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Special: पहले मौसम, फिर टिड्डी अटैक और अब मूंग की मार...प्रशासन की बेरुखी ने किया उम्मीदों को चकनाचूर

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Published : Sep 15, 2020, 2:21 PM IST

श्रीगंगानगर के किसान मौसम की मार, टिड्डी अटैक से अभी उबरे भी नहीं थे कि उनके सामने नई मुसीबत आ खड़ी हुई है. जिले के किसानों ने इस उम्मीद से मूंग की बुवाई की थी कि साल भर का नुकसान मूंग की फसल से कुछ कम किया जा सकेगा, लेकिन प्रशासन की बेरुखी ने किसानों के उम्मीदों को फिर चकनाचूर कर दिया है. देखिये ये रिपोर्ट...

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श्रीगंगानगर के किसान परेशान

श्रीगंगानगर. देश में सबके पेट भरनेवाले अन्नदाता चिंतित हैं. प्रदेश में फसलों पर मौसम की मार, टिड्डी अटैक, कर्ज किसानों की सारे हौसले तोड़ रहे हैं. ऐसे में जब सरकार की ओर से सहायता के लिए की गई घोषणाएं भी किसानों की आस तोड़ती है तो उनकी रही-सही उम्मीदें भी आखिरी सांस लेने लगती हैं. ऐसा ही श्रीगंगानगर के किसानों के साथ इन दिनों हो रहा है.

श्रीगंगानगर के किसान परेशान

श्रीगंगानगर के किसान मौसम की वजह से फसल खराबा और टिड्डी अटैक से परेशान थे. उनकी फसलें चौपट हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने मूंग की फसल की बुवाई की. जिले में इस बार किसानों ने मूंग करीब 94 हजार हेक्टेयर में बोई थी. उन्हें उम्मीद थी कि फसल अच्छी हुई तो वो पिछले घाटे से उबर सकेंगे, लेकिन उनकी इस उम्मीद पर तब पानी फिर गया, जब वो फसल लेकर मंडी में बेचने पहुंचे.

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कम दामों पर मूंग बेचने पर मजबूर किसान

सरकार ने किसानों की मूंग की फसल समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा तो कर दी, लेकिन ये घोषणा महज घोषणा ही रही. जिससे परेशान किसान अब खून-पसीने से उगाई गए अपनी फसल को औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हैं.

महज 5200 रुपए क्विंटल में बिक रहा मूंग...

बता दें कि मूंग का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार ने 7200 रुपए क्विंटल तय किया है, लेकिन समय पर सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से अब यही मूंग किसान को आड़तीया (merchant) के मन मुताबिक बेचनी पड़ रही है. अब 7200 रुपए प्रति क्विंटल वाला मूंग किसान 5200 रुपए प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं. धानमंडी में मूंग की बोली जिस तरह से व्यापारी लगा रहे हैं, उससे पता चलता है कि किसान की मेहनत का कोई मोल नहीं है.

समर्थन मूल्य पर फसल खरीद का अता-पता नहीं...

किसानों का कहना है कि साहब, बहुत घाटे हो रहा है. सरकार मूंग खरीद नहीं रही है. मेहनत मजदूरी के बावजूद घाटे में रहना पड़ रहा है. दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी जारी नहीं की है. जब तक खरीद प्रक्रिया शुरू होगी लेट हो जाएगा. ऐसे में कम दाम पर ही फसल बेचकर फिर से दूसरी फसल की बुवाई में जुट जाते हैं.

यह भी पढ़ें. Special: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का हो रहा मोह भंग, साल दर साल घट रहे लाभार्थी

किसान की इस समय फसल तैयार है. ऐसे में वे मंडियों में मूंग लेकर फसल बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. अब सारी मार के बाद इस सीजन में किसान मूंग की मार भी झेल रहे हैं, जो उन्हें कर्ज के उसी दलदल में धकेल रहा है, जिससे निकलने की उम्मीद में उन्होंने फसल बोई थी. इस बार मूंग की सरकारी स्तर पर खरीद की क्या व्यवस्था होगी, यह अभी तय नहीं हुआ है.

मूंग की फसल में दोगुनी मेहनत...

मूंग फसल को तैयार करने में महंगे बीज, खाद, कीटनाशक के लिए अधिक खर्चा करना पड़ता है. फसल में कई तरह की बीमारियां लगने का खतरा रहता हैं. वहीं नाम मात्र की बारिश हो तो भी मूंग की फसल खराब हो जाती है. दिन रात एक कर कड़ी मेहनत से उगाई ये फसल मंडी में कम भाव पर बिक रही है. जिससे जिले के किसान निराश हैं.

