ETV Bharat / state

SPECIAL: 87 साल के बुजुर्ग ऐसे दे रहे हैं कोरोना को चुनौती..

author img

By

Published : Jun 11, 2020, 4:50 PM IST

देश में फैले कोरोना वायरस के कारण सरकार कई बार एडवाइजरी जारी कर लोगों को सावधानी बरतने की अपील कर चुकी है. वहीं, ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी कोरोना से डट कर सामना कर रहे हैं. ऐसे ही साधुवाली गांव में रहने वाले बुजुर्ग काशीराम दादरवाल अपने मजबूत इम्यून सिस्टम के दम पर कोरोना से लगातार जंग लड़ रहे हैं. बता दें कि 87 साल की उम्र में भी उन्हें किसी के सहारे की कोई जरूरत नहीं पड़ती है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट..

sriganganagar news, राजस्थान की खबर
87 साल का बुजुर्ग लड़ रहा कोरोना से जंग

श्रीगंगानगर. कोरोना संक्रमण के दौरान लोग घरों में रहकर सावधानी के साथ संक्रमण से बचने के उपाय कर रहे हैं. जब कोरोना के इस संकट में लोग घबराए हुए हैं, तब ग्रामीण क्षेत्र के लोग कोरोना से मुकाबला करने में लगे हुए हैं. ग्रामीण परिवेश में खान-पान, रहन-सहन और कठिन परिश्रम का ही असर है कि ग्रामीणों का इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है.

87 साल का बुजुर्ग लड़ रहा कोरोना से जंग

विश्व स्वास्थ्य संगठन और डॉक्टरों की ओर से कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और बच्चों पर बताया जा रहा है. ऐसे समय में साधुवाली गांव के कुछ ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो 80 साल से अधिक उम्र में भी अपने मजबूत इम्यून सिस्टम के साथ कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. हालांकि गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने पिछले 90 साल में ऐसी बीमारी ना देखी ना सुनी है. ग्रामीण कोरोना संक्रमण से तो दूर है, लेकिन कोरोना से खतरा बताते हुए सावधानियां रखने की बात भी कहते हैं.

ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ गांव के बुजुर्गों के साथ बात करते हुए उनके स्वस्थ रहने के जीवन के अनुभव जाने हैं. ये हैं काशीराम दादरवाल! 87 बसंत देख चुके काशीराम आज भी इतने स्वस्थ हैं कि 87 साल की उम्र में इनको किसी अपने का सहारा लेकर नहीं चलना पड़ता है, बल्कि खुद अपनी साइकिल पर सवार होकर गांव से ढाणी और शहर तक का सफर अकेले तय करते हैं. काशीराम को साइकिल चलाते देखकर कोई नहीं बता सकता कि ये 87 साल का बुजुर्ग है. कांशीराम का घर साधुवाली ग्राम पंचायत के पास खेत में बनी ढाणी में है.

बता दें कि काशीराम गांव से 4 किलोमीटर दूर अपनी ढाणी से रोजाना साइकिल चलाकर ग्राम पंचायत साधुवाली आते हैं. घर के छोटे-मोटे काम काशीराम अब भी पूरी जिम्मेदारी के साथ करते हैं. काशीराम साइकिल चलाते हैं. साइकिल पर ही सवार होकर वे कई बार जरूरत के काम करने के लिए अपनी ढाणी से करीब 10 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय तक चले जाते हैं. 87 साल की उम्र में काशीराम का जोश देखकर पता चलता है कि इतना स्वस्थ रहने का कारण इनका मजबूत इम्यून सिस्टम ही है.

पढ़ें- मोदी सरकार का पहला साल प्रभावशाली और चुनौतीपूर्ण रहा: सांसद निहालचंद मेघवाल

काशीराम से कोरोना के बारे में पूछा तो वे बताते हैं कि ऐसी बीमारी उन्होंने अपने जीवन में नहीं देखी. वे कहते हैं कि लॉकडाउन में सावधानी रखते हुए वे घर पर ही रहते हैं. वे बताते हैं कि साइकिल पर घर से रोजाना ग्राम पंचायत मुख्यालय आता हूं. ग्रामीण बताते हैं कि हाई रिस्क जोन होने के बाद भी साधुवाली के लोग कोरोना से सुरक्षित हैं.

