श्रीगंगानगर. कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है, लेकिन श्रीगंगानगर का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग खुद खतरे को मोल लेने से बाज नहीं आ रहा है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि कोरोना संक्रमण के सर्वे में लगे पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर को दफ्तरों में आने-जाने की खुली छूट दे रखी है.
यही वजह है कि मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सर्वे में लगे ऐसे तमाम कर्मचारियों को सरकारी दफ्तरों में आने पर रोक लगाने की मांग की है. यूनियन के जिला अध्यक्ष संदीप जाखड़ ने स्वास्थ्य मंत्री से गुहार लगाई है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कोविड-19 के प्रभारी का दफ्तर किसी सुरक्षित जगह पर रखा जाए. जिससे कि सरकारी दफ्तरों के कार्मिक उनके संपर्क में आने से बच सकें.
जिला मुख्यालय पर कोविड-19 प्रभारी का बनाया गया दफ्तर सीएमएचओ ऑफिस से बदलने की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री से मांग करते हुए युनियन ने कहा है कि कोरोना सर्वे में लगे कर्मचारियों का कोविड-19 प्रभारी के दफ्तर में दिन भर आना जाना लगा रहता है. जिससे उनका संपर्क विभाग के दूसरे कार्मिकों से भी होता है. ऐसे में संक्रमण कभी भी बड़ा विकराल रूप ले सकता है.
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कर्मचारी यूनियन जिला अध्यक्ष जाखड़ ने बताया कि कोविड-19 प्रभारी हरबंस सिंह बराड़ का रूम सीएमएचओ कार्यालय में बना रखा है. जिसके चलते यहां पर सर्वे में लगे पैरामेडिकल स्टाफ और डॉक्टर दिन भर ड्यूटी कटवाने लगवाने और सर्वे में जाने के लिए आते रहते हैं. ऐसे में यहां पर कार्य कर रहे मंत्रालयिक कर्मचारी, एनएचएम, डीपीएम, ड्राइवर और स्टाफ के कर्मचारीयों का सर्वे करने वाले इन कर्मचारियों से सीधे संपर्क में आते रहते हैं. यहां के कर्मचारी जिले भर के दूसरे सरकारी दफ्तरों में भी आते-जाते रहते हैं. ऐसे में सर्वे में लगे किसी कार्मिक के संपर्क में आने से संक्रमण पूरे जिले के दफ्तरों तक फैल सकता है.