उदयपुर. वल्लभनगर और धरियावद उपचुनावों के नतीजों ने भाजपा के सामने आगे सियासी चुनौतियों के संकेत दे दिए है. दोनों उपचुनावों में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है. वल्लभनगर में तो भाजपा प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई. जबकि धरियावद में भाजपा तीसरे नंबर पर रही. वरिष्ठ नेताओं के बीच खींचतान, गुटबाजी और बूथ मैनेजमेंट के विफल होने से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है.
वल्लभनगर भाजपा के लिए एक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. क्योंकि पिछले लंबे अंतराल से भाजपा यहां से जीत पाने में असफल रही है. वल्लभनगर में भाजपा को भाजपा से ही चुनौती मिली. भाजपा नेताओं की गुटबाजी के चलते पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. 2003 के बाद से भाजपा वल्लभनगर विधानसभा सीट नहीं जीत पाई.
ऐसे में भाजपा ने वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में नई रणनीति के तहत युवा प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला को मैदान में उतारा था. लेकिन झाला भी भाजपा को जीत दिलाने में सफल नहीं हो पाए. झाला की जमानत भी चुनाव में जब्त हो गई.राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा में आंतरिक गुटबाजी और टिकट देने पर विवाद खड़े हुए. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया उदय लाल डांगी को टिकट दिलाना चाहते थे. डांगी को टिकट नहीं दिया गया. प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह गुटबाजी पर लगाम नहीं लगा सके.
भाजपा का बूथ मैनेजमेंट रहा विफल
नामांकन दाखिल करने के कुछ दिन पूर्व तक भ्रम बना रहा कि टिकट किसको मिलेगा. कांग्रेस ने अपने टिकट बंटवारे के लिए पहले से ही घोषणा कर दी थी. ऐसे में भाजपा का बूथ मैनेजमेंट वोटरों को मतदान केंद्र तक लाने में विफल रही. लेकिन आखिरकार भाजपा ने हिम्मत सिंह झाला को मैदान में उतार दिया. जिससे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता खफा थे. वहीं भाजपा ने अपने पूर्व उम्मीदवार उदय लाल डांगी का टिकट काट दिया. जिससे खफा होकर डांगी ने आरएलपी का दामन थाम लिया.आरएलपी ने समय का तकाजा देखते हुए उन्हें उम्मीदवार बना दिया.
आरएलपी उम्मीदवार डांगी ने भाजपा के वोटों में लगाई सेंध
डांगी दूसरे नंबर पर रहे. ऐसे में भाजपा का खेल बिगाड़ने में आरएलपी के उम्मीदवार डांगी की बड़ी भूमिका रही. जनता सेना प्रमुख रणधीर सिंह भिंडर जो तीसरे नंबर पर रहे. दोनों ने भाजपा के वोटों में सेंध लगाई. कांग्रेस की बगावत के सुर थे. लेकिन कांग्रेस बगावत को थामने में सफल रही. जिसकी वजह से कांग्रेस दोनों सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही.
कांग्रेस ने महंगाई को मुद्दा बनाया
कांग्रेस ने महंगाई को मुद्दा बनाया. लेकिन भाजपा के नेता कांग्रेस पर ही आरोप लगाते रहे. वल्लभनगर विधानसभा सीट पर भाजपा ने 2003 में अंतिम बार जीत दर्ज की थी. तब भाजपा के पूर्व सदस्य रहे रणधीर सिंह भिंडर ने गुलाब सिंह शक्तावत को हराया था. हालांकि, 2008 में भिंडर भाजपा से चुनाव लड़े लेकिन गजेंद्र सिंह शक्तावत से हारे गए थे. 2013 में भाजपा ने भिंडर से किनारा कर लिया. इसके बाद भाजपा ने गणपत लाल मेनारिया को टिकट देकर मैदान में उतारा. लेकिन वह सफल नहीं हुए उनकी जमानत जब्त हो गई.
ऐसे में 2003 से लेकर अब तक भाजपा वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र में जीत का परचम लहराने में सफल नहीं रही. ऐसे में भाजपा को वल्लभनगर की जनता लगातार नकारती रही है. भाजपा को मेवाड़ की सियासत में पांव जमाने के लिए आत्ममंथन करना होगा. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भूपेंद्र यादव और कैलाश चौधरी ने उप चुनाव से पूरी तरह दूरी बनाए रखी.