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इंडियन पोलो अवार्ड : खिलाड़ियों, हॉर्स ट्रेनर, ग्रूम, फिजियो सहित 23 कैटेगरी में किया गया सम्मानित - POLO GAMES IN JAIPUR

जयपुर में इंडियन पोलो अवार्ड का आयोजन किया गया. इसमें खिलाड़ियों, हॉर्स ट्रेनर, ग्रूम, फिजियो सहित 23 कैटेगरी में सम्मानित किया गया.

इंडियन पोलो अवार्ड
इंडियन पोलो अवार्ड (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 23, 2025, 6:58 AM IST

जयपुर : हेरिटेज स्पोर्ट कहा जाने वाला पोलो गेम जयपुर की भी विरासत के साथ जुड़ा हुआ है. इस गेम को आमजन के बीच पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस कड़ी में इंडियन पोलो अवार्ड की शुरुआत की गई. जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित हुए इस अवॉर्ड फंक्शन में खिलाड़ियों के साथ-साथ हॉर्स ट्रेनर, ग्रूम, फिजियो सहित 23 कैटेगरी में अवार्ड दिए गए. खास बात ये है कि अब दूसरे खेलों की तरह पोलो को भी जल्द लाइव स्ट्रीम किया जाएगा.

पोलो सीजन में 12 प्रायोजक थे : 4 साल पहले 'ला पोलो' कंपनी ने पोलो प्लेयर्स के साथ-साथ पोलो से जुड़े अन्य अंगों को भी पहचान दिलाने का काम शुरू किया था, जिसमें पुरुष खिलाड़ियों के अलावा महिला खिलाड़ी, ग्रूम, मैनेजर, ट्रेनर सहित 23 कैटेगरी बनाई. शनिवार रात सिटी पैलेस आयोजित अवॉर्ड फंक्शन में इन कैटेगरी में खिलाड़ियों और पोलो से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया. इंडियन नेशनल पोलो टीम के कप्तान पद्मनाभ सिंह ने बताया कि ये एक सराहनीय कदम है. ये पोलो की लोकप्रियता बढ़ाने की दिशा में सही पहल है. ग्लैमर, सबको साथ जोड़ने, रिकॉग्निशन जैसे एलिमेंट इसे खास बनाती है. उन्होंने कहा कि ये एक महंगा और तार्किक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल है. इनके सफल होने के पीछे प्रायोजक होना जरूरी है और काफी जगह सरकार का दखल भी रहता है. इस बार जयपुर में हुए पोलो सीजन में भी करीब 12 प्रायोजक थे, जो खेल के साथ जुड़े. इसके साथ-साथ सरकार ने भी काफी सपोर्ट किया.

खिलाड़ियों ने अपने घोड़े भी स्कूल को डोनेट किए (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें. पोलो क्लब में हुआ रोमांचक मुकाबला, अगले साल महिला पोलो टूर्नामेंट कराने की प्लानिंग

खिलाड़ियों ने अपने घोड़े भी स्कूल को डोनेट किए : उन्होंने बताया कि भारत ने पोलो को दुनिया को दिया है, इसलिए जरूरी है कि सबसे पहले वो खुद के खेल को बचाए. इसके लिए राजस्थान पोलो क्लब ने 2 साल पहले ही सवाई मानसिंह के नाम से राइडिंग एंड पोलो स्कूल शुरू किया है, जहां राइडिंग और पोलो के लेसन लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है. काफी खिलाड़ियों ने अपने घोड़े भी स्कूल को डोनेट किए हैं. कोशिश यही है कि जो भी इस खेल को खेलना सीखना चाहता है, उन तक ये गेम पहुंचे. अगर ये मॉडल सफल होता है तो आने वाले समय में आउटरीच के माध्यम से स्कूल और दूसरे शहरों तक इसे पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब जल्द पोलो खेल का दूसरे खेलों की तरह लाइव स्ट्रीमिंग भी शुरू किया जाएगा.

जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित हुआ अवार्ड शो
जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित हुआ अवार्ड शो (ETV Bharat Jaipur)

वहीं, इंडियन पोलो अवार्ड के ऑर्गेनाइजर और ला पोलो कंपनी के एडिटर इन चीफ मनिंदर सिंह सेठी ने बताया कि भारत मॉडर्न पोलो का जन्मस्थली है, लेकिन इसे यहां इस तरह से सेलिब्रेट नहीं किया जा रहा. जैसे दुनिया भर में इसका ऑरा है. ऐसे में एक्टिव प्लेयर, एक्टिव क्लब और इंडियन पोलो एसोसिएशन के अंडर में इंडियन पोलो अवार्ड को शुरू किया गया. इसमें उन सभी लोगों को सम्मानित किया जा सके, जो गेम में सामने नजर नहीं आते, लेकिन उनकी भूमिका बहुत जरूरी होती है. हॉर्स को ट्रेनिंग देने वाले ग्रूम, पोलो ट्रेनर, फिजियोथैरेपिस्ट इन सभी का गेम में इक्वल कंट्रीब्यूशन है. इन अवॉर्ड्स के जरिए सभी को रिकॉग्नाइज किया जा रहा है. साथ ही मास अवेयरनेस के लिए इसकी शुरुआत की गई है.

