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सिरोही में जल संरक्षण को लेकर प्रशासन सतर्क, जलाशयों की गाद निकालने का काम शुरू - RAJASTHAN

जल है, तो कल है. जल जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इलाकों के लोगों से पूछो जो मीलों का सफर तय कर जल की इन बूंदों को संजो कर गले की प्यास को बुझाते हैं. राजस्थान में ऐसे कई इलाके हैं, जहां पेयजल के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है.

सिरोही में जल संरक्षण को लेकर प्रशासन सतर्क
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Published : Jul 1, 2019, 8:16 PM IST

सिरोही. जिले में पिछले साल हुई कम बारिश के चलते जिलेभर में पानी की कमी देखी जा रही है. वहीं, प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में पानी की किल्लत बढ़ गई हैं. ऐसे में मानसून के देरी से आनें के चलते मुसीबत और ज्यादा बढ़ गई है. उधर, नक्की लेक सूखने की कगार पर है, तो कई जलाशयों में पानी सूख गया है.

सिरोही में जल संरक्षण को लेकर प्रशासन सतर्क

वहीं, आगामी साल में पानी की कमी ना हो इसको लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है. प्रशासन द्वारा नक्की, लोअर कोदरा डेम सहित अन्य जलाशयों की खुदाई करवाई जा रही है, जिससे की पानी व्यर्थ बहकर ना चला जाए.

दरअसल, जल है, तो कल है. जल जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इलाकों के लोगों से पूछो जो मीलों का सफर तय कर जल की इन बूंदों को संजो कर गले की प्यास को बुझाते हैं. राजस्थान में ऐसे कई इलाके हैं, जहां पेयजल के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में जल की सही कीमत उन लोगों को ही पता है, जो बरसात के पानी को घर के अंदर बने जल गुंडों में संजोकर रखते हैं और इन्हीं जल की बूंदों को वर्षभर पीकर अपना जीवन यापन करते हैं.

जल हमारे लिए महत्वपूर्ण है और इसी को लेकर माउंट आबू प्रशासन इन दिनों हरकत में नजर आ रहा है. शहर के जलाशय की सफाई की जा रही है. जो मिट्टी से अटे पड़े थे उन जलाशयों को प्रशासन द्वारा सफाई कर डिसिल्टिंग का कार्य किया जा रहा है, जो एक सराहनीय कार्य कहा जा सकता है. क्योंकि जहां माउंट आबू में तकरीबन 75 इंच से लगाकर 100 इंच तक बारिश होती है और सारा पानी व्यर्थ बह कर नीचे की ओर चला जाता है. इसी को देखते हुए यहां के प्रशासन ने कदम उठाया है.

इसी के तहत शहर के नक्की झील, विंडर मेयर लेक और शहर के ऐसे कई जलाशय हैं, जहां पर प्रशासन द्वारा इन दिनों मिट्टी निकालने का काम किया जा रहा है. जिससे आने वाले समय में पानी का भंडारण तो होगा ही होगा, साथ ही ग्राउंड वॉटर में भी इजाफा देखने को मिलेगा. ऐसे में स्थानीय लोगों को भी इन जलाशयों की सफाई में योगदान अवश्य देना चाहिए. ताकि माउंट आबू का जलस्तर ऊंचा आ सके और माउंट आबू की जनता को वर्षभर पानी मिल सके. लेकिन, देखने वाली बात यह होगी कि क्या माउंट आबू की जनता जल की बूंदों को संजोने में आगे आएगी या नहीं.

सिरोही. जिले में पिछले साल हुई कम बारिश के चलते जिलेभर में पानी की कमी देखी जा रही है. वहीं, प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में पानी की किल्लत बढ़ गई हैं. ऐसे में मानसून के देरी से आनें के चलते मुसीबत और ज्यादा बढ़ गई है. उधर, नक्की लेक सूखने की कगार पर है, तो कई जलाशयों में पानी सूख गया है.

सिरोही में जल संरक्षण को लेकर प्रशासन सतर्क

वहीं, आगामी साल में पानी की कमी ना हो इसको लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है. प्रशासन द्वारा नक्की, लोअर कोदरा डेम सहित अन्य जलाशयों की खुदाई करवाई जा रही है, जिससे की पानी व्यर्थ बहकर ना चला जाए.

दरअसल, जल है, तो कल है. जल जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इलाकों के लोगों से पूछो जो मीलों का सफर तय कर जल की इन बूंदों को संजो कर गले की प्यास को बुझाते हैं. राजस्थान में ऐसे कई इलाके हैं, जहां पेयजल के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में जल की सही कीमत उन लोगों को ही पता है, जो बरसात के पानी को घर के अंदर बने जल गुंडों में संजोकर रखते हैं और इन्हीं जल की बूंदों को वर्षभर पीकर अपना जीवन यापन करते हैं.

