श्रीगंगानगर. बीते कई सालों से दोनों जिलों की करीब 55 लाख आबादी इस काले पानी के दंश को झेल रही है. लोग ये जानते तो हैं कि वे जो पानी पी रहे हैं वो पीने योग्य नहीं. लेकिन इसे पीने के कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं, इसका एहसास शायद अभी तक उन्हें नहीं है. यही कारण है कि पिछले एक दशक से अधिक समय से आ रहे इस दूषित पानी को रोकने के लिए लोग अभी तक नहीं जागे हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की मुहिम है कि काले पानी से लोगों को आजादी दिलाई जा सके.
पंजाब के हरिके डैम से निकलती राजस्थान फीडर में केमिकल युक्त बायोवेस्ट से पानी का रंग पूरी तरह काला नजर आता है. यह पानी पीने और सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन इसकी गुणवत्ता देखेंगे तो इसे पीने के लिए इस्तेमाल करना तो दूर यह खेती और पशुओं के इस्तेमाल योग्य भी नहीं लगता. केमिकल युक्त व दूषित हेवी मेटल्स का पानी पंजाब से लेकर राजस्थान के कई एरिया में जिस तेजी से लोगों को अपने आगोश में समेट रहा है. इससे यह कह सकते हैं कि आने वाले समय में हालात बेकाबू होने वाले हैं.
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दूषित व हेवी मेटल्स युक्त इस पानी ने सबसे ज्यादा असर राजस्थान के श्रींगगानगर और हनुमानगढ़ जिले में सबसे ज्यादा है. इस पानी से जो बीमारियां तेजी से फैली है उसमें कैंसर, काला पीलिया, महिलाओ में गॉल ब्लैडर में कैंसर व हड्डियों से संबंधित रोग लोगों में पनप रहे हैं. दूषित पानी से बढ़ रही बीमारियों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. श्रीगंगानगर जिला अस्पताल के कैंसर यूनिट प्रभारी प्रमोद सिनसिनवार बताते हैं कि दूषित जल के लगातार लंबे समय तक सेवन करने से लोगों में कई तरह के घातक रोग होने की आशंकाएं रहती हैं.
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उनके मुताबिक जिला अस्पताल में बने कैंसर रोग परामर्श एवं निदान शिविर में पिछले कुछ समय में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. जिसका एक कारण दूषित व हेवी मेटल्स युक्त पानी भी है. डॉक्टर प्रमोद सिनसिनवार बताते हैं कि पंजाब से गंगनहर में जो पानी बहकर आ रहा है उसमे आर्सेनिक, लेड व मर्करी जैसे खतरनाक धातु आ रहे हैं. ऐसे में इस पानी का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से मनुष्य भयंकर रोगों में जकड़ सकता है. जिसमें (लंग) फेफड़े का कैंसर, गॉल ब्लैडर कैंसर, आंतों की बीमारियां फैलने की आशंकाएं रहती हैं.
श्रीगंगानगर में बीते 3 साल में कैंसर के रोगी (ब्रेस्ट और सर्वाइकल)
- कुल 895 केस आए सामने
- स्क्रीनिंग के बाद 238 पाए गए नॉर्मल
- 90 में पाया गया ब्रेस्ट कैंसर
- 1 मरीज सर्वाइकल पॉजिटिव
- अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक
- डायबिटीज के मरीज- 9611
- B.P. के मरीज- 22661
डॉक्टर प्रमोद सिनसिनवार बताते हैं कि पिछले 2 सालों की बात करें तो ऐसे रोगियों के आंकड़ों में 40% तक की बढ़ोतरी हुई है जिनमे प्रथमदृष्टया केंसर के लक्षण देखे जा सकते है. जो कि चौंकाने वाली स्थिति है. श्रीगंगानगर जिले में महिलाओं में सबसे ज्यादा गॉल ब्लैडर में कैंसर के मरीज हैं. इन मरीजों की तादाद उन जगहों पर अधिक है जो गंग नहर के आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले हैं. कारण पूछने पर उनका कहना है कि ये लोग नहर का पानी सीधा इस्तेमाल करते हैं.
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में नहरों से आने वाले पानी से जिस तेजी के साथ बीमारियां पनप रही हैं. उससे साफ पता चलता है कि आने वाले समय में हालात बेकाबू हो सकते हैं. ऐसे में दूषित जल पर जल्दी रोक नहीं लगाई गई तो यह काला पानी लोगों को मौत के आगोश में समेट लेगा. हालांकि सरकारें और उनके विभाग इन भयानक रोगों के फैलाव की पुष्टि नहीं करते लेकिन अब यह सच जनता तक पहुंचने लगा है.