टोंक . नवाबों के शहर टोंक में रमज़ान महीने में हर शाम का नजारा आंखों को सुकून ओर संदेश देने वाला होता है. जब रोजेदार रोजा खोलने के दौरान सारे छोटे बड़े का भेदभाव मिटाकर एक साथ एक दरी पर सामूहिक रूप से रोजा खोलते हैं तो सारे भेद ओर दूरियां खुदा की राह में एकता के रूप में मिटती नजर आती है. गंगा- जमुनी तहजीब का शहर टोंक धर्म के रंग में रंगा नजर आता है तो रोजेदार खुदा की इबादत में मशगूल नजर आते हैं. आए भी क्यों नहीं इस्लाम में रमजान के पाक माह का अलग ही महत्व.
टोंक शहर की सड़कों पर एक साथ रोजा खोलते रोजेदारों का नजारा आम बात है. एक जाजम पर बैठकर रोजा खोलते इन रोजेदारों में कौन छोटा है कौन बड़ा है, यह भेद नही है बस एक ही बात है कि भाई चारा ओर प्रेम के साथ ही शांति का संदेश मिलता है. रियासत काल से चली आ रही सामूहिक रोजा खोलने की यह परम्परा आज भी कायम है. हिन्दू- मुस्लिम भाईचारे का पैगाम आज भी शहर की सड़कों पर धर्मप्रेमी देते नजर आते है .
रमजान महीने में मुस्लिम धर्मप्रेमी सेहरी से लेकर रोजा इफ़्तयारी ओर तराबी तक अपना ध्यान खुदा की इबादत में लगाकर रखते है. रोजा एक फर्ज माना गया है, जिसे सब लोग बड़ी शिद्दत से पूरा कर अपना फर्ज अदा करते नजर आते हैं.