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SPECIAL: कबाड़ होते जा रहे कचरा पात्र, नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में ही रखे रह गए

श्रीगंगानगर नगर परिषद में गंदगी से मुक्त करवाए जाने के नाम पर करीब 50 लाख रुपए खर्च कर 200 कचरा पात्र मंगवाए गए. यह कचरा पात्र शहर के 65 वार्डों में भिजवाने के बजाय नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में रख दिए गए. जो अब कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं. हालत ये है कि अब अगर समय रहते इन कंटेनरों का उपयोग नहीं हुआ तो लाखों रुपयों का नुकसान होगा.

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खुद कचरे में तब्दील कचरा पात्र
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Published : Oct 31, 2020, 6:20 PM IST

श्रीगंगानगर. नगर परिषद में भ्रष्टाचार और गड़बड़झाला के कई मामले अब तक आ चुके हैं. अक्सर विवादों में रहने वाली नगर परिषद पर अब सफाई के नाम पर कचरा पात्र खरीद में गड़बड़ी के आरोप में घिरने लगी है. ये आरोप जनता नहीं बल्कि जनता द्वारा चुनकर भेजे गये नगर परिषद बोर्ड के सदस्य खुद लगा रहे हैं. नगर परिषद द्वारा शहर को गंदगी से मुक्त करवाए जाने के नाम पर करीब 50 लाख रुपए खर्च कर 200 कचरा पात्र मंगवाए गए.

खुद कचरे में तब्दील कचरा पात्र

यह कचरा पात्र शहर के 65 वार्डों में भिजवाने के बजाय नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में रख दिए गए. जो अब कबाड़ होते जा रहे हैं. लेकिन कचरा पात्रों को वार्डों में नहीं रखवाया जा रहा है. जिला अस्पताल से आगे नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में अब यह कंटेनर जंग खा रहे हैं. धूल, मिट्टी और बारिश की वजह से ये कचरा पात्र खराब होने लगे हैं. हालत ये हैं कि अब अगर समय रहते इन कंटेनरों का उपयोग नहीं हुआ तो लाखों रुपयों का राजकोष को नुकसान होगा. हैरानी की बात यह है कि नगर परिषद ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत शहरवासियों को गीला और सूखा कचरा का पाठ पढ़ाया. नगर परिषद परिसर सहित अन्य जगहों पर बाकायदा होर्डिंग लगाए गए. वार्ड वालों से गीला और सूखा कचरा अलग अलग संग्रहण करने के लिए कचरा पात्र भी गीला और सूखा कचरा डालने के हिसाब से मंगवाए, लेकिन अभी तक यह व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है.

पढ़ेंः Special: नगर परिषद के ठेकेदारों ने शहर को बनाया डंपिंग यार्ड, गली-गली में कूड़े का ढेर

परिषद के कोष से लाखों रुपए खर्च कर खरीदे गये कचरा पात्रो को वार्डों में रखवाने के लिए कई बार पार्षदों ने हंगामा करते हुए अधिकारियों की मंशा पर सवाल भी खड़े किए, लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई. मतलब साफ की लाखों के बजट से खरीदे कचरा पात्रों को कचरे के ढ़ेर मे ही तब्दील करना है. अब आक्रोशित पार्षद कचरा पात्र खरीद के नाम पर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार होने के आरोप लगा रहे हैं. पार्षद कचरा कंटेनर खरीद में भ्रष्टाचार होने की बात कह रहे हैं.

पढ़ेंः Special: अलवर में अब सड़क पर नहीं उड़ेगा कचरा, लोगों को मिलेगी परेशानी से निजात

पार्षद कमल नारंग की मानें तो 50 लाख के टेंडर लगाकर कचरा कंटेनर मंगवाए गए हैं. कचरा पात्र खरीदने के दौरान बताया गया था कि शहरवासियों को गंदगी से निजात मिलेगी, लेकिन अब यह कंटेनर खुद ही कचरा हो रहे हैं. यानी लंबे समय से कचरा संग्रहण केंद्र में पड़े खराब हो रहे हैं. नगर परिषद अधिकारियों ने कचरा पात्रों को स्टोर में रखवाने की बजाय कचरा संग्रहण केंद्रों में भिजवा दिया ताकि लोगों को पता नहीं चले. ऐसे में नगर परिषद के कोष को लाखों रुपए का चूना लगा है. नगर परिषद द्वारा कचरा संग्रहण के लिए 200 कचरा पात्र उपलब्ध करवाने के लिए जनवरी 2020 में ही निविदा जारी की गई थी. वहीं नगर परिषद आयुक्त प्रियंका बुडानिया से जब कचरा पात्र खरीद के बारे में जानकारी लेनी चाही तो वे मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर गई.

