ETV Bharat / state

श्रीगंगानगर में लॉकडाउन की वजह से फंसे कश्मीर घाटी के 20 कारोबारी, सरकार से घर पहुंचाने की गुहार

श्रीगंगानगर जिले में फारूक के साथ कश्मीर घाटी के रहने वाले करीब 20 कश्मीरी लोग लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं. सर्दी के मौसम के दौरान ये सभी लोग ऊनी कपड़े के व्यवसाय के लिए श्रीगंगानगर आए थे. अब ये सभी लोग अपने घर जाना चाहते हैं. इन लोगों का कहना है कि, सरकार को किसी गाड़ी का प्रबंध कराके उन्हें उनके घर तक पहुंचना चाहिए.

people from Kashmir, घाटी के 20 कारोबारी
श्रीगंगानगर में लॉकडाउन में फंसे कश्मीर घाटी के 20 कारोबारी.
author img

By

Published : Apr 26, 2020, 7:49 PM IST

श्रीगंगानगर. कोरोना संक्रमण के बाद हुए लॉकडाऊन के चलते देशभर में अलग-अलग राज्यों के लोग अटके हुये है. लॉकडाऊन के चलते रेल और सड़क यातायात बंद होने के कारण ये लोग अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कश्मीर घाटी के कुछ लोग सर्दियों के दौरान श्रीगंगानगर आए थे कारोबार के लिए. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से ये लोग अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

श्रीगंगानगर में लॉकडाउन में फंसे कश्मीर घाटी के 20 कारोबारी.

कश्मीर घाटी के रहने वाले फारुख अहमद पिछले 4 माह से श्रीगंगानगर में काम धंधा कर रहे थे,लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन के बाद अब घर नहीं जा पा रहे हैं. फारूक अहमद बताते हैं कि, घर में पूरा परिवार है. इनकी माने तो घर में बूढ़ी मां बहुत परेशान हैं. 20 मार्च को घाटी जाने का कार्यक्रम था लेकिन 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक लॉकडाउन घोषणा करने के बाद वह कश्मीर घाटी में अपने घर नहीं जा पाए.

श्रीगंगानगर जिले में फारूक के साथ कश्मीर घाटी के ऐसे 20 कश्मीरी लोग हैं जो सर्दी के मौसम के दौरान यहां ऊनी कपड़े का व्यवसाय करने के लिए आए थे. फरुख कहते हैं कि, श्रीगंगानगर में बहुत अच्छे लोग हैं लेकिन गर्मी होने के कारण अब वे यहां रह नहीं सकते हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: अजमेर की बड़ी सब्जी मंडी पर ETV Bharat की विशेष पड़ताल, अव्यवस्थाओं से परेशान किसान, रिटेलर-व्यापारियों की चांदी

कश्मीर के कुलगांव जिले के रहने वाले ये सभी 20 लोग 20 नवंबर को श्रीगंगानगर जिले में काम कारोबार के लिए आए थे. तब से ये सभी यहीं रह रहे हैं. इनकी मानें तो इस बार सर्दी अच्छी होने के कारण उनका काम धंधा भी अच्छा रहा, लेकिन अब वहां जाकर अपना घर संभालना चाहते हैं.

घर जाकर खेतों को संभालना जरूरी:

कश्मीर जाने की जल्दबाजी के बारे में पूछने पर अहमद बताते हैं कि, बंद तो कश्मीर घाटी में भी है लेकिन वे गांव के रहने वाले हैं. इसलिए घर जाकर खेतों को संभालना जरूरी है. सरकार कोई गाड़ी देकर उन्हें घाटी भेज दें तो वे आराम से घर पहुंच सकते हैं.

होम क्वॉरनटाइन के लिए तैयार हूं:

अगर जम्मू जाने के बाद उनको होम क्वॉरनटाइन में रखा गया तो वे रहने को भी तैयार हैं. इनकी मानें तो गंगानगर बहुत शांत जगह हैं और वे लंबे समय से यहां आ रहे हैं. यहां किसी प्रकार का कोई डर नहीं है. लॉकडाउन के बाद जो हालात हुए हैं उसके बारे में वे कहते हैं कि 10 साल में नुकसान पूरा नहीं हो सकेगा.

