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राजस्थान : वन विभाग कर्मचारियों पर हमला मामले में कोर्ट ने मांगा जवाब - sirohi news

प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन और वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र माउंट आबू में 2020 में अप्रैल माह में शिकारियों ने गश्त कर रहे फारेस्ट गार्ड की ट्म पर किया था. इस मामले में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के सुप्रीम कोर्ट में दायरा की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राजस्थान सरकार से वन विभाग के कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा है.

supreme court seeks answers
वन विभाग कर्मचारियों पर हमला करने का मामला
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Published : Jan 8, 2021, 5:45 PM IST

सिरोही. बीते साल 2020 में माउंट आबू में शिकारियों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर हमला किया था. अब इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा है. चुकी माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र है. ऐसे में सैकड़ों किलोमीटर फैले पहाड़ी इलाकों में सैकड़ों वन्यजीव प्राणी हैं और शिकारियों की इन पहाड़ी इलाकों में हमेशा से आवाजाही रही है.

कोर्ट ने मांगा जवाब

क्या है मामला...

वर्ष 2020 में 5 अप्रैल को वन विभाग को सूचना मिली थी कि शाम को शिकारी शिकार करने की फिराक में घूम रहे हैं. जिस पर वन विभाग ने गश्त करने के किए अलग- अलग टीम बनाकर पहाड़ी इलाके में गई. देलवाड़ा की ओर गई फारेस्ट गार्ड की टीम पर अचानक से शिकारियों ने पथराव कर दिया. अचानक हुए पथराव के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने पहाड़ियों की ओट लेकर शिकारियों का सामना किया, लेकिन बिना हथियार के वे कैसे सामना करते.

पढ़ें : राजस्थान निकाय चुनाव : PCC चीफ डोटासरा समेत 7 मंत्रियों और 23 विधायकों की साख दांव पर...

राज्य सरकार से मांगा जवाब...

इसलिए, मौके पर वन विभाग के उच्च अधिकारियों को बुलाया गया, साथ ही पुलिस व सीआरपीफ के जवानों को बुलाकर पहाड़ियों में शिकारियों की तलाश की गई थी. इस मामले में कोरोना के चलते कार्रवाई में ढीलाई बरती गई और किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया. उसी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.

सिरोही. बीते साल 2020 में माउंट आबू में शिकारियों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर हमला किया था. अब इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 सप्ताह में सुरक्षा को लेकर जवाब मांगा है. चुकी माउंट आबू वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र है. ऐसे में सैकड़ों किलोमीटर फैले पहाड़ी इलाकों में सैकड़ों वन्यजीव प्राणी हैं और शिकारियों की इन पहाड़ी इलाकों में हमेशा से आवाजाही रही है.

कोर्ट ने मांगा जवाब

क्या है मामला...

वर्ष 2020 में 5 अप्रैल को वन विभाग को सूचना मिली थी कि शाम को शिकारी शिकार करने की फिराक में घूम रहे हैं. जिस पर वन विभाग ने गश्त करने के किए अलग- अलग टीम बनाकर पहाड़ी इलाके में गई. देलवाड़ा की ओर गई फारेस्ट गार्ड की टीम पर अचानक से शिकारियों ने पथराव कर दिया. अचानक हुए पथराव के बाद वन विभाग के कर्मचारियों ने पहाड़ियों की ओट लेकर शिकारियों का सामना किया, लेकिन बिना हथियार के वे कैसे सामना करते.

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राज्य सरकार से मांगा जवाब...

इसलिए, मौके पर वन विभाग के उच्च अधिकारियों को बुलाया गया, साथ ही पुलिस व सीआरपीफ के जवानों को बुलाकर पहाड़ियों में शिकारियों की तलाश की गई थी. इस मामले में कोरोना के चलते कार्रवाई में ढीलाई बरती गई और किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया. उसी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार से 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.

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