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5200 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा मूंग

व्यापारियों की मानें तो मंडी मे जिस भाव में मूंग की बिक्री हो रही है, उससे रोजाना किसान को 30 लाख रुपए तक का घाटा लग रहा है. मंडी में फसल बेचने के लिए आने वाले किसान की तब हिम्मत टूट जाती है, जब उसका मूंग समर्थन मूल्य से दो हजार रुपए प्रति किवंटल नीचे बिकता है. ऐसे में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद का सरकारी राग केवल अलापने की लिए साबित हो रहा है.

श्रीगंगानगर. देश में सबके पेट भरनेवाले अन्नदाता चिंतित हैं. प्रदेश में फसलों पर मौसम की मार, टिड्डी अटैक, कर्ज किसानों की सारे हौसले तोड़ रहे हैं. ऐसे में जब सरकार की ओर से सहायता के लिए की गई घोषणाएं भी किसानों की आस तोड़ती है तो उनकी रही-सही उम्मीदें भी आखिरी सांस लेने लगती हैं. ऐसा ही श्रीगंगानगर के किसानों के साथ इन दिनों हो रहा है.

श्रीगंगानगर के किसान परेशान

श्रीगंगानगर के किसान मौसम की वजह से फसल खराबा और टिड्डी अटैक से परेशान थे. उनकी फसलें चौपट हो गई थी. जिसके बाद उन्होंने मूंग की फसल की बुवाई की. जिले में इस बार किसानों ने मूंग करीब 94 हजार हेक्टेयर में बोई थी. उन्हें उम्मीद थी कि फसल अच्छी हुई तो वो पिछले घाटे से उबर सकेंगे, लेकिन उनकी इस उम्मीद पर तब पानी फिर गया, जब वो फसल लेकर मंडी में बेचने पहुंचे.

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कम दामों पर मूंग बेचने पर मजबूर किसान

सरकार ने किसानों की मूंग की फसल समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा तो कर दी, लेकिन ये घोषणा महज घोषणा ही रही. जिससे परेशान किसान अब खून-पसीने से उगाई गए अपनी फसल को औने-पौने दामों में बेचने पर मजबूर हैं.

महज 5200 रुपए क्विंटल में बिक रहा मूंग...

बता दें कि मूंग का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार ने 7200 रुपए क्विंटल तय किया है, लेकिन समय पर सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से अब यही मूंग किसान को आड़तीया (merchant) के मन मुताबिक बेचनी पड़ रही है. अब 7200 रुपए प्रति क्विंटल वाला मूंग किसान 5200 रुपए प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं. धानमंडी में मूंग की बोली जिस तरह से व्यापारी लगा रहे हैं, उससे पता चलता है कि किसान की मेहनत का कोई मोल नहीं है.

समर्थन मूल्य पर फसल खरीद का अता-पता नहीं...

किसानों का कहना है कि साहब, बहुत घाटे हो रहा है. सरकार मूंग खरीद नहीं रही है. मेहनत मजदूरी के बावजूद घाटे में रहना पड़ रहा है. दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी जारी नहीं की है. जब तक खरीद प्रक्रिया शुरू होगी लेट हो जाएगा. ऐसे में कम दाम पर ही फसल बेचकर फिर से दूसरी फसल की बुवाई में जुट जाते हैं.

यह भी पढ़ें. Special: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों का हो रहा मोह भंग, साल दर साल घट रहे लाभार्थी

किसान की इस समय फसल तैयार है. ऐसे में वे मंडियों में मूंग लेकर फसल बेचने के लिए पहुंच रहे हैं. अब सारी मार के बाद इस सीजन में किसान मूंग की मार भी झेल रहे हैं, जो उन्हें कर्ज के उसी दलदल में धकेल रहा है, जिससे निकलने की उम्मीद में उन्होंने फसल बोई थी. इस बार मूंग की सरकारी स्तर पर खरीद की क्या व्यवस्था होगी, यह अभी तय नहीं हुआ है.

मूंग की फसल में दोगुनी मेहनत...

मूंग फसल को तैयार करने में महंगे बीज, खाद, कीटनाशक के लिए अधिक खर्चा करना पड़ता है. फसल में कई तरह की बीमारियां लगने का खतरा रहता हैं. वहीं नाम मात्र की बारिश हो तो भी मूंग की फसल खराब हो जाती है. दिन रात एक कर कड़ी मेहनत से उगाई ये फसल मंडी में कम भाव पर बिक रही है. जिससे जिले के किसान निराश हैं.

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5200 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा मूंग

व्यापारियों की मानें तो मंडी मे जिस भाव में मूंग की बिक्री हो रही है, उससे रोजाना किसान को 30 लाख रुपए तक का घाटा लग रहा है. मंडी में फसल बेचने के लिए आने वाले किसान की तब हिम्मत टूट जाती है, जब उसका मूंग समर्थन मूल्य से दो हजार रुपए प्रति किवंटल नीचे बिकता है. ऐसे में समर्थन मूल्य पर मूंग खरीद का सरकारी राग केवल अलापने की लिए साबित हो रहा है.

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