टोंक. राजस्थान के टोंक में चुनावी साल में माली समाज ने चुनावी ताल ठोकते हुए आज अपने राजनैतिक सम्मेलन में शक्ति प्रदर्शन किया. उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से मांग की कि माली समाज के व्यक्ति को एक सीट पर टिकट दिया जाए. वही मंच से माली समाज की आरक्षण की मांग को भी पुनरजोर तरीके से समर्थन में भाषणबाजी हुई. मंच से पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी कब्बडी खेलने की जगह किर्केट खेलने की बात बोले तो लोग यह समझ नही पाए सैनी का निशाना कहा है.
टोंक जिला मुख्यालय पर माली समाज के लोगों ने राजनैतिक, शैक्षणिक और आर्थिक चेतना को लेकर को जिला सम्मेलन महापंचायत का आयोजन किया. महादेववाली क्षेत्र के महात्मा ज्योतिबा फुले छात्रावास में आयोजित में जिला सम्मेलन में जहाँ वक्ताओं ने सीधे तौर पर राजस्थान की दोनो प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस को ललकारते हुए कहा कि टोंक जिले की चार में से कम से कम एक विधानसभा सीट पर माली समाज के व्यक्ति को मौका दिया जाए, अगर ऐसा नही हुआ तो दोनो ही पार्टियों को इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे. हालांकि मुख्य अतिथि रहे पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने मंच से समाज को एकजुट रहने और शिक्षित होने की बात कही.
टोंक जिले में माली समाज की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए माली समाज ने जिला सम्मेलन का आयोजन किया था. जिसमें टोंक जिले ही नहीं प्रदेश भर से समाज के लोगों ने शिरकत की. जहां मन से संबोधन के दौरान पूर्व कृषि मंत्री रहे प्रभु लाल सैनी ने समाज के युवाओं को कबड्डी की जगह क्रिकेट खेलके चौके छक्के मारने की नसीहत देते हुए यह जताने की कोशिश की कि एक दूसरे की टांग खींचने की जगह एकजुट होकर ही समाज का विकास किया जा सकता है. हालांकि मीडिया ने जब इसको लेकर सवाल पूछे तो वे अलग ही औपचारिक जवाब देते दिखे. वही आगामी चुनाव में माली समाज किसी को टोंक जिले की कम से कम एक विधानसभा से चुनाव लड़ने का मौका दिए जाने की मांग समाज ने की है. लेकिन राजनीति और समाज में अलग-अलग भूमिका है निभानी पड़ती है. दूसरी ओर इन्होंने मंच से सम्बोधन के दौरान कहा कि टोंक जिले चारागाह बना हुआ है साइबेरियन आएंगे और चले जाएंगे टोंक का विकास नही हो पाएंगे.
वही महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को अब तक भारत रत्न नहीं दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जयपुर में होने वाले महासंगम में इसको लेकर चर्चा की जाएगी. अब तक समाज के लोगों ने इस संबंध में अपनी मांग सही ढंग से नहीं रखी यही कारण है कि उन्हें ये सम्मान नहीं मिला. वहीं दूसरी ओर सम्मेलन के संयोजक कमलेश सिंगोदिया ने साफ तौर पर कहा कि भाजपा या कांग्रेस ने अगर इस बार भी टोंक जिले से एक भी टिकट माली समाज को नहीं दिया तो इसका परिणाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है.