सिरोही. प्रदेश में सरकार और विधायक बदले तीन महीने हो गए. लेकिन सिरोही जिला मुख्यालय का नसीब अब तक नहीं बदला. राज्य का संभवत: एकमात्र जिला मुख्यालय होगा, जहां की अधिकांश व्यवस्थाएं वहां की तहसील से भी बदतर स्थिति में हैं.
गर्मी आने के ठीक पहले जिले भर में पेयजल के इतने बुरे हालात हो गए हैं, जो संभवत: पिछले कई सालों में देखने को नहीं मिले होंगे. पेयजल जैसी समस्या को लेकर पिछली सरकार में बरती गई लापरवाही और अनदेखी को ये सरकार भी सुचारू नहीं कर पा रही है. वहीं तालाबों के हालात भी सही नहीं है. लगभग तालाब सूखने की स्थिति में हैं, जिसके चलते पशुपालकों को भी अपने पशुओं को पानी पिलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पानी कब मिलेगा इसका कोई समय नहीं
सिरोही शहर को 72 घंटे में एक बार पानी मिलता है. उसका भी कोई निर्धारित समय नहीं है. इतना ही नहीं पानी कब आता है और कब चला जाता है इसकी कोई मॉनीटरिंग नहीं होती है. इससे पहले भी बरसात के अभाव में पानी की कमी होती रही है. लेकिन समय निर्धारित था कि किस इलाके में कब पानी आएगा. इस बार तो ऐसे हालात हो गए हैं कि कुछ पता नहीं चलता की पानी कब आता है और कब चला जाता है.
आबूरोड में हर दिन पानी
सिरोही में जिला मुख्यालय को छोड़कर कहीं भी 72 घंटे में पेयजल वितरण नहीं हो पा रहा है. वहीं आबूरोड में तो प्रतिदिन पानी दिया जा रहा है. जिलेभर में पेयजल के हालात इतने विकट हैं कि इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जहां 4500 लीटर पानी का उत्पादन होना चाहिए वहां पर सिर्फ 2500 लीटर ही उत्पादन हो रहा है.
वहीं आबूरोड में 4600 लीटर पानी की आवश्यकता है. लेकिन 4300 लीटर ही पानी का उत्पादन हो रहा है. साथ ही वहां पर प्रतिदिन पानी की सप्लाई है. सिरोही में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 45 लीटर पानी की सप्लाई की जा रही है. मतलब यह है कि यदि आप नहा लें तो कपड़े नहीं धो सकते. वहीं आबूरोड को अभी भी 75 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी मिल रहा है.
पांच नलकूप खुदवाए फिर भी असुविधा बरकरार
खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश चंद्र मीणा के सिरोही आगमन पर जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता ने उन्हें जानकारी दी थी कि शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए पांच नलकूप खुदवाए गए हैं. इनमें से चार अणगौर में और एक सादुलपुरा में खुदवाए हैं. विधायक को ग्रामीण क्षेत्र नलकूप के लिए बधाई भी मिलनी शुरू हो गई है. लेकिन, सिरोही की पेयजल आपूर्ति में सुधार होने तक पांच नलकूपों का कोई यश मिलने में अभी भी संशय है. मई में लोकसभा चुनाव आने तक ये हालात और बदतर होने के आसार नजर आ रहे हैं.
शुरू से ही दूरदर्शिता का अभाव
सिरोही जिला मुख्यालय के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने कभी भी पेयजल को लेकर कोई बड़ा विजनरी स्टेप नहीं उठाया. जिला अधिकारियों ने तो सिर्फ जनता का हक मारकर खुदके बंगले चमकाने के सिवा कोई काम नहीं किया.
सूत्रों की माने तो जिले के अधिकारियों की यहां के लोगों के प्रति अपनी जवाबदेही का आलम यह है कि एक जिला अधिकारी इस पानी की किल्लत में भी अपने बंगले में स्वीमिंग पुल के मोह को नहीं छोड़ पा रहे थे. ओटाराम देवासी ने तो 10 सालों में कुछ भी नहीं किया. शिवगंज तक पहुंची जवाई जल योजना शिवगंज से एक इंच आगे नहीं बढ़ सकी. वर्तमान विधायक ने इसका वायदा किया है, लेकिन यह कब तक पूर्ण होगा यह भविष्य के गर्भ में है.