सिरोही. जिला कांग्रेस वार रूम में शुक्रवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से राज्यसभा सांसद और रेवदर-आबूरोड विधानसभा क्षेत्र से दो बार कांग्रेस का प्रत्याशी रहे नीरज डांगी पर दिए गए बयान के बाद रेवदर विधानसभा में हलचल तेज़ हो गई हैं. शुक्रवार को बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नीरज डांगी पर तंज कसते हुए कहा था कि पार्टी ने आपको तीन तीन बार विधानसभा टिकट दिया और आप हार गए पार्टी ने आपको राज्यसभा सांसद बनवाया. अब आप किसी कांग्रेसी कार्यकर्त्ता की बजाय अपने रिश्तेदार को लेकर विधानसभा में घूम रहे हो.
गौर है कि नीरज डांगी के बहनोई बरधीचंद पिछले 6 माह से रेवदर विधानसभा क्षेत्र में गांव गांव जाकर दौरे कर रहे और कई कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. कई बार नीरज डांगी के साथ भी शिलान्यास और उद्धघाटन कार्यक्रम में देखे गए. 9 अगस्त को आदिवासी दिवस पर बरधीचंद ने बतौर राज्यसभा सांसद प्रतिनिधि के तौर पर 20 लाख भील समाज के छात्रावास के लिए देने की घोषणा की. अब मुख्यमंत्री के बयान के बाद रेवदर-आबूरोड विधानसभा में हलचल और चर्चाएं तेज़ हो गई है. इस मामले को लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष आनंद जोशी से पार्टी का पक्ष जानना चाहा उन्होंने किसी बैठक में होने का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से इंकार किया.
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आबूरोड नगरपालिका नेता प्रतिपक्ष कांतिलाल परिहार ने कहा की रेवदर विधानसभा क्षेत्र एस सी उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. कांग्रेस पार्टी यदि स्थानीय उम्मीदवार को टिकट देती है कांग्रेस की जीत निश्चित है. बाहरी उम्मीदवार पर पार्टी दो प्रयोग कर चुकी है लेकिन स्थानीय जनता उन्हें पूरी तरह से नकार चुकी है, शुक्रवार को जयपुर में आयोजित पार्टी की बैठक में भी रेवदर विधानसभा सीट को लेकर काफी कुछ मुख्यमंत्री कह चुके हैं. ऐसे में पार्टी को अब स्थानीय उम्मीदवार पर भरोसा करना चाहिए ताकि पार्टी को जीत मिल सके.वर्तमान में एक कांगेसी नेता के बहनोई जो सरकारी अधिकारी है वो इस सीट से उमीदवारी में लगे हुए हैं इस बात पर मुख्यमंत्री गहलोत सार्वजनिक रूप से संदेश दे चुके है.
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जिला प्रवक्ता हर्षुल अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जो कहा है उसके अपने मायने हैं, लेकिन राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने क्षेत्र की जनता के बीच 20 साल का समय दिया है और हर सुख-दुःख में साथ रहे हैं. सांसद नीरज डांगी के परिवार के सदस्य के चुनाव की बात है तो वे क्षेत्र में कांग्रेस सरकार की योजनाओं को पहुँचाने का काम कर रहे हैं. लेकिन टिकट तो क्षेत्र की जनता की भावनाओं और पार्टी के हुए सर्वे के आधारों पर दिया जाता है. हर क्षेत्र में समय समय पर नये चेहरे को मौक़ा मिलता है, जनता ने अगर सर्वे में राज्यसभा सांसद के पारिवारिक सदस्य को प्राथमिकता दी है तो उन्हें भी मौक़ा मिलना चाहिए.