जल हमारे लिए महत्वपूर्ण है और इसी को लेकर माउंट आबू प्रशासन इन दिनों हरकत में नजर आ रहा है. शहर के जलाशय की सफाई की जा रही है. जो मिट्टी से अटे पड़े थे उन जलाशयों को प्रशासन द्वारा सफाई कर डिसिल्टिंग का कार्य किया जा रहा है, जो एक सराहनीय कार्य कहा जा सकता है. क्योंकि जहां माउंट आबू में तकरीबन 75 इंच से लगाकर 100 इंच तक बारिश होती है और सारा पानी व्यर्थ बह कर नीचे की ओर चला जाता है. इसी को देखते हुए यहां के प्रशासन ने कदम उठाया है.

इसी के तहत शहर के नक्की झील, विंडर मेयर लेक और शहर के ऐसे कई जलाशय हैं, जहां पर प्रशासन द्वारा इन दिनों मिट्टी निकालने का काम किया जा रहा है. जिससे आने वाले समय में पानी का भंडारण तो होगा ही होगा, साथ ही ग्राउंड वॉटर में भी इजाफा देखने को मिलेगा. ऐसे में स्थानीय लोगों को भी इन जलाशयों की सफाई में योगदान अवश्य देना चाहिए. ताकि माउंट आबू का जलस्तर ऊंचा आ सके और माउंट आबू की जनता को वर्षभर पानी मिल सके. लेकिन, देखने वाली बात यह होगी कि क्या माउंट आबू की जनता जल की बूंदों को संजोने में आगे आएगी या नहीं.

Intro:जल संरक्षण के लिए प्रशासन हुया सतर्क , जलाशयों की कारवाई जा रही है ख़ुदाई ।
एंकर सिरोही जिले में पिछले साल हुई कम बारिश के चलते जिलेभर में पानी की कमी देखी जा रही है वही प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में पानी की किल्लत बढ़ गई वही मानसून के देरी से आनें के चलते मुसीबत और ज़्यादा बढ़ गई है । नक्कीलेक सूखने की कगार पर है तो कई जलाशयों में पानी सूख गया है । वही आगामी साल में पानी की कमी ना हो इसको लेकर प्रशासन सतर्क हो गया है। प्रशासन द्वारा नक्की , लोअर कोदरा डेम सही अन्य जलाशयों की खुदाई करवाई जा रही है जिससे का पानी व्यर्थ बहकर ना चला जाए ।

Body:जल है तो कल है और जल जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इलाकों के लोगों से पूछो जो मीलों का सफर तय कर जल की इन बूंदों को संजो कर गले की प्यास को बुझाते है। राजस्थान में ऐसे कई इलाके है।जहां पेयजल के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है ऐसे में जल की सही कीमत उन लोगों को ही पता है जो बरसात के पानी को घर के अंदर बने जल गुंडों में संजोकर रखते है। और इन्हीं जल की बूंदों को वर्षभर स्पीकर अपना जीवन यापन करते है। सही कीमत वही जानते हैं क्योंकि जल हमारे लिए महत्वपूर्ण है और इसी को लेकर माउंट आबू प्रशासन इन दिनों हरकत में नजर आ रहा है। और शहर के जलाशय की सफाई की जा रही है जो मिट्टी से अटे पड़े थे उन जलाशयों को प्रशासन द्वारा सफाई कर डिसिल्टिंग का कार्य किया जा रहा है जो एक सराहनीय कार्य कहा जा सकता है। क्योंकि जहां माउंट आबू में तकरीबन 75 इंच से लगाकर 100 इंच तक माउंट आबू में बारिश होती है और सारा पानी व्यर्थ बह कर नीचे की ओर चला जाता है । Conclusion:यहां के प्रशासन ने कदम उठाते हुए माउंट आबू के उन जलाशयों को साफ करने का जिम्मा उठाया है। और इसी के तहत शहर के नक्की झील, विंडर मेयर लेक एवं शहर के ऐसे कई जलाशय है जहां पर प्रशासन द्वारा इन दिनों मिट्टी निकालने का काम किया जा रहा है। जिससे आने वाले समय में पानी का भंडारण तो होगा ही होगा साथ ही ग्राउंड वॉटर में भी इजाफा देखने को मिलेगा ऐसे में स्थानीय लोगों को भी इन जलाशयों की सफाई में योगदान अवश्य देना चाहिए। ताकि माउंट आबू का जलस्तर ऊंचा आ सके और माउंट आबू की जनता को वर्ष भर पानी मिल सके लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या माउंट आबू की जनता जल की बूंदों को संजोने में आगे आएगी या नहीं।

बाइट सुनील आचार्य , पार्षद व समाजसेवी माउंट आबू
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