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दूषित पानी के लिए शुरू हुआ आंदोलन बंद होने से समिति नेताओं की निंदा, पंजाब एनजीटी से सांठ-गांठ के आरोप

पंजाब से आ रहे केमिकल युक्त पानी के खिलाफ श्रीगंगानगर में जनजागरण अभियान समिति की ओर से संचालित आंदोलन के अचानक बंद करने से पदाधिकारियों पर सवाल खड़े होने लगे है. जन संघर्ष समिति ने पंजाब की एनजीटी के साथ सांठ-गांठ का आरोप लगा दिया है.

गंगनहर के दुषित पानी का आंदोलन हुआ समाप्त
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Published : Jul 21, 2019, 10:11 PM IST

श्रीगंगानगर. पंजाब से गंगनहर के जरीए केमिकल युक्त और जहरीला पानी आता है जिनसे श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ दो जिले प्रभावित है. इसके खिलाफ कई सालों से सुधार की मांग चल रही है. हाल ही में जन जागरण अभियान समिति की ओर से केमिकल युक्त पानी के खिलाफ आंदोलन छेड़ा गया जिसको अचानक बंद कर दिया गया.

आंदोलन को बंद करने से जन जागरण अभियान समिति के पदाधिकारियों पर सवाल खड़े होने लग गए. जन संघर्ष समिति ने यह तक आरोप लगा दिया कि पदाधिकारियों की पंजाब में एनजीटी के साथ सांठ-गांठ हुई है जिसके बाद आंदोलन को अचानक बंद कर दिया गया.

गंगनहर के दुषित पानी का आंदोलन हुआ समाप्त

'दुषित जल - असुरक्षित कल' नामक आंदोलन जन जागरण अभियान समिति कि ओर से श्रीगंगानगर में संचालित हो रहा था. आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. गंगनहर में आ रहे दूषित जल से फैल रही बीमारियों की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को दिखाकर बड़े-बड़े दावे करने वाले समिति संयोजक महेश पेरीवाल, सह संयोजक सुरेंद्र पारीक और रमजान अली चोपदार द्वारा अचानक आंदोलन को समाप्त करने के फैसले को जिले का हर नागरिक सोचने पर मजबूर होकर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. आंदोलन के नेता पंजाब से आ रहे इसी पानी को कल तक कैंसर युक्त बताकर यहां के लोगों को काले पानी से निजात दिलाने की बात कह रहे थे लेकिन अचानक आंदोलन बंद होने से नेताओ पर सवाल खड़े होने लगे हैं.

समिति संयोजक महेश पेड़ीवाल, सह संयोजक सुरेंद्र पारीक व रमजान अली चोपदार के नेतृत्व में 15 जुलाई को पब्लिक पार्क में सभा कर श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन कर आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया था. लेकिन बुधवार 17 जुलाई को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पटियाला की ओर से पंजाब और राजस्थान के प्रतिनिधियों के साथ की गई बैठक में दिए गए आश्वासन पर प्रदूषित पानी के खिलाफ अभियान को शुरू करने वाले समिति प्रतिनिधियों ने 22 जुलाई को पीपीसीबी के पटियाला मुख्यालय के समक्ष प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर आंदोलन को ही बंद कर दिया.

जन जागरण अभियान समिति के नेता रमजान चोपदार आंदोलन शुरू होने के बाद कह रहे थे कि दूषित जल से गंगानगर के लोग कब तक तिल तिल कर मरेगें, लोग पानी के रूप में हर रोज थोड़ा-थोड़ा जहर ले रहे हैं और पंजाब की सरकार नहरों में डाले जा रहे पानी को रोकने के लिए कदम नहीं उठा रही है.

कल तक पानी से भयंकर बीमारियां बताने वाले यह नेता आर-पार की लड़ाई, हल्ला बोल और अधिकारियों को घेरने की चेतावनी दे रहे थे, लेकिन अचानक आंदोलन को बंद करने से जन संघर्ष समिति के यात्रा संयोजक ना केवल दुर्भाग्यपूर्ण बताकर निंदा कर रहे हैं बल्कि आंदोलन राजनीतिक लाभ व स्वार्थ के लिए शुरू करना बता रहे हैं. इनकी मानें तो भाजपा के इशारे पर कुछ संगठन इस बात का प्रचार कर रहे थे कि हम पानी के लिए लड़ेंगे. उन्होंने चंद दिनों में फोटो खिंचवा कर और पंजाब में जाकर एनजीटी के साथ इस बात का समझौता कर लिया कि हम 2 साल के लिए आंदोलन स्थगित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जन संघर्ष समिति निर्णायक इस आंदोलन को लड़ेगी. माकपा नेता ने इस बात की कड़े शब्दों में निंदा की है कि जो लोग 5 दिन पहले प्रदर्शन कर रहे थे उनके द्वारा अचानक आंदोलन बंद करने से पता चल गया है कि उन्होंने बाकायदा अपने चरित्र के मुताबिक अधिकारियों से सांठगांठ करके अपने आंदोलन को वापस लिया है.

