आबूरोड. उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना शनिवार को सिरोही जिले के आबूरोड में ब्रह्मकुमारी संस्थान के दौरे पर रहे. उन्होंने शांतिवन में एक राजयोग कार्यक्रम में भाग लिया. इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि राजनीति हमेशा धर्म से ऊपर होनी चाहिए. धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए.
मीडिया से रूबरू होते मुहाना ने कहा कि राजनीति हमेशा धर्म के ऊपर होनी चाहिए. धर्म राजनीति में नहीं होना चाहिए. धर्म का मतलब कोई पूजा पद्धति नहीं हैं. कोई रिलीजन नहीं हैं. धर्म का मतलब हैं, एक दूसरे की प्रति समर्पण. धर्म में सबका सुख हो, सबका विकास हो. राजनीति केवल स्वार्थ के लिए नहीं समाज के उत्थान के लिए होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा में मुख्यमंत्री और सभी विधायकों से चर्चा करके उन्हें एक बार माउंट आबू आने का अवसर दिया जाएगा.
मुहाना ने कहा कि ब्रह्मा बाबा ने ज्ञान की ऐसी रोशनी बिखेरी, जो आज भी मिल रही है. मैं वर्षों से ब्रह्माकुमारीज सेवाकेंद्रों के संपर्क में हूं. कई दशकों से ब्रह्माकुमारी बहनों का समर्पण, त्याग का भाव, आत्मीयता, मधुरता, स्नेह का साक्षी रहा हूं. यहां से यह सब सीखने लायक है. ऐसे लोगों से जुड़कर ज्ञान और विचारों को कनेक्शन हो जाता है. हम जीवन में अच्छाइयों को आत्मसात करते हैं. मुझे ऐसा लगता है कि जितने भी लोग यहां जुड़े हैं, सभी अपने स्वविवेक, स्व प्रेरणा और स्वभाव के कारण जुड़े हैं.
अच्छे विचारों से बनता है हमारा चरित्र: महाना ने कहा कि जब हम अपने विकारों को शांत करने के लिए यहां से जुड़ेंगे, तो हमें शांति मिलेगी. यदि हम अपने स्वार्थ के कारण जुड़ेंगे, तो शांति नहीं मिलेगी. जब हम अच्छे विचारों को पढ़कर, उन्हें जीवन में आत्मसात कर आचरण और व्यवहार में उतारते हैं, तो हमारा चरित्र बनता है. एक दिन में अच्छे विचार आत्मसात नहीं हो जाते हैं. इसके लिए धैर्य और सामूहिक चिंतन चाहिए. बचपन में हम मुंशी प्रेमचंद की कहानियां पढ़ते थे. उनमें भी कुछ न कुछ जीवन की सीख होती थी. गीता प्रेस गोखरपुर की छोटी सी पुस्तक जो पांच रुपये में मिलती थी, उसमें जीवन का सारा ज्ञान समाया हुआ रहता है. ज्ञान हमें कहीं से भी मिल सकता है.
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पहले हम खुद शांत हों: महाना ने कहा कि जो किसी को ऊपर उठाने की बात करता है, वह सदैव ऊपर रहता है. जब हम खुद को परमात्मा से जोड़ते हैं, खुद शांत रहते हैं तो दूसरों को शांत कर पाएंगे. अपने से प्यार करें, अपनों से प्यार करें. संस्था से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति का आचरण, व्यवहार संस्था का परिचय देता है. इसलिए समाज में प्रेरक बनकर व्यवहार करें. आपका व्यवहार, चरित्र, आचरण देखकर लोग संस्था के चरित्र से जोड़ते हैं. इसलिए ऐसे कर्म करें कि संस्था की पहचान बने.