श्रीगंगानगर. नगर परिषद में भ्रष्टाचार और गड़बड़झाला के कई मामले अब तक आ चुके हैं. अक्सर विवादों में रहने वाली नगर परिषद पर अब सफाई के नाम पर कचरा पात्र खरीद में गड़बड़ी के आरोप में घिरने लगी है. ये आरोप जनता नहीं बल्कि जनता द्वारा चुनकर भेजे गये नगर परिषद बोर्ड के सदस्य खुद लगा रहे हैं. नगर परिषद द्वारा शहर को गंदगी से मुक्त करवाए जाने के नाम पर करीब 50 लाख रुपए खर्च कर 200 कचरा पात्र मंगवाए गए.

खुद कचरे में तब्दील कचरा पात्र

यह कचरा पात्र शहर के 65 वार्डों में भिजवाने के बजाय नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में रख दिए गए. जो अब कबाड़ होते जा रहे हैं. लेकिन कचरा पात्रों को वार्डों में नहीं रखवाया जा रहा है. जिला अस्पताल से आगे नगर परिषद के कचरा संग्रहण केंद्र में अब यह कंटेनर जंग खा रहे हैं. धूल, मिट्टी और बारिश की वजह से ये कचरा पात्र खराब होने लगे हैं. हालत ये हैं कि अब अगर समय रहते इन कंटेनरों का उपयोग नहीं हुआ तो लाखों रुपयों का राजकोष को नुकसान होगा. हैरानी की बात यह है कि नगर परिषद ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत शहरवासियों को गीला और सूखा कचरा का पाठ पढ़ाया. नगर परिषद परिसर सहित अन्य जगहों पर बाकायदा होर्डिंग लगाए गए. वार्ड वालों से गीला और सूखा कचरा अलग अलग संग्रहण करने के लिए कचरा पात्र भी गीला और सूखा कचरा डालने के हिसाब से मंगवाए, लेकिन अभी तक यह व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है.

पढ़ेंः Special: नगर परिषद के ठेकेदारों ने शहर को बनाया डंपिंग यार्ड, गली-गली में कूड़े का ढेर

परिषद के कोष से लाखों रुपए खर्च कर खरीदे गये कचरा पात्रो को वार्डों में रखवाने के लिए कई बार पार्षदों ने हंगामा करते हुए अधिकारियों की मंशा पर सवाल भी खड़े किए, लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई. मतलब साफ की लाखों के बजट से खरीदे कचरा पात्रों को कचरे के ढ़ेर मे ही तब्दील करना है. अब आक्रोशित पार्षद कचरा पात्र खरीद के नाम पर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार होने के आरोप लगा रहे हैं. पार्षद कचरा कंटेनर खरीद में भ्रष्टाचार होने की बात कह रहे हैं.

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पार्षद कमल नारंग की मानें तो 50 लाख के टेंडर लगाकर कचरा कंटेनर मंगवाए गए हैं. कचरा पात्र खरीदने के दौरान बताया गया था कि शहरवासियों को गंदगी से निजात मिलेगी, लेकिन अब यह कंटेनर खुद ही कचरा हो रहे हैं. यानी लंबे समय से कचरा संग्रहण केंद्र में पड़े खराब हो रहे हैं. नगर परिषद अधिकारियों ने कचरा पात्रों को स्टोर में रखवाने की बजाय कचरा संग्रहण केंद्रों में भिजवा दिया ताकि लोगों को पता नहीं चले. ऐसे में नगर परिषद के कोष को लाखों रुपए का चूना लगा है. नगर परिषद द्वारा कचरा संग्रहण के लिए 200 कचरा पात्र उपलब्ध करवाने के लिए जनवरी 2020 में ही निविदा जारी की गई थी. वहीं नगर परिषद आयुक्त प्रियंका बुडानिया से जब कचरा पात्र खरीद के बारे में जानकारी लेनी चाही तो वे मामले में कुछ भी बोलने से इंकार कर गई.

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