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Mahashivratri 2023: 900 साल पुराना महाकालेश्वर मंदिर, जहां स्वयंभू अलग-अलग स्वरूपों में देते हैं दर्शन

उदयपुर में भगवान शिव के कई अद्भुत मंदिर स्थित हैं. इनमें से एक है 900 साल पुराना (Unique Temples of Udaipur) भगवान महाकालेश्वर मंदिर. जहां स्वयंभू अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देते हैं. पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट....

Mahakaleshwar Temple in Udaipur
उदयपुर का महाकालेश्वर मंदिर
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Published : Feb 14, 2023, 6:03 PM IST

उदयपुर का 900 साल पुराना महाकालेश्वर मंदिर

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में स्थित 900 साल पुराना भगवान महाकालेश्वर का मंदिर, राजस्थान के बड़े और प्राचीन शिव मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां देश-दुनिया से बड़ी संख्या में भक्त अपने आराध्य देव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. बताया जाता है कि यहां भगवान महाकालेश्वर स्वयं यहां प्रकट हुए थे. भगवान भोले के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां भगवान महाकालेश्वर के अलग-अलग स्वरूप के दर्शन भी देखने को मिलते हैं.

900 साल पुराना मंदिर : भगवान महाकालेश्वर का यह मंदिर उदयपुर जिला मुख्यालय पर फतेह सागर झील किनारे स्थित है. यह करीब 900 साल पुराना एकलिंग जी के समकालीन का मंदिर है. महाकालेश्वर मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि महाकालेश्वर स्वयंभू स्वयं यहां प्रकट हुए थे. भगवान भोले के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर में देश के कोने-कोने से भक्त प्रभु के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां हर साल महाशिवरात्रि और सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. इस दौरान भगवान की विशेष पूजा अर्चना के साथ अनुष्ठान किए जाते हैं.

Mahakaleshwar Temple in Udaipur
महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चनाे करते भक्त

पढ़ें. Naldeshwar Temple of Alwar : अमरनाथ की तरह अलवर में भी गुफा में विराजमान हैं भगवान शिव, सावन माह में भरता है मेला...

भगवान महाकालेश्वर की होती विशेष पूजा अर्चना : उदयपुर में विराजित भगवान महाकालेश्वर की काफी मान्यता है. यहां भगवान भोलेनाथ स्वयंभू रूप में विराजित हैं. महाकालेश्वर का मंदिर अपने आप में दिव्य है. यहां भगवान महाकालेश्वर मंगला, मध्याह्न, सायंकाल और रात्रि चारों समय शिवलिंग के विग्रह के दर्शन होते हैं. भगवान के अलग-अलग स्वरूपों में सभी भक्तों को दर्शन होते हैं. मंगला दर्शन के समय बाल स्वरूप, मध्याह्न दर्शन में युवा स्वरूप और सायंकाल में पूर्ण विग्रह स्वरूप जबकि रात्रि में वृद्ध विग्रह के दर्शन महाकाल मंदिर में होते हैं. इतना ही नहीं, चारों काल में शिवलिंग का रंग भी अलग-अलग स्वरूप में बदला हुआ होता है.

Mahakaleshwar Temple in Udaipur
900 साल भगवान महाकालेश्वर का मंदिर

पढ़ें. Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से मिलती है मोक्ष की प्राप्ति, पढ़ें कथा

मंदिर में पहले होती है कालगणना : महाकालेश्वर मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि एक समय महाकाल मंदिर कालगणना के केंद्र के रूप में भी देखने को मिला था. मध्य प्रदेश के उज्जैन में जिस तरह महाकाल मंदिर में काल गणना का केंद्र है, उसी तरह उदयपुर के महाकाल मंदिर में काल गणना होती थी. उन्होंने बताया कि अब इस मंदिर में नवग्रह मंडल की स्थापना भी की जा रही है. इस मंदिर का निर्माण यहां आने वाले भक्तों ने करवाया है. यहां भक्त मासिक अंशदान देने के साथ अपनी मनोकामना पूरी होने पर विशेष अनुष्ठान भी करवाते हैं. यहां उदयपुर संभाग के अलावा राजस्थान के विभिन्न जिलों के साथ उदयपुर घूमने आने वाले पर्यटक भी भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

भगवान सभी की मनोकामनाएं करते हैं पूरी : मंदिर दर्शन करने पहुंचे गोपाल ने बताया कि वे पिछले 50 सालों से भगवान महाकाल के मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं. भगवान महाकालेश्वर को लेकर यहां पर आने वाले भक्तों की विशेष मान्यता है. यहां भगवान की विशेष आरती के साथ पूजा आराधना की जाती है. फिलहाल मंदिर के विकास काम चल रहा है.

