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नवाबों की नगरी में खुदा की इबादत में मशगूल रोजेदार... सामूहिक रूप से खोलते हैं रोजा

टोंक शहर की सड़कों पर एक साथ रोजा खोलते रोजेदारों का नजारा आम बात है. एक जाजम पर बैठकर रोजा खोलते इन रोजेदारों में कौन छोटा है कौन बड़ा है, यह भेद नही है बस एक ही बात है कि भाई चारा ओर प्रेम के साथ ही शांति का संदेश मिलता है.

भाई चारे का पैगाम देता रमजान
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Published : May 21, 2019, 2:46 AM IST

टोंक . नवाबों के शहर टोंक में रमज़ान महीने में हर शाम का नजारा आंखों को सुकून ओर संदेश देने वाला होता है. जब रोजेदार रोजा खोलने के दौरान सारे छोटे बड़े का भेदभाव मिटाकर एक साथ एक दरी पर सामूहिक रूप से रोजा खोलते हैं तो सारे भेद ओर दूरियां खुदा की राह में एकता के रूप में मिटती नजर आती है. गंगा- जमुनी तहजीब का शहर टोंक धर्म के रंग में रंगा नजर आता है तो रोजेदार खुदा की इबादत में मशगूल नजर आते हैं. आए भी क्यों नहीं इस्लाम में रमजान के पाक माह का अलग ही महत्व.

भाई चारे का पैगाम देता रमजान

टोंक शहर की सड़कों पर एक साथ रोजा खोलते रोजेदारों का नजारा आम बात है. एक जाजम पर बैठकर रोजा खोलते इन रोजेदारों में कौन छोटा है कौन बड़ा है, यह भेद नही है बस एक ही बात है कि भाई चारा ओर प्रेम के साथ ही शांति का संदेश मिलता है. रियासत काल से चली आ रही सामूहिक रोजा खोलने की यह परम्परा आज भी कायम है. हिन्दू- मुस्लिम भाईचारे का पैगाम आज भी शहर की सड़कों पर धर्मप्रेमी देते नजर आते है .

रमजान महीने में मुस्लिम धर्मप्रेमी सेहरी से लेकर रोजा इफ़्तयारी ओर तराबी तक अपना ध्यान खुदा की इबादत में लगाकर रखते है. रोजा एक फर्ज माना गया है, जिसे सब लोग बड़ी शिद्दत से पूरा कर अपना फर्ज अदा करते नजर आते हैं.

टोंक . नवाबों के शहर टोंक में रमज़ान महीने में हर शाम का नजारा आंखों को सुकून ओर संदेश देने वाला होता है. जब रोजेदार रोजा खोलने के दौरान सारे छोटे बड़े का भेदभाव मिटाकर एक साथ एक दरी पर सामूहिक रूप से रोजा खोलते हैं तो सारे भेद ओर दूरियां खुदा की राह में एकता के रूप में मिटती नजर आती है. गंगा- जमुनी तहजीब का शहर टोंक धर्म के रंग में रंगा नजर आता है तो रोजेदार खुदा की इबादत में मशगूल नजर आते हैं. आए भी क्यों नहीं इस्लाम में रमजान के पाक माह का अलग ही महत्व.

भाई चारे का पैगाम देता रमजान

टोंक शहर की सड़कों पर एक साथ रोजा खोलते रोजेदारों का नजारा आम बात है. एक जाजम पर बैठकर रोजा खोलते इन रोजेदारों में कौन छोटा है कौन बड़ा है, यह भेद नही है बस एक ही बात है कि भाई चारा ओर प्रेम के साथ ही शांति का संदेश मिलता है. रियासत काल से चली आ रही सामूहिक रोजा खोलने की यह परम्परा आज भी कायम है. हिन्दू- मुस्लिम भाईचारे का पैगाम आज भी शहर की सड़कों पर धर्मप्रेमी देते नजर आते है .

रमजान महीने में मुस्लिम धर्मप्रेमी सेहरी से लेकर रोजा इफ़्तयारी ओर तराबी तक अपना ध्यान खुदा की इबादत में लगाकर रखते है. रोजा एक फर्ज माना गया है, जिसे सब लोग बड़ी शिद्दत से पूरा कर अपना फर्ज अदा करते नजर आते हैं.

Intro:भाई चारे का पैगाम देते रमजान एंकर :- नवाबो के शहर टोंक में रमज़ान महीने में हर शाम का नजारा आंखों को सकून ओर संदेश देने वाला होता है जब रोजेदार रोजा खोलने के दौरान सारे छोटे बड़े का भेदभाव मिटाकर एक साथ एक दरी पर सामूहिक रूप से रोजा खोलते है तो सारे भेद ओर दूरियां खुदा की राह में एकता के रूप में मिटती नजर आती है और गंगा जमुनी तहजीब का शहर टोंक धर्म के रंग में रंगा नजर आता है तो रोजेदार खुदा की इबादत में मशगूल नजर आते है और आये भी क्यो नहीं इस्लाम मे रमजान के पाक माह का अलग ही महत्व ।


Body:वीओ 01 :- टोंक शहर की सड़कों पर एक साथ रोजा खोलते रोजेदारों का नजारा आम बात है और एक जाजम पर बैठकर रोजा खोलते इन रोजेदारों में कोंन छोटा है कोंन बड़ा है यह भेद नही है बस एक ही बात है कि भाई चारा ओर प्रेम के साथ ही शांति का संदेश मिलता है,रियासत काल से चली आ रही सामूहिक रोजा खोलने की यह परम्परा आज भी कायम है और हिन्दू मुस्लिम भाई चारे का पैगाम आज भी शहर की सड़कों पर धर्मप्रेमी देते नजर आते है । बाइट 01 जमील अहमद सिद्दीकी,रोजेदार बाइट 02 सिराजुद्दीन खान, रोजेदार


Conclusion:वीओ 02 रमजान महीने में मुस्लिम धर्मप्रेमी सेहरी से लेकर रोजा इफ़्तयारी ओर तराबी तक अपना ध्यान खुदा की इबादत में लगाकर रखते है और रोजा एक फर्ज माना गया है जिसे सब लोग बड़ी शिद्दत से पूरा कर अपना फर्ज अदा करते नजर आते है और खास तौर पर टोंक शहर में मोहब्बत का पैगाम देने का सिलसिला आज भी जारी है।
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