सिरोही. राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने 6 से 12 फरवरी तक देशभर में आयोजित होने वाली 'किसान चौपाल' को बीजेपी द्वारा किसानों के प्रति किए गए गुनाहों पर पर्दा डालने की कोशिश बताया है. डांगी ने कहा कि किसान अब इनकी चालाकियों को समझने लगा है और इनके झांसे में नहीं आने वाला.
भाजपा पर आरोप लगाते हुए राज्यसभा सांसद ने कहा कि बजट में किसानों, मजदूरों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों और वंचितों को वरीयता मिलनी चाहिए थी, लेकिन केन्द्र सरकार ने किसानों और मजदूरों के हितों पर कुठाराघात किया है. गत वर्ष के बजट में जहां एग्रीकल्चर सेक्टर का प्रावधान कुल बजट का 3.36 प्रतिशत था, वहीं इस वर्ष के बजट में एग्रीकल्चर के प्रावधान को घटाकर कुल बजट का मात्र 2.7 प्रतिशत कर दिया गया है. एक ओर किसान फर्टिलाईजर्स की कमी से जूझ रहा है, वहीं सरकार ने इस बजट में किसानों को फर्टिलाईजर्स पर मिलने वाली सब्सिडी को पिछले वर्ष की तुलना में 22.2 प्रतिशत घटा दिया है.
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान का ढिंढोरा पीटने वाले किसानों को यह नहीं बता रहे कि दिसम्बर 2018 से शुरु की गई इस योजना की लागत जहां वर्ष 2019 में 75 हजार करोड़ थी, जिसे घटा कर इस वर्ष 2023-24 के बजट में मात्र 60 हजार करोड़ किया गया है. इस योजना के तहत प्रत्येक पात्र किसान को प्रतिवर्ष तीन किश्तो में मिलने वाली 6000 रुपए की राशि में भी कोई इजाफा नहीं किया गया है.
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उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल के बाद से रोजगार संकट और लोगों की खाली जेब के चलते गांवों में श्रमिकों का सहारा बनने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) में तथाकथित किसान और मजदूर हितैषी होने का दंभ भरने वाली बीजेपी सरकार ने लगातार तीसरे वर्ष बजट प्रावधान में कटौती की है. बजट कम होने का सीधा मतलब श्रमदिवस के कम होने और रोजगार के अवसरों में कमी से है. उन्होंने बताया कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में मनरेगा के लिये बजट आवंटन में 30 प्रतिशत की कटौती की गई है. इसे घटाकर अब 61,032.65 करोड़ रुपए कर दिया गया है. यह वर्ष 2022-23 के संशोधित अनुमान 89,154.65 करोड़ रुपए से 30 फीसदी कम है.
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नीरज डांगी ने कहा अपने साझेदार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये 2020 में केंद्र सरकार तीन किसान विरोधी काले कानून लेकर आई थी. विरोध करने पर 700 से अधिक किसानों की शहादत, लाखों किसानों को एक साल से भी अधिक समय तक सर्दी, गर्मी और बरसात में सड़कों पर रात गुजारने को मजबूर किया था. वही सरकार एक बार फिर किसानों को गुमराह करना चाह रही है.