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राजस्थान में यहां दिन में होता है होलिका दहन, भारी संख्या में मौजूद रहते हैं लोग

जहां देशभर में होलिका दहन धुलंडी से एक दिन पहले रात को किया जाता है, वहीं राजस्थान में एक ऐसा गांव भी है, जहां होली के एक दिन बाद धुलंडी के दिन होलिका का दहन किया जाता है. इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद होते है. पढ़िए पूरी खबर..

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Published : Mar 10, 2020, 5:25 PM IST

Gavadapal Holi, उदयपुर में होली
उदयपुर के गावड़ापाल में दिन में जलाई जाती है होली

सलूंबर (उदयपुर). जिले के सलूंबर तहसील के गावड़ापाल की होली हजारों लोगों की मौजूदगी में जलाई गई. गावड़ापाल की यह होली बड़ी महत्वपूर्ण और संवेदनशील मानी जाती है. इसलिए इसे यहां के लोग इसे दिन में जलाते हैं. जो इसे और ज्यादा खास बनाती है. दशकों से चली आ रही परंपरा को यहां के आदिवासी लोग बड़े ही उत्साह के साथ आगे बढ़ा रहे है. रात में आपसी झगड़ों के चलते बड़े विवाद की आशंका को लेकर कई दशकों से यह होली दिन में ही जलाई जाती है.

उदयपुर के गावड़ापाल में दिन में जलाई जाती है होली

मंगलवार सुबह गांवडापाल के बारह फलों से ढोल और कुण्डी के ताल पर थिरकते लोग हाथों में डंडे और तलवारों के साथ होली दहन स्थल पर पहुंचे. जहां ढोल-कुंडी और थाली के लय के साथ जमकर गैर खेला. वहीं आदिवासी युवतियां भी पारंपरिक नृत्य पर अपने कदम से कदम मिलाते हुए थिरकती नजर आईं. आदिवासियों की तलवारों और लकड़ी के डंडे के साथ खेली जाने वाली गैर आकर्षण का केन्द्र होता है, जिसमें गैर खेलते गेरियों को सन्तुलन इतना जोरदार होता है कि नंगी तलवार होने के बावजूद गैर के दौरान किसी को छू भी नहीं सकती.

पढ़ें- भाजपा विधायक ने खेली पैतृक गांव में होली, कहा- इस होली में एमपी की सरकार 'डोली'

यहां की होली दहन देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांवों से हजारों लोग पहुंचे. होली दहन के मौके पर विधायक अमृतलाल मीणा, एसडीएम मणिलाल तीरगर, सलूम्बर डिप्टी रतनलाल चावला, तहसीलदार नारायणलाल जीनगर, सलूंबर थाना अधिकारी हनवंतसिंह सिंह सोढा और अनहोनी की आशंका चलते पुलिस जाप्ता मौजूद रहा.

सलूंबर (उदयपुर). जिले के सलूंबर तहसील के गावड़ापाल की होली हजारों लोगों की मौजूदगी में जलाई गई. गावड़ापाल की यह होली बड़ी महत्वपूर्ण और संवेदनशील मानी जाती है. इसलिए इसे यहां के लोग इसे दिन में जलाते हैं. जो इसे और ज्यादा खास बनाती है. दशकों से चली आ रही परंपरा को यहां के आदिवासी लोग बड़े ही उत्साह के साथ आगे बढ़ा रहे है. रात में आपसी झगड़ों के चलते बड़े विवाद की आशंका को लेकर कई दशकों से यह होली दिन में ही जलाई जाती है.

उदयपुर के गावड़ापाल में दिन में जलाई जाती है होली

मंगलवार सुबह गांवडापाल के बारह फलों से ढोल और कुण्डी के ताल पर थिरकते लोग हाथों में डंडे और तलवारों के साथ होली दहन स्थल पर पहुंचे. जहां ढोल-कुंडी और थाली के लय के साथ जमकर गैर खेला. वहीं आदिवासी युवतियां भी पारंपरिक नृत्य पर अपने कदम से कदम मिलाते हुए थिरकती नजर आईं. आदिवासियों की तलवारों और लकड़ी के डंडे के साथ खेली जाने वाली गैर आकर्षण का केन्द्र होता है, जिसमें गैर खेलते गेरियों को सन्तुलन इतना जोरदार होता है कि नंगी तलवार होने के बावजूद गैर के दौरान किसी को छू भी नहीं सकती.

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यहां की होली दहन देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांवों से हजारों लोग पहुंचे. होली दहन के मौके पर विधायक अमृतलाल मीणा, एसडीएम मणिलाल तीरगर, सलूम्बर डिप्टी रतनलाल चावला, तहसीलदार नारायणलाल जीनगर, सलूंबर थाना अधिकारी हनवंतसिंह सिंह सोढा और अनहोनी की आशंका चलते पुलिस जाप्ता मौजूद रहा.

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