उदयपुर का 900 साल पुराना महाकालेश्वर मंदिर

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में स्थित 900 साल पुराना भगवान महाकालेश्वर का मंदिर, राजस्थान के बड़े और प्राचीन शिव मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां देश-दुनिया से बड़ी संख्या में भक्त अपने आराध्य देव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. बताया जाता है कि यहां भगवान महाकालेश्वर स्वयं यहां प्रकट हुए थे. भगवान भोले के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां भगवान महाकालेश्वर के अलग-अलग स्वरूप के दर्शन भी देखने को मिलते हैं.

900 साल पुराना मंदिर : भगवान महाकालेश्वर का यह मंदिर उदयपुर जिला मुख्यालय पर फतेह सागर झील किनारे स्थित है. यह करीब 900 साल पुराना एकलिंग जी के समकालीन का मंदिर है. महाकालेश्वर मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि महाकालेश्वर स्वयंभू स्वयं यहां प्रकट हुए थे. भगवान भोले के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर में देश के कोने-कोने से भक्त प्रभु के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां हर साल महाशिवरात्रि और सावन के महीने में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. इस दौरान भगवान की विशेष पूजा अर्चना के साथ अनुष्ठान किए जाते हैं.

Mahakaleshwar Temple in Udaipur
महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चनाे करते भक्त

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भगवान महाकालेश्वर की होती विशेष पूजा अर्चना : उदयपुर में विराजित भगवान महाकालेश्वर की काफी मान्यता है. यहां भगवान भोलेनाथ स्वयंभू रूप में विराजित हैं. महाकालेश्वर का मंदिर अपने आप में दिव्य है. यहां भगवान महाकालेश्वर मंगला, मध्याह्न, सायंकाल और रात्रि चारों समय शिवलिंग के विग्रह के दर्शन होते हैं. भगवान के अलग-अलग स्वरूपों में सभी भक्तों को दर्शन होते हैं. मंगला दर्शन के समय बाल स्वरूप, मध्याह्न दर्शन में युवा स्वरूप और सायंकाल में पूर्ण विग्रह स्वरूप जबकि रात्रि में वृद्ध विग्रह के दर्शन महाकाल मंदिर में होते हैं. इतना ही नहीं, चारों काल में शिवलिंग का रंग भी अलग-अलग स्वरूप में बदला हुआ होता है.

Mahakaleshwar Temple in Udaipur
900 साल भगवान महाकालेश्वर का मंदिर

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मंदिर में पहले होती है कालगणना : महाकालेश्वर मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर दाधीच ने बताया कि एक समय महाकाल मंदिर कालगणना के केंद्र के रूप में भी देखने को मिला था. मध्य प्रदेश के उज्जैन में जिस तरह महाकाल मंदिर में काल गणना का केंद्र है, उसी तरह उदयपुर के महाकाल मंदिर में काल गणना होती थी. उन्होंने बताया कि अब इस मंदिर में नवग्रह मंडल की स्थापना भी की जा रही है. इस मंदिर का निर्माण यहां आने वाले भक्तों ने करवाया है. यहां भक्त मासिक अंशदान देने के साथ अपनी मनोकामना पूरी होने पर विशेष अनुष्ठान भी करवाते हैं. यहां उदयपुर संभाग के अलावा राजस्थान के विभिन्न जिलों के साथ उदयपुर घूमने आने वाले पर्यटक भी भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

भगवान सभी की मनोकामनाएं करते हैं पूरी : मंदिर दर्शन करने पहुंचे गोपाल ने बताया कि वे पिछले 50 सालों से भगवान महाकाल के मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं. भगवान महाकालेश्वर को लेकर यहां पर आने वाले भक्तों की विशेष मान्यता है. यहां भगवान की विशेष आरती के साथ पूजा आराधना की जाती है. फिलहाल मंदिर के विकास काम चल रहा है.

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