सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). प्रदेश में एक के बाद एक चिकित्सकों की लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला सूरतगढ़ का है. जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार को आयोजित नसबंदी शिविर के बाद तबीयत बिगड़ने से दो महिलाओं की मौत हो गई. शनिवार को चिकित्सालय प्रशासन मामले को दबाने में जुटा रहा, लेकिन रविवार सुबह मृतक महिलाओं के परिजनों ने नसबंदी प्रभारी पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया.
सूरतगढ़ में राजकीय चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं के चलते 2 महिलाओं को जान से हाथ धोना पड़ा. मामला चिकित्सालय में आयोजित नसबंदी शिविर से जुड़ा हुआ है. शनिवार को चिकित्सालय के प्रभारी और सर्जन डॉ. दर्शन सिंह के नेतृत्व में 7 महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन किया गया.
यह भी पढ़ें : अलवर : सड़क हादसे में बाइक सवार की मौत...पुलिस पर लगा ये गंभीर आरोप
आरोप है कि चिकित्सालय में महिलाओं का ऑपरेशन गायनोलॉजिस्ट की जगह दूसरे चिकित्सक ने कर दिया. वहीं ऑपरेशन के बाद सभी महिला मरीजों को चिकित्सालय के सामान्य वार्ड में भर्ती करवा दिया गया. जिले में गर्मी के प्रकोप के बावजूद चिकित्सालय में किसी भी प्रकार के कूलर की व्यवस्था नहीं की गई थी. महिलाओं को पंखे के नीचे ही लिटा दिया गया.
वहीं ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद सातों मरीजों को 108 एंबुलेंस से उनके गांव भेज दिया गया. इनमें से 2 महिला मरीजों की गांव पहुंचने से पहले ही तबीयत बिगड़ गई और दोनों की मौत हो गई.
चिकित्सा विभाग के मुताबिक दोनों मरीजों की मौत हीट स्ट्रोक यानी गर्मी की वजह से हुई है. नसबंदी के बाद महिलाओं की मौत की सूचना मिलते ही चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया. इसके बाद चिकित्सालय प्रशासन ने नसबंदी की गई सभी महिलाओं को वापस बुलाकर चिकित्सालय में भर्ती करा दिया.
घटना की सूचना पर देर रात सीएमएचओ गिरधारी लाल मेहरडा ने चिकित्सालय में पहुंचकर घटना की जानकारी ली. वहीं सुबह चिकित्सकों की लापरवाही के विरुद्ध मृतक महिलाओं के परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने राजकीय चिकित्सालय में हंगामा मचा दिया. मौके पर पहुंचे राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई और मुआवजे की मांग की.
यह भी पढ़ें : जमीनी विवाद को लेकर परिवार का मनमुटाव पहुंचा थाने, मारपीट और लज्जा भंग का मामला दर्ज
बहरहाल विभाग की ओर से दोनों मृतक महिलाओं के परिजनों को परिवार नियोजन कल्याण निधि से दो-दो लाख रुपये की घोषणा की है. लेकिन इस घटना ने एक बार फिर हमारी चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए जरूरत है कि नसबंदी ऑपरेशन जैसे गंभीर मामलों में चिकित्सालय में माकूल व्यवस्थाएं की जाए.