प्रशासन की अनुमित का इंतजार:

फारुख की मानें तो लॉकडाउन में अगर पेस्टिसाइड कृषि से संबंधित सामग्री नहीं मिली तो उनके बागों में इस बार पैदावार नहीं होगी. प्रशासन से अनुमति लेने के लिए कई बार चक्कर लगाने के बाद भी अनुमति नहीं मिल रही है. ऐसे में जिला प्रशासन उन्हें रुकने के लिए कह रहा है, मगर घर में सभी सदस्य परेशान हैं और रोज उनका फोन आ रहा है. फारुख को इंतजार है कि प्रशासन उन्हें उनके घर जाने की आनुमति देगा और वो घर तक पहुंच सकेंगे.

श्रीगंगानगर. कोरोना संक्रमण के बाद हुए लॉकडाऊन के चलते देशभर में अलग-अलग राज्यों के लोग अटके हुये है. लॉकडाऊन के चलते रेल और सड़क यातायात बंद होने के कारण ये लोग अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कश्मीर घाटी के कुछ लोग सर्दियों के दौरान श्रीगंगानगर आए थे कारोबार के लिए. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से ये लोग अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

श्रीगंगानगर में लॉकडाउन में फंसे कश्मीर घाटी के 20 कारोबारी.

कश्मीर घाटी के रहने वाले फारुख अहमद पिछले 4 माह से श्रीगंगानगर में काम धंधा कर रहे थे,लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन के बाद अब घर नहीं जा पा रहे हैं. फारूक अहमद बताते हैं कि, घर में पूरा परिवार है. इनकी माने तो घर में बूढ़ी मां बहुत परेशान हैं. 20 मार्च को घाटी जाने का कार्यक्रम था लेकिन 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अचानक लॉकडाउन घोषणा करने के बाद वह कश्मीर घाटी में अपने घर नहीं जा पाए.

श्रीगंगानगर जिले में फारूक के साथ कश्मीर घाटी के ऐसे 20 कश्मीरी लोग हैं जो सर्दी के मौसम के दौरान यहां ऊनी कपड़े का व्यवसाय करने के लिए आए थे. फरुख कहते हैं कि, श्रीगंगानगर में बहुत अच्छे लोग हैं लेकिन गर्मी होने के कारण अब वे यहां रह नहीं सकते हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.

ये भी पढ़ें: अजमेर की बड़ी सब्जी मंडी पर ETV Bharat की विशेष पड़ताल, अव्यवस्थाओं से परेशान किसान, रिटेलर-व्यापारियों की चांदी

कश्मीर के कुलगांव जिले के रहने वाले ये सभी 20 लोग 20 नवंबर को श्रीगंगानगर जिले में काम कारोबार के लिए आए थे. तब से ये सभी यहीं रह रहे हैं. इनकी मानें तो इस बार सर्दी अच्छी होने के कारण उनका काम धंधा भी अच्छा रहा, लेकिन अब वहां जाकर अपना घर संभालना चाहते हैं.

घर जाकर खेतों को संभालना जरूरी:

कश्मीर जाने की जल्दबाजी के बारे में पूछने पर अहमद बताते हैं कि, बंद तो कश्मीर घाटी में भी है लेकिन वे गांव के रहने वाले हैं. इसलिए घर जाकर खेतों को संभालना जरूरी है. सरकार कोई गाड़ी देकर उन्हें घाटी भेज दें तो वे आराम से घर पहुंच सकते हैं.

होम क्वॉरनटाइन के लिए तैयार हूं:

अगर जम्मू जाने के बाद उनको होम क्वॉरनटाइन में रखा गया तो वे रहने को भी तैयार हैं. इनकी मानें तो गंगानगर बहुत शांत जगह हैं और वे लंबे समय से यहां आ रहे हैं. यहां किसी प्रकार का कोई डर नहीं है. लॉकडाउन के बाद जो हालात हुए हैं उसके बारे में वे कहते हैं कि 10 साल में नुकसान पूरा नहीं हो सकेगा.

प्रशासन की अनुमित का इंतजार:

फारुख की मानें तो लॉकडाउन में अगर पेस्टिसाइड कृषि से संबंधित सामग्री नहीं मिली तो उनके बागों में इस बार पैदावार नहीं होगी. प्रशासन से अनुमति लेने के लिए कई बार चक्कर लगाने के बाद भी अनुमति नहीं मिल रही है. ऐसे में जिला प्रशासन उन्हें रुकने के लिए कह रहा है, मगर घर में सभी सदस्य परेशान हैं और रोज उनका फोन आ रहा है. फारुख को इंतजार है कि प्रशासन उन्हें उनके घर जाने की आनुमति देगा और वो घर तक पहुंच सकेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.