श्रीगंगानगर. पंजाब से गंगनहर के जरीए केमिकल युक्त और जहरीला पानी आता है जिनसे श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ दो जिले प्रभावित है. इसके खिलाफ कई सालों से सुधार की मांग चल रही है. हाल ही में जन जागरण अभियान समिति की ओर से केमिकल युक्त पानी के खिलाफ आंदोलन छेड़ा गया जिसको अचानक बंद कर दिया गया.

आंदोलन को बंद करने से जन जागरण अभियान समिति के पदाधिकारियों पर सवाल खड़े होने लग गए. जन संघर्ष समिति ने यह तक आरोप लगा दिया कि पदाधिकारियों की पंजाब में एनजीटी के साथ सांठ-गांठ हुई है जिसके बाद आंदोलन को अचानक बंद कर दिया गया.

गंगनहर के दुषित पानी का आंदोलन हुआ समाप्त

'दुषित जल - असुरक्षित कल' नामक आंदोलन जन जागरण अभियान समिति कि ओर से श्रीगंगानगर में संचालित हो रहा था. आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. गंगनहर में आ रहे दूषित जल से फैल रही बीमारियों की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को दिखाकर बड़े-बड़े दावे करने वाले समिति संयोजक महेश पेरीवाल, सह संयोजक सुरेंद्र पारीक और रमजान अली चोपदार द्वारा अचानक आंदोलन को समाप्त करने के फैसले को जिले का हर नागरिक सोचने पर मजबूर होकर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. आंदोलन के नेता पंजाब से आ रहे इसी पानी को कल तक कैंसर युक्त बताकर यहां के लोगों को काले पानी से निजात दिलाने की बात कह रहे थे लेकिन अचानक आंदोलन बंद होने से नेताओ पर सवाल खड़े होने लगे हैं.

समिति संयोजक महेश पेड़ीवाल, सह संयोजक सुरेंद्र पारीक व रमजान अली चोपदार के नेतृत्व में 15 जुलाई को पब्लिक पार्क में सभा कर श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन कर आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया था. लेकिन बुधवार 17 जुलाई को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पटियाला की ओर से पंजाब और राजस्थान के प्रतिनिधियों के साथ की गई बैठक में दिए गए आश्वासन पर प्रदूषित पानी के खिलाफ अभियान को शुरू करने वाले समिति प्रतिनिधियों ने 22 जुलाई को पीपीसीबी के पटियाला मुख्यालय के समक्ष प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर आंदोलन को ही बंद कर दिया.

जन जागरण अभियान समिति के नेता रमजान चोपदार आंदोलन शुरू होने के बाद कह रहे थे कि दूषित जल से गंगानगर के लोग कब तक तिल तिल कर मरेगें, लोग पानी के रूप में हर रोज थोड़ा-थोड़ा जहर ले रहे हैं और पंजाब की सरकार नहरों में डाले जा रहे पानी को रोकने के लिए कदम नहीं उठा रही है.

कल तक पानी से भयंकर बीमारियां बताने वाले यह नेता आर-पार की लड़ाई, हल्ला बोल और अधिकारियों को घेरने की चेतावनी दे रहे थे, लेकिन अचानक आंदोलन को बंद करने से जन संघर्ष समिति के यात्रा संयोजक ना केवल दुर्भाग्यपूर्ण बताकर निंदा कर रहे हैं बल्कि आंदोलन राजनीतिक लाभ व स्वार्थ के लिए शुरू करना बता रहे हैं. इनकी मानें तो भाजपा के इशारे पर कुछ संगठन इस बात का प्रचार कर रहे थे कि हम पानी के लिए लड़ेंगे. उन्होंने चंद दिनों में फोटो खिंचवा कर और पंजाब में जाकर एनजीटी के साथ इस बात का समझौता कर लिया कि हम 2 साल के लिए आंदोलन स्थगित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जन संघर्ष समिति निर्णायक इस आंदोलन को लड़ेगी. माकपा नेता ने इस बात की कड़े शब्दों में निंदा की है कि जो लोग 5 दिन पहले प्रदर्शन कर रहे थे उनके द्वारा अचानक आंदोलन बंद करने से पता चल गया है कि उन्होंने बाकायदा अपने चरित्र के मुताबिक अधिकारियों से सांठगांठ करके अपने आंदोलन को वापस लिया है.