जयपुर : हेरिटेज स्पोर्ट कहा जाने वाला पोलो गेम जयपुर की भी विरासत के साथ जुड़ा हुआ है. इस गेम को आमजन के बीच पहचान दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस कड़ी में इंडियन पोलो अवार्ड की शुरुआत की गई. जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित हुए इस अवॉर्ड फंक्शन में खिलाड़ियों के साथ-साथ हॉर्स ट्रेनर, ग्रूम, फिजियो सहित 23 कैटेगरी में अवार्ड दिए गए. खास बात ये है कि अब दूसरे खेलों की तरह पोलो को भी जल्द लाइव स्ट्रीम किया जाएगा.

पोलो सीजन में 12 प्रायोजक थे : 4 साल पहले 'ला पोलो' कंपनी ने पोलो प्लेयर्स के साथ-साथ पोलो से जुड़े अन्य अंगों को भी पहचान दिलाने का काम शुरू किया था, जिसमें पुरुष खिलाड़ियों के अलावा महिला खिलाड़ी, ग्रूम, मैनेजर, ट्रेनर सहित 23 कैटेगरी बनाई. शनिवार रात सिटी पैलेस आयोजित अवॉर्ड फंक्शन में इन कैटेगरी में खिलाड़ियों और पोलो से जुड़े लोगों को सम्मानित किया गया. इंडियन नेशनल पोलो टीम के कप्तान पद्मनाभ सिंह ने बताया कि ये एक सराहनीय कदम है. ये पोलो की लोकप्रियता बढ़ाने की दिशा में सही पहल है. ग्लैमर, सबको साथ जोड़ने, रिकॉग्निशन जैसे एलिमेंट इसे खास बनाती है. उन्होंने कहा कि ये एक महंगा और तार्किक रूप से चुनौतीपूर्ण खेल है. इनके सफल होने के पीछे प्रायोजक होना जरूरी है और काफी जगह सरकार का दखल भी रहता है. इस बार जयपुर में हुए पोलो सीजन में भी करीब 12 प्रायोजक थे, जो खेल के साथ जुड़े. इसके साथ-साथ सरकार ने भी काफी सपोर्ट किया.

खिलाड़ियों ने अपने घोड़े भी स्कूल को डोनेट किए (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

पढ़ें. पोलो क्लब में हुआ रोमांचक मुकाबला, अगले साल महिला पोलो टूर्नामेंट कराने की प्लानिंग

खिलाड़ियों ने अपने घोड़े भी स्कूल को डोनेट किए : उन्होंने बताया कि भारत ने पोलो को दुनिया को दिया है, इसलिए जरूरी है कि सबसे पहले वो खुद के खेल को बचाए. इसके लिए राजस्थान पोलो क्लब ने 2 साल पहले ही सवाई मानसिंह के नाम से राइडिंग एंड पोलो स्कूल शुरू किया है, जहां राइडिंग और पोलो के लेसन लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है. काफी खिलाड़ियों ने अपने घोड़े भी स्कूल को डोनेट किए हैं. कोशिश यही है कि जो भी इस खेल को खेलना सीखना चाहता है, उन तक ये गेम पहुंचे. अगर ये मॉडल सफल होता है तो आने वाले समय में आउटरीच के माध्यम से स्कूल और दूसरे शहरों तक इसे पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब जल्द पोलो खेल का दूसरे खेलों की तरह लाइव स्ट्रीमिंग भी शुरू किया जाएगा.

जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित हुआ अवार्ड शो
जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित हुआ अवार्ड शो (ETV Bharat Jaipur)

वहीं, इंडियन पोलो अवार्ड के ऑर्गेनाइजर और ला पोलो कंपनी के एडिटर इन चीफ मनिंदर सिंह सेठी ने बताया कि भारत मॉडर्न पोलो का जन्मस्थली है, लेकिन इसे यहां इस तरह से सेलिब्रेट नहीं किया जा रहा. जैसे दुनिया भर में इसका ऑरा है. ऐसे में एक्टिव प्लेयर, एक्टिव क्लब और इंडियन पोलो एसोसिएशन के अंडर में इंडियन पोलो अवार्ड को शुरू किया गया. इसमें उन सभी लोगों को सम्मानित किया जा सके, जो गेम में सामने नजर नहीं आते, लेकिन उनकी भूमिका बहुत जरूरी होती है. हॉर्स को ट्रेनिंग देने वाले ग्रूम, पोलो ट्रेनर, फिजियोथैरेपिस्ट इन सभी का गेम में इक्वल कंट्रीब्यूशन है. इन अवॉर्ड्स के जरिए सभी को रिकॉग्नाइज किया जा रहा है. साथ ही मास अवेयरनेस के लिए इसकी शुरुआत की गई है.

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