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कोरोना के चलते स्कूल बंद हुआ तो संचालक को करना पड़ रहा है ये काम - कोरोना के चलते स्कूल बंद हुआ

कोरोना लोगों को क्या-क्या दिन दिखा रहा है. कोरोना काल में लोखों लोगों की नौकरी चली गई तो कई लोगों ने अपना रोजगार का साधन ही बदल लिया. ऐसा ही एक वाकया राजस्थान के टोंक जिले से सामने आया है, जहां एक शिक्षक स्कूल बंद होने की वजह से घर-घर घुमकर खरबूजा बेच रहा है.

कोरोना काल में स्कूल बंद, teacher was selling melon
कोरोना काल में स्कूल बंद
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Published : May 29, 2021, 9:09 PM IST

टोंक. कोरोना संक्रमण के कारण प्राइवेट स्कूलों पर लगे ताले और फीस वसूली नहीं होने से आर्थिक संकट से जूझ रहे एक स्कूल संचालक ने तो मजबूरन अपना रोजगार का साधन ही बदल दिया. शिक्षक खुश मोहम्मद गौरी अब घर-घर जाकर खरबूजा बेच रहे हैं.

बता दें, टोंक जिला के मोहल्ला बहीर के रहने वाले खुश मोहम्मद गौरी पिछले कई साल से अपना निजी स्कूल चला रहे थे. इनके स्कूल में 8वीं तक के बच्चे पढ़ते थे, जिनसे इनका और इनके साथ कई युवक, युवतियों का रोजगार चल रहा था, लेकिन पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों पर लगे लॉक से न तो बकाया फीस ही आयी और ना ही कोई नए बच्चों का एडमिशन हुआ, तब तक कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी, जिससे फिर शिक्षा व्यवसाय चौपट हो गई और स्कूलों पर ताले लग गए.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान के DG जेल राजीव दासोत की एक्टिंग पर सीएम गहलोत लगाएंगे मुहर...यहां देखें फिल्म का ट्रेलर

पिछले साल लॉक डाउन में ही बहीर निवासी खुश मोहम्मद गौरी ने अपने परिवार की दो वक्त की रोटी के इंतजाम के लिये तरबूजों और खरबूजों को अपना रोजगार का साधन बनाया. उन्होंने चित्तौड़गढ़ में अपनी पिकअप का पास बनवाया, उसके बाद से तरबूज और खरबूजे लेकर टोंक में गली-गली और गांव मोहल्लों में जाकर बेचना शुरू कर दिया.

खुश मोहम्मद गौरी बताते हैं कि वो एक बार में 35 हजार रुपये के खरबूजे खरीद कर लाते हैं और किराया-भाड़ा निकालकर करीब 10 हजार रुपये की बचत कर लेते हैं. गौरी बताते हैं कि कभी कभी घाटा भी लग जाता है. वो बताते हैं कि बरसात या ठंड हो तो खरबूजे बिक नहीं पाते हैं, जिससे वह खराब हो जाते हैं. खुशी मोहम्मद गौरी का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से लॉक डाउन लग गया है, जिसमें प्राइवेट स्कूलों में ताले लगा दिए गए हैं, ऐसे में परिवार का खर्चा चलाने के लिये कोई दूसरा कामकाज तलाशना पड़ा.

टोंक. कोरोना संक्रमण के कारण प्राइवेट स्कूलों पर लगे ताले और फीस वसूली नहीं होने से आर्थिक संकट से जूझ रहे एक स्कूल संचालक ने तो मजबूरन अपना रोजगार का साधन ही बदल दिया. शिक्षक खुश मोहम्मद गौरी अब घर-घर जाकर खरबूजा बेच रहे हैं.

बता दें, टोंक जिला के मोहल्ला बहीर के रहने वाले खुश मोहम्मद गौरी पिछले कई साल से अपना निजी स्कूल चला रहे थे. इनके स्कूल में 8वीं तक के बच्चे पढ़ते थे, जिनसे इनका और इनके साथ कई युवक, युवतियों का रोजगार चल रहा था, लेकिन पिछले साल कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों पर लगे लॉक से न तो बकाया फीस ही आयी और ना ही कोई नए बच्चों का एडमिशन हुआ, तब तक कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी, जिससे फिर शिक्षा व्यवसाय चौपट हो गई और स्कूलों पर ताले लग गए.

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पिछले साल लॉक डाउन में ही बहीर निवासी खुश मोहम्मद गौरी ने अपने परिवार की दो वक्त की रोटी के इंतजाम के लिये तरबूजों और खरबूजों को अपना रोजगार का साधन बनाया. उन्होंने चित्तौड़गढ़ में अपनी पिकअप का पास बनवाया, उसके बाद से तरबूज और खरबूजे लेकर टोंक में गली-गली और गांव मोहल्लों में जाकर बेचना शुरू कर दिया.

खुश मोहम्मद गौरी बताते हैं कि वो एक बार में 35 हजार रुपये के खरबूजे खरीद कर लाते हैं और किराया-भाड़ा निकालकर करीब 10 हजार रुपये की बचत कर लेते हैं. गौरी बताते हैं कि कभी कभी घाटा भी लग जाता है. वो बताते हैं कि बरसात या ठंड हो तो खरबूजे बिक नहीं पाते हैं, जिससे वह खराब हो जाते हैं. खुशी मोहम्मद गौरी का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से लॉक डाउन लग गया है, जिसमें प्राइवेट स्कूलों में ताले लगा दिए गए हैं, ऐसे में परिवार का खर्चा चलाने के लिये कोई दूसरा कामकाज तलाशना पड़ा.

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