श्रीगंगानगर. राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए भले ही लंबे चौड़े दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत देखनी हो तो श्रीगंगानगर के महाराजा गंगासिंह स्टेडियम चले आइए जहां डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बना बहुउद्देशीय हॉल अपनी बदहाली पर रो रहा है.
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कहने को तो इस उद्देश्यहॉल में एक साथ कई खेल खेलने के लिए बनाया गया है लेकिन हाल की जर्जर हालात से इसमें न केवल खिलाड़ी अब खेलना बन्द कर चुके है बल्कि यहां खेलने के लिए आने वाले इक्का दुक्का खिलाड़ियों को डर के साए में खेलना पड़ता है. सरकार खेलों पर भले ही करोड़ों रुपए खर्च करने का लम्बा चौड़ा दावा करती है, लेकिन अगर धरातल पर तरासे जाने वाले खिलाड़ियों को खेलने की सुविधा ही नहीं मिले तो सरकार के दावे धराशाई ही कहलाएंगे.
श्रीगंगानगर में करोड़ों की लागत से सालो पहले बना यह बहुउद्देशीय हॉल खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह बहुउद्देशीय हॉल अपनी बदहाली पर रो रहा है. मगर इसकी सुध लेने वाले सरकारी हुक्मरान बेपरवाह नजर आ रहे हैं. बहुद्देशीय हॉल अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. जितनी जर्जर अवस्था इस हॉल की बाहर से नजर आ रही है उससे कहीं ज्यादा अंदर की हालत खराब हो चुकी है.जिसके चलते खेल अधिकारी ने अब इसको ताले में बंद कर दिया है. यही कारण है कि जर्जर हो चुके बहुद्देशीय हॉल में खेलने वाले किसी खिलाड़ी को चोट ना लग जाए इसको देखते हुए इसके सारे गेट बंद कर ताले लगा दिए गए हैं.
हॉल की जर्जर हालत होने से जिला मुख्यालय स्थित महाराजा गंगा सिंह स्टेडियम में अभ्यास के लिए आने वाले खिलाड़ियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालात इस कदर खराब है कि इनडोर बैडमिंटन हॉल का बिजली का कनेक्शन वर्षों से कटा हुआ है. स्टेडियम के इंडोर बैडमिंटन हॉल में लगभग 16 साल पहले बैडमिंटन का वुडन कोर्ट बनाया गया था. इसके बाद नियमित रखरखाव के अभाव में अब वुडन कोर्ट की लकड़ी जगह-जगह से उखड़ चुकी है. इसके कारण खेल अभ्यास के दौरान अक्सर यहां खिलाड़ियों के गिरकर चोटिल होने का भय बना रहता है. बास्केटबॉल मैदान में भी जगह-जगह दरारें आ चुकी है. टेनिस कोर्ट,वॉलीबॉल मैदान में भी नियमित रखरखाव नहीं होने के कारण खस्ताहाल है.
जिला खेल अधिकारी सुरेंद्र बिश्नोई की माने तो खिलाड़ियों को बहुद्देशीय हॉल के फायदे तो अनेक हैं लेकिन बजट नही मिलने से इसकी जर्जर हालत को सही नही करवाया जा सका है. ऐसे में अब इसमें खिलाड़ियों को अभ्यास कर पाना संभव नहीं है .बहुद्देशीय हॉल को सही करवाने के लिए बजट मिले तो इसे फिर से पटरी पर लाया जा सकता है, लेकिन बजट नहीं होने की मजबूरी के चलते दिक्कते आ रही है. वहीं, खिलाड़ियों को समस्याओं से हर रोज दो चार होना पड़ता है. जिससे वे परेशान हैं. खेल मैदानों के रखरखाव के लिए सरकार से बजट नहीं मिलता है. ऐसे में छतिग्रस्त खेल मैदानों की मरम्मत की जानी संभव नहीं है.
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वहीं, सरकार रिकॉर्ड में खेल पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा कर रही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या सरकार खेल के नाम पर भी खानापूर्ति करके बजट की बर्बादी कर रही है या जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों को सुविधाएं दे रही है. सवाल बड़ा है मगर जवाब सरकारी तंत्र के पास नहीं है. उधर मैदान में आने वाले खिलाड़ी बताते हैं कि बहुउद्देशीय हॉल जिस उद्देश्य के साथ बनाया गया था. वह उद्देश्य बहुउद्देशीय हॉल के जर्जर होकर बंद होने से अब पूरा होता नजर नहीं आ रहा है. खिलाड़ियों की माने तो होल को सही करवा कर फिर से चालू किया जाए तो प्रतिभाएं निकलेगी और खिलाड़ियों को इंडोर हाल में अभ्यास करने का पूरा समय मिलेगा जिसके चलते हुए बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे.