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पाश्चात्य संस्कृति नहीं भारतीय संस्कृति से बने घर मूल्यवान: बीके भरत

सिरोही जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान में हो रहे वास्तुकारों के सम्मेलन में देशभर के कई बड़े आर्किटेक्ट भाग ले रहे हैं. कार्यक्रम के संयोजक बीके भरत ने कहा कि आज के वास्तुकार पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं और उसी तरीके से लोगों के घरों को बना रहे हैं जो सही मायने में सही नहीं है.

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Published : Sep 8, 2019, 10:24 PM IST

वास्तुकार सम्मेलन सिरोही, ब्रह्मकुमारी संस्थान आबूरोड न्यूज

सिरोही. जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान में वास्तुकारों का सम्मेलन हो रहा है. वास्तुकारों के सम्मेलन में देशभर के कई बड़े आर्किटेक्ट भाग ले रहे हैं, साथ ही नेपाल से भी कई आर्किटेक्ट कार्यक्रम में आए हैं. कार्यक्रम का उद्देश्य है कि किस प्रकार से वास्तुकार में आध्यात्मिकता की समझ हो, जिससे बनने वाले घरों में शांति, संपन्नता और खुशहाली हो.

कार्यक्रम के संयोजक बीके भरत ने कहा कि आज के वास्तुकार पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं और उनके तरीके से लोगों के घरों को बना रहे हैं जो सही मायने में कदापि भी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से घरों में क्रोध, क्लेश सहित कई तरह की विपदा आती है, इसी को लेकर मंथन किया जा रहा है. बीके भरत ने कहा कि हजारों साल पहले भी भारत में वास्तुकार होते थे जो वास्तु के हिसाब से घरों का निर्माण करते थे.

सिरोही में वास्तुकार सम्मेलन का हुआ आयोजन

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट : 5 हजार 285 साल पुराना चारभुजा नाथ गढ़बोर मंदिर, विद्यमान है कृष्ण का चतुर्भुज स्वरूप

संयोजक ने कहा कि भारतीय वास्तुकारों की ओर से किए गए भवनों में विशेषता होती थी गर्मी के समय में उन घरों में ठंडक का एहसास होता था तो सर्दी के समय गर्मी का एहसास होता, इस तरीके से घरों को डिजाइन किया जाता था जो विलुप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि संस्थान भारतीय संस्कृति और पद्धति को अपनाकर लोगों को भी इसके लिए जागरूक कर रही है.

बीके भरत ने कहा कि साथ ही इस सम्मेलन में आए देशभर के वास्तुकरों को भी भारतीय संस्कृति से रूबरू करवाया जा रहा है और पहले की पद्धति से घर निर्माण करने के लिए बताया जा रहा है, जिससे घरों में शांति, सम्पन्नता और खुशहाली आए. उन्होंने कहा कि लोग परेशानियों से दूर रहे हैं और उनका वह घर सपनों का घर बन जाए. वास्तुकार सम्मेलन में युवा वास्तुकारों को भारतीय संस्कृति के बारे में बताना और उसे रूबरू कराने को लेकर भी चर्चा हो रही है.

सिरोही. जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान में वास्तुकारों का सम्मेलन हो रहा है. वास्तुकारों के सम्मेलन में देशभर के कई बड़े आर्किटेक्ट भाग ले रहे हैं, साथ ही नेपाल से भी कई आर्किटेक्ट कार्यक्रम में आए हैं. कार्यक्रम का उद्देश्य है कि किस प्रकार से वास्तुकार में आध्यात्मिकता की समझ हो, जिससे बनने वाले घरों में शांति, संपन्नता और खुशहाली हो.

कार्यक्रम के संयोजक बीके भरत ने कहा कि आज के वास्तुकार पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं और उनके तरीके से लोगों के घरों को बना रहे हैं जो सही मायने में कदापि भी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से घरों में क्रोध, क्लेश सहित कई तरह की विपदा आती है, इसी को लेकर मंथन किया जा रहा है. बीके भरत ने कहा कि हजारों साल पहले भी भारत में वास्तुकार होते थे जो वास्तु के हिसाब से घरों का निर्माण करते थे.

सिरोही में वास्तुकार सम्मेलन का हुआ आयोजन

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संयोजक ने कहा कि भारतीय वास्तुकारों की ओर से किए गए भवनों में विशेषता होती थी गर्मी के समय में उन घरों में ठंडक का एहसास होता था तो सर्दी के समय गर्मी का एहसास होता, इस तरीके से घरों को डिजाइन किया जाता था जो विलुप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि संस्थान भारतीय संस्कृति और पद्धति को अपनाकर लोगों को भी इसके लिए जागरूक कर रही है.

बीके भरत ने कहा कि साथ ही इस सम्मेलन में आए देशभर के वास्तुकरों को भी भारतीय संस्कृति से रूबरू करवाया जा रहा है और पहले की पद्धति से घर निर्माण करने के लिए बताया जा रहा है, जिससे घरों में शांति, सम्पन्नता और खुशहाली आए. उन्होंने कहा कि लोग परेशानियों से दूर रहे हैं और उनका वह घर सपनों का घर बन जाए. वास्तुकार सम्मेलन में युवा वास्तुकारों को भारतीय संस्कृति के बारे में बताना और उसे रूबरू कराने को लेकर भी चर्चा हो रही है.

Intro:पाश्चात्य संस्कृति नहीं भारतीय संस्कृति से बने घर मूल्यवान
एंकर सिरोही जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान में वास्तुकारों का सम्मेलन हो रहा है ।वास्तुकारों के सम्मेलन में देशभर के कई बड़े आर्किटेक्ट भाग ले रहे हैं साथ ही नेपाल से भी कोई आर्किटेक्ट भी कार्यक्रम में आए हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य है कि किस प्रकार से वास्तुकारों में आध्यात्मिकता का अहम योगदान हो जिससे बनने वाले घरों में शांति, संपन्नता और खुशहाली हो इसको लेकर मंथन किया जा रहा है।


Body: कार्यक्रम के संयोजक बीके भरत ने कहा कि आज के वास्तुकार पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं और उनके तरीके से लोगों के घरों को बना रहे हैं जो सही मानने में कदापि भी सही नहीं है।पाश्चात्य संस्कृति से घरों में क्रोध,क्लेश सहित कई तरह की विपदा आती है। इसी को लेकर यह मंथन किया जा रहा है की हजारों साल पूर्व भी भारत में वास्तुकार होते थे जो वास्तु के हिसाब से घरों का निर्माण करते थे । भारतीय वास्तुकारों द्वारा किए गए भवनों में विशेषता होती थी गर्मी के समय में उन घरों में ठंडक का एहसास होता तो सर्दी के समय गर्मी का एहसास होता इस तरीके घरों को डिजाइन किया जाता था जो विलुप्त हो गया है । संस्थान भारतीय संस्कृति और पद्धति को अपनाकर लोगों को भी इसके लिए जागरूक कर रही है साथ ही इस सम्मेलन में आए देशभर के वस्तुकरो को भी भारतीय संस्कृति से रूबरू करवाया जा रहा है और पूर्व की पद्धति से घर निर्माण करने के लिए बताया जा रहा है जिससे घरों में शांति ,सम्पन्नता और खुशहाली आए लोग परेशानियों से दूर रहे हैं और उनका वह घर सपनों का घर बन जाए।


Conclusion: वास्तुकार का सम्मेलन मे युवा वास्तु कारों को भारतीय संस्कृति के बारे में बताना और उसे रूबरू कराने को लेकर भी चर्चा हो रही है।
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