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घनश्याम खटीकः एक सरकारी स्कूल का शिक्षक जो दूसरों के लिए मिसाल बन गया - ईटीवी भारत हिंदी समाचार

आप सोच रहे होंगे कि ना बारिश हो रही है और ना ही कड़ाके की धूप है, फिर भी ये बच्चे छाता लेकर स्कूल क्यों जा रहे हैं, तो आपको बता दें कि इसके पीछे स्कूल के ही शिक्षक घनश्याम खटीक की सोच है.

ETV Bharat Hindi News, शिक्षक घनश्याम खटीक
ऐसे बनेगी दो गज की दूरी
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Published : Dec 26, 2020, 9:48 AM IST

उदयपुर. कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का इरादा हो, तो हर कार्य से समाज को सीख दी जा सकती है. वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए जहां हजारों लोगों ने पीएम केयर्स फंड और मुख्यमंत्री सहायता कोष में लाखों रुपए डोनेट किए, तो वहीं एक शिक्षक ने इनाम की राशि से समाज और और बच्चों के बीच अपनी एक अलग छाप छोड़ दी.

ऐसे बनेगी दो गज की दूरी

जिले एक सरकारी शिक्षक घनश्याम खटीक की हर जगह सराहना हो रही है. सरकार ने घनश्याम खटीक को श्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार से नवाजा है. वहीं, घनश्याम ने पुरस्कार की राशि को अपने बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए खर्च कर दिया.

यह भी पढ़ेंः अजय माकन ने गिनाई सरकार की उपलब्धियां, राजस्थान कांग्रेस को दिए कृषि कानूनों का विरोध करने के निर्देश

बता दें, काया गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में बतौर सहायक शिक्षक को पिछले दिनों श्रेष्ठ शिक्षक के तौर पर ₹21000 का इनाम सरकार द्वारा मिला था. इस राशि को उन्होंने स्कूल के बच्चों पर खर्च करने का निर्णय किया. घनश्याम ने सरकार की कोरोना गाइडलाइन की पालना कराने के लिए और बच्चों के बीच 2 गज की दूरी जरूरी पर मंथन करते हुए छात्रों को बीच छाते और मास्क देने का प्लान तैयार किया. स्कूल के छात्र-छात्राओं की संख्या को देखते हुए शिक्षक घनश्याम ने दिल्ली की एक संस्था से 250 छाते और 500 मास्क आर्डर किए. छाते का प्लान काफी कारगर नजर आ रहा है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की पालना सुनिश्चित हो रही है.

ETV Bharat Hindi News, शिक्षक घनश्याम खटीक
मास्क पहनकर स्कूल में काम करते बच्चे

यह भी पढ़ेंः कैबिनेट एक्सपेंशन में देरी से टूट रहा विधायकों का सब्र, कहा- शादी जवानी में ही अच्छी लगती है

शिक्षण घनश्याम का कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी भी बरकरार है और बच्चे इसके चलते लंबे समय से स्कूल तक नहीं आ पा रहे हैं. मास्क और छाते का उपयोग करते हुए यदि वे स्कूल आते हैं, तो इसका खतरा काफी हद तक कम हो सकता है. इसलिए मैंने अपने इनाम राशि इस पर खर्च करने का फैसला किया था. इससे पहले शारीरिक शिक्षक घनश्याम ने स्कूल के उत्थान और विकास के लिए कई कार्य किए हैं, जिसके लिए उनकी प्रशंसा हो रही है. ऐसे में घनश्याम का ये विचार समाज में एक मील का पत्थर साबित होगा और आने वाला वक्त उन्हें सलाम करेगा.

उदयपुर. कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का इरादा हो, तो हर कार्य से समाज को सीख दी जा सकती है. वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए जहां हजारों लोगों ने पीएम केयर्स फंड और मुख्यमंत्री सहायता कोष में लाखों रुपए डोनेट किए, तो वहीं एक शिक्षक ने इनाम की राशि से समाज और और बच्चों के बीच अपनी एक अलग छाप छोड़ दी.

ऐसे बनेगी दो गज की दूरी

जिले एक सरकारी शिक्षक घनश्याम खटीक की हर जगह सराहना हो रही है. सरकार ने घनश्याम खटीक को श्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार से नवाजा है. वहीं, घनश्याम ने पुरस्कार की राशि को अपने बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए खर्च कर दिया.

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बता दें, काया गांव के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में बतौर सहायक शिक्षक को पिछले दिनों श्रेष्ठ शिक्षक के तौर पर ₹21000 का इनाम सरकार द्वारा मिला था. इस राशि को उन्होंने स्कूल के बच्चों पर खर्च करने का निर्णय किया. घनश्याम ने सरकार की कोरोना गाइडलाइन की पालना कराने के लिए और बच्चों के बीच 2 गज की दूरी जरूरी पर मंथन करते हुए छात्रों को बीच छाते और मास्क देने का प्लान तैयार किया. स्कूल के छात्र-छात्राओं की संख्या को देखते हुए शिक्षक घनश्याम ने दिल्ली की एक संस्था से 250 छाते और 500 मास्क आर्डर किए. छाते का प्लान काफी कारगर नजर आ रहा है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग की पालना सुनिश्चित हो रही है.

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मास्क पहनकर स्कूल में काम करते बच्चे

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शिक्षण घनश्याम का कहना है कि कोरोना संक्रमण का खतरा अभी भी बरकरार है और बच्चे इसके चलते लंबे समय से स्कूल तक नहीं आ पा रहे हैं. मास्क और छाते का उपयोग करते हुए यदि वे स्कूल आते हैं, तो इसका खतरा काफी हद तक कम हो सकता है. इसलिए मैंने अपने इनाम राशि इस पर खर्च करने का फैसला किया था. इससे पहले शारीरिक शिक्षक घनश्याम ने स्कूल के उत्थान और विकास के लिए कई कार्य किए हैं, जिसके लिए उनकी प्रशंसा हो रही है. ऐसे में घनश्याम का ये विचार समाज में एक मील का पत्थर साबित होगा और आने वाला वक्त उन्हें सलाम करेगा.

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