काशीराम ने बताया कि उनकी जमीन पंजाब क्षेत्र में है. ऐसे में वे लॉकडाउन के दौरान खेतों में जरूरी काम करने जाते थे, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई. अपने बुलंद हौसले और सावधानी के साथ काशीराम जैसे बुजुर्ग जब कोरोना को हराने में लगे हैं तो युवाओं और दूसरे लोगों को भी ऐसे बुजुर्गों से सीख लेकर कोरोना से बचने के लिए सावधानियां रखनी चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके.

श्रीगंगानगर. कोरोना संक्रमण के दौरान लोग घरों में रहकर सावधानी के साथ संक्रमण से बचने के उपाय कर रहे हैं. जब कोरोना के इस संकट में लोग घबराए हुए हैं, तब ग्रामीण क्षेत्र के लोग कोरोना से मुकाबला करने में लगे हुए हैं. ग्रामीण परिवेश में खान-पान, रहन-सहन और कठिन परिश्रम का ही असर है कि ग्रामीणों का इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है.

87 साल का बुजुर्ग लड़ रहा कोरोना से जंग

विश्व स्वास्थ्य संगठन और डॉक्टरों की ओर से कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों और बच्चों पर बताया जा रहा है. ऐसे समय में साधुवाली गांव के कुछ ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो 80 साल से अधिक उम्र में भी अपने मजबूत इम्यून सिस्टम के साथ कोरोना से जंग लड़ रहे हैं. हालांकि गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि उन्होंने पिछले 90 साल में ऐसी बीमारी ना देखी ना सुनी है. ग्रामीण कोरोना संक्रमण से तो दूर है, लेकिन कोरोना से खतरा बताते हुए सावधानियां रखने की बात भी कहते हैं.

ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ गांव के बुजुर्गों के साथ बात करते हुए उनके स्वस्थ रहने के जीवन के अनुभव जाने हैं. ये हैं काशीराम दादरवाल! 87 बसंत देख चुके काशीराम आज भी इतने स्वस्थ हैं कि 87 साल की उम्र में इनको किसी अपने का सहारा लेकर नहीं चलना पड़ता है, बल्कि खुद अपनी साइकिल पर सवार होकर गांव से ढाणी और शहर तक का सफर अकेले तय करते हैं. काशीराम को साइकिल चलाते देखकर कोई नहीं बता सकता कि ये 87 साल का बुजुर्ग है. कांशीराम का घर साधुवाली ग्राम पंचायत के पास खेत में बनी ढाणी में है.

बता दें कि काशीराम गांव से 4 किलोमीटर दूर अपनी ढाणी से रोजाना साइकिल चलाकर ग्राम पंचायत साधुवाली आते हैं. घर के छोटे-मोटे काम काशीराम अब भी पूरी जिम्मेदारी के साथ करते हैं. काशीराम साइकिल चलाते हैं. साइकिल पर ही सवार होकर वे कई बार जरूरत के काम करने के लिए अपनी ढाणी से करीब 10 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय तक चले जाते हैं. 87 साल की उम्र में काशीराम का जोश देखकर पता चलता है कि इतना स्वस्थ रहने का कारण इनका मजबूत इम्यून सिस्टम ही है.

पढ़ें- मोदी सरकार का पहला साल प्रभावशाली और चुनौतीपूर्ण रहा: सांसद निहालचंद मेघवाल

काशीराम से कोरोना के बारे में पूछा तो वे बताते हैं कि ऐसी बीमारी उन्होंने अपने जीवन में नहीं देखी. वे कहते हैं कि लॉकडाउन में सावधानी रखते हुए वे घर पर ही रहते हैं. वे बताते हैं कि साइकिल पर घर से रोजाना ग्राम पंचायत मुख्यालय आता हूं. ग्रामीण बताते हैं कि हाई रिस्क जोन होने के बाद भी साधुवाली के लोग कोरोना से सुरक्षित हैं.

काशीराम ने बताया कि उनकी जमीन पंजाब क्षेत्र में है. ऐसे में वे लॉकडाउन के दौरान खेतों में जरूरी काम करने जाते थे, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई. अपने बुलंद हौसले और सावधानी के साथ काशीराम जैसे बुजुर्ग जब कोरोना को हराने में लगे हैं तो युवाओं और दूसरे लोगों को भी ऐसे बुजुर्गों से सीख लेकर कोरोना से बचने के लिए सावधानियां रखनी चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.