Intro:श्रीगंगानगर : पंजाब से गंगनहर में आ रहे केमिकल युक्त व जहरीले पानी के खिलाफ दूषित जल असुरक्षित कल जन जागरण अभियान समिति श्रीगंगानगर द्वारा शुरू किए गए आंदोलन को अचानक बंद करने पर जन संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। जन संघर्ष समिति द्वारा दूषित पानी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के संयोजक मंडल प्रभारी व माकपा नेता कामरेड श्योपत सिंह ने दूषित जल असुरक्षित कल जन जागरण अभियान समिति की अगुवाई कर रहे नेताओं की एनजीटी के साथ सांठगांठ की बात कहते हुए आंदोलन में जुड़े लोगों को जहां सोचने पर मजबूर कर दिया है वहीं दूषित पानी के खिलाफ आंदोलन बंद होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।


Body:दूषित जल असुरक्षित कल जन जागरण अभियान समिति श्रीगंगानगर द्वारा पंजाब से आ रहे केमिकल युक्त व जहरीले पानी को रोकने के लिए शुरू किए गए आंदोलन को बंद करने से आंदोलन की अगुवाई कर रहे नेताओं पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। गंगनहर में आ रहे दूषित जल से फैल रही बीमारियों की रिपोर्ट जिला कलेक्टर को दिखाकर बड़े-बड़े दावे करने वाले समिति संयोजक महेश पेरीवाल,सह संयोजक सुरेंद्र पारीक व रमजान अली चोपदार द्वारा अचानक आंदोलन को समाप्त करने के फैसले को जिले का हर नागरिक सोचने पर मजबूर होकर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। आंदोलन के नेता पंजाब से आ रहे इसी पानी को कल तक कैंसर युक्त बताकर यहां के लोगों को काले पानी से निजात दिलाने की बात कह रहे थे लेकिन अचानक आंदोलन बंद होने से नेताओ पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

समिति संयोजक महेश पेड़ीवाल, सह संयोजक सुरेंद्र पारीक व रमजान अली चोपदार के नेतृत्व में 15 जुलाई को पब्लिक पार्क में सभा कर श्रीगंगानगर कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन कर आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया था। लेकिन बुधवार 17 जुलाई को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पटियाला की ओर से पंजाब व राजस्थान के प्रतिनिधियों के साथ की गई बैठक में दिए गए आश्वासन पर प्रदूषित पानी के खिलाफ अभियान को शुरू करने वाले समिति प्रतिनिधियों ने 22 जुलाई को पीपीसीबी के पटियाला मुख्यालय के समक्ष प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को स्थगित कर आंदोलन को ही बंद कर दिया। दूषित जल असुरक्षित कल जन जागरण अभियान समिति के नेता रमजान चोपदार आंदोलन शुरू होने के बाद कह रहे थे कि दूषित जल से गंगानगर के लोग कब तक तिल तिल कर मरेगें,लोग पानी के रूप में हर रोज थोड़ा थोड़ा जहर ले रहे हैं और पंजाब की सरकार नेहरों में डाले जा रहे पानी को रोकने के लिए कदम नहीं उठा रही है। कल तक पानी से भयंकर बीमारियां बताने वाले यह नेता आर-पार की लड़ाई,हल्ला बोल व अधिकारियों को घेरने की चेतावनी दे रहे थे, मगरअचानक आंदोलन को बंद करने से जन संघर्ष समिति के यात्रा संयोजक ना केवल दुर्भाग्यपूर्ण बताकर निंदा कर रहे हैं बल्कि आंदोलन राजनीतिक लाभ व स्वार्थ के लिए शुरू करना बता रहे हैं। इनकी मानें तो भाजपा के इशारे पर कुछ संगठन इस बात का प्रचार कर रहे थे कि हम पानी के लिए लड़ेंगे। उन्होंने चंद दिनों में फोटो खिंचवा कर और पंजाब में जाकर एनजीटी के साथ इस बात का समझौता कर लिया कि हम 2 साल के लिए आंदोलन स्थगित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जन संघर्ष समिति निर्णायक इस आंदोलन को लड़ेगी माकपा नेता ने इस बात की कड़े शब्दों में निंदा की है कि जो लोग 5 दिन पहले प्रदर्शन कर रहे थे उनके द्वारा अचानक आंदोलन बंद करने से पता चल गया है कि उन्होंने बाकायदा अपने चरित्र के मुताबिक अधिकारियों से सांठगांठ करके अपने आंदोलन को वापस लिया है।

बाइट : रमजान अली चोपदार,दूषित जल असुरक्षित कल समिति सदस्य

बाइट : श्योपत सिंह, जन संघर्ष समिति प्रभारी


Conclusion:दूषित पानी के लिए चल रहा आंदोलन बंद होना जन संघर्ष समिति ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण।
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