी के समीप अखण्ड ज्योत भी जलती है उसे भी कोई असर नही होता है पहले चिती दर्शन हर रवीवार को होते थे पर आजकल किसी क़िस्मत वाले व्यक्ति को ही दर्शन होते है और चिती की झलक से सारी मनोकामनाए पुरी होति है ऐसी मान्यता है माताजी कि प्रतीमा खुले मे विराजीत है उनके उपर कोई भी छाया नाम का नामों निशान तक नहि है Conclusion:जबकी वहा पर धर्मशालाओं ओर आवासीय परिसर और ट्रस्ट है माताजी के दर्शन हेतु दूर दराज से श्रधालु आते है , प्रत्येक रविवार को मेला लगता है भक्तो कि मनोकामनाए पूरी होने पर प्रसादी का आयोजन करते है साथ ही चैत्री और शारदीय नवरात्र मे नो दिनो तक हवन यग्य का कार्यक्रम होता है अष्टमि और नवमी को देवी मां के दरबार में विशेष भीड रहती है
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.