उदयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा जगत का सर्वाधिक गौरवशाली क्षण होता है. मैं चाहता हूं कि यहां से दीक्षित विद्यार्थी जीवन के हर मोड़ और पड़ाव पर लोक कल्याण के लिए अपने ज्ञान और सर्वोपरि क्षमताओं को समर्पित करें. वो बुधवार को मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 29वां दीक्षांत समारोह (Convocation of Mohan Lal Sukhadia University) को संबोधित कर रहे थे.
नई शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय शिक्षा-पद्धति से प्रेरित
राज्यपाल ने कहा कि देश की नई शिक्षा नीति (Kalraj Mishra on new education policy) हमारी प्राचीन भारतीय शिक्षा-पद्धति से प्रेरित है. इसमें विद्यार्थी को अपने विषय के साथ बहुत से अन्य विषयों के ज्ञान का अवसर देने का उदात्त दृष्टिकोण है. मैंने नई शिक्षा नीति का गहराई से अध्ययन किया है. यह पाया है कि बहुत सोच-विचार कर इसे विद्यार्थी हित में इस तरह से तैयार किया गया है कि विद्यार्थियों का इससे चहुंमुखी विकास हो.
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विश्वविद्यालय हमारी संस्कृति और ज्ञान-परंपरा की पीठ
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि हमारे यहां शिक्षा का परिदृश्य तेजी से बदलता जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान सूचना तकनीकी (Governor on information technology) की जो भूमिका सामने आई है, उसने परम्परागत शिक्षण प्रविधियों के समानान्तर एक नया मार्ग खोल दिया है. उच्च शिक्षा जगत में भी उसका बाखूबी उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इस तकनीका का सही दिशा में उपयोग किया जाना चाहिए. विश्वविद्यालयों को मैं हमारी संस्कृति और ज्ञान-परंपरा की पीठ मानता हूं इसलिए यह जरूरी है कि यहां पर संविधान के सभी आदर्श सभी छात्रों को सिखाए जाएं.
105 स्वर्ण पदक
इस बार दीक्षांत समारोह में कुल 105 स्वर्ण पदक (Governor Kalraj Misra conferred 105 gold medals ) प्रदान किए गए, जिसमें कुल 51 छात्राओं ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया. इनमें 8 विद्यार्थियों को चांसलर मेडल था, जिसमें 4 छात्राएं थीं। इसके अलावा 89 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक और 8 विद्यार्थियों को प्रायोजित मेडल प्रदान किए गए. इसमें 74 विद्यार्थियों ने स्वयं उपस्थित होकर पदक प्राप्त किया। दीक्षांत समारोह में 180 पीएचडी उपाधि धारकों को भी डिग्री प